Sunday, October 17, 2021

आज सुबह (171021) आरती के समय पढ़ा गया बचन*

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(बचन भाग -1 से परम गुरु महाराज साहब के बचन, ब.न. 135 का अंश)

            आप तकलीफ़ उठा कर अब राधास्वामी दयाल अवतार धर कर दया फ़रमा रहे हैं। सब जीवों को चाहिए कि सब अटक भटक छोड़ कर हुज़ूर राधास्वामी दयाल की शरण दृढ़ करें।    राधास्वामी दयाल ने ऐसी दया की कि अचेत रूहों को चैतन्य किया। यहाँ का आनन्द बिलास बख़्शा। फिर सबके सत्तलोक पहुँचने की सूरत पैदा कर दी। निहायत दर्जे की दया की जिसका कोई वार पार नहीं है।

          .................मालिक की महिमा क्या की जावे। जीवों को चेतन करके आनन्द बख़्शा और आप आनन्द बिलास किया। मालिक की महिमा का शुक्र अदा नहीं हो सकता। अनन्त और अपार की क्या पहचान है? सब जीवों पर दया कर रहा है।

                         🙏🙏🙏

       *परम गुरु महाराज साहब के बचन*

                (बचन भाग 1 से ब. न. 93)

            संस्कार मिस्ल (समान) दरख़्त के बीज के है। जब वह बीज पानी और मिट्टी के साथ मिला और कुल्ला फूटा और दरख़्त उगना शुरू हुआ, तो उसकी परवरिश के लिये माली की ज़रूरत है ताकि वह हर तरफ़ से उसकी निगहदाश्त करे और परवरिश करे, यानी उसको मुनासिब तौर पर सींचे और गाय, बैल व दूसरे जानवरों से उस नाज़ुक पौधे को बचावे और उसके पास जो काँटे वग़ैरह हैं, उनको दूर करे और नीज़ कभी कभी डालियों को क़लम करता (छाँटता) रहे। इसी तरह संत सतगुरु संस्कारी जीवों को सतसंग रूपी खेत में जमा करके उनकी निगहदाश्त और परवरिश करते हैं, यानी काल कर्म से उसको बचाते हैं और जो बिकारी अंग उनमें मौजूद हैं, उनको साफ़ करते हैं। और कभी कभी रोग-सोग वग़ैरह लगाकर उनके अंदरूनी बिकारों को छाँटते हैं। संस्कार का बीज भी जीवों के हृदय में संत ही डालते हैं। तो शुरू से आख़िर तक वही कर्त्ता धर्त्ता हैं, यानी जीवों को संस्कारी भी वही बनाते हैं और मुनासिब और ज़रूरी भक्ती वग़ैरह करा कर धुर धाम में पहुँचाते हैं। और ज़ाहिरा यह मालूम होता है कि वह काम जीव ने किया मगर होता सब कुछ उनके हुक्म और मौज से ही है। जैसे कि दरख़्त के बीज में ताक़त और शक्ति उगने और बढ़ने की धरी है, लेकिन बग़ैर मदद और निगहदाश्त माली के वह परवरिश नहीं पा सकता।


🙏🙏🙏🙏 *राधास्वामी* 🙏🙏🙏🙏

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