Saturday, October 16, 2021

ध्यान से कर्म कैसे कटते हैं ?

 


कर्मों के चार स्तर या श्रेणियां होती हैं - 

* वर्तमान कर्म ( व्यवहारिक कर्म),

   सतसंग में वचनों को ध्यान से सुनने और खुद पर घटा-घटा कर समझने से और उनके अनुसार व्यवहारिक करनी करने से वर्तमान कर्म कटते हैं।

* सूक्ष्म कर्म (मानसिक विकार),

अंतर में ध्वनात्मक राधास्वामी नाम के सुमिरन (धुन के सुनने) से कटते हैं।

* संचित कर्म (प्रारब्ध),

 अभ्यास (एकाग्र चित हो कर धुन में लीन हो जाना) करने से कटते जाते हैं।

* शेष कर्म (अति सूक्ष्म व झीने कर्म),

 सतगुरु स्वंम उठा लेते हैं।

    इस प्रकार कर्मों से रहित अवस्था जीव के सच्चे कल्याण व सुरत के सच्चे व पूरे उद्धार का बाइस बन जाती है।


** सुरत जब उपर चढ़ती है तो कर्मो का दफ्तर साफ करती है । यह कैसे होता है।हमे तो हर कर्म का हिसाब देना  होता है ?


   सुमिरन भजन में जब कर्म कटते हैं तब ही सुरत ऊपर उठती है। जैसे-जैसे कर्म कटते जाते हैं, सुरत का बोझा  और भार हल्का होता जाता है और सुरत का उठान ऊपरी मण्डलों की ओर होता जाता है। कर्मों का हिसाब और भुगतान तो हर जीव को करना ही होता है। पर सतगुरु वक़्त की मेहर और कुल मालिक राधास्वामी दयाल के सच्चे ध्वनात्मक नाम के सुमिरन से कर्मों को भुगतने की बरदाश्त की सामर्थ की दात मिलती है और भजन में कर्म कटते जाते है।

🙏राधास्वामी सदा सहाय🙏

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