Sunday, October 17, 2021

सतसंग पाठ M/ 181021

*राधास्वामी! आज सुबह पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-


 करो री सुरत गुरु चरन अधारा ॥टेक ॥     

  गुरु सम कोइ हितकारी नाहीं ।

उनकी दया का लेओ री सहारा ॥ १ ॥

बचन सुनाय सुधारें तुझको |

 भेद बतावें धुर दरबारा ॥ २ ॥                                  

घर चालन की जुगत बतावें ।

 सुरत शब्द का मारग सारा ॥ ३।।               

  भक्ति रीत सिखावे तुझको।

 जगत जाल से करें नियारा।।४॥

 परम पुरुष राधास्वामी चरनन में ।

मेहर से दें तोहि प्रेम करारा ॥ ५ ॥

(प्रेमबानी-3-शब्द-6-

पृ.सं.193,194)



*राधास्वामी!

 आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला पहला पाठ:-

 सावन मास सुहागिन आई। अपने पिया सँग झूलन आई।।

(सारबचन-शब्द-2-पृ.सं. 854,855)

 ( करनाल ब्राँच हरियाणा)



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