Wednesday, December 9, 2020

प्रेमपत्र

 राधास्वामी!! 10-12-2020- आज सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:-                              

(1) शब्द सँग बाँध सुरत का ठाट। बहे मत जग का चौडा फाट।।-( शब्द बिन हो गई बारहबाट। शब्द सँग जग से रही उचाट।।) (सारबचन-शब्द- 7वाँ-पृ.सं 220 ,221)                                                           

 (2) सरन गुरु आई सुरत धर प्यार।।टेक।। दुखित होय जग से अलसानी।छोड़ दई मन जम की कार।।-( राधास्वामी चरन परस घर आई। गावत उन गुन बारम्बार।।) (प्रेमबानी-भाग -2-पृ.सं-314)                          

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**


 **परम गुरु हजूर साहबजी महाराज -रोजाना वाकिआत

- 17 मार्च 1933 -शुक्रवार:-  

                                                 

लेदर गुड्स फैक्ट्री, टैक्सटाइल फैक्ट्री, ज्वेलरी ब्रांच और लकड़ी गोदाम के सालाना हिसाब क्रमबद्ध होकर पेश हुए।  चारों में कुछ न कुछ मुनाफा रहा। जनरल ब्रांच का हिसाब तैयार हो रहा है। उम्मीद है कि उसमें भी क्षति न होगी।।                                                     

सर्कुलर जारी किया गया कि कब 31 मार्च सन हाल को कर्मचारीगण दयालबाग की जनगणना की जावे ताकि सभा के आइंदा जलसे में पेश किया जावे की कारखानाजात की बदौलत कितने भाइयों की परवरिश हो रही है ।।                                     

कॉरेस्पोंडेंस के वक्त एक सिंधी नौजवान मिलने के लिए आये। आप आई० एम० एस० में मुलाजिम है फौज के साथ झाँसी जा रहे हैं । कहने लगे मैं दयालबाग देख आया हूँ मगर आपने हवाई जहाज बनाना क्यों हाथ में नहीं लिया है । जवाब दिया गया- रुपए की तंगी की वजह से।  कहने लगे तमाम हिंदुस्तान को दयालबाग पर नाज करना चाहिये।

 जवाब दिया गया- यह  ख्यालात समय से पहले हैं । कहने लगा मैंने ऐसी डेरी हिंदुस्तान भर में कहीं नहीं देखी। जवाब दिया गया- डेरी की जानिब ऐसी लापरवाही हिंदुस्तानी भाई कर रहे हैं ऐसी दुनिया भर में न पाइयेगा । पूछा वजह?  जवाब दिया गया -पुरानी आदत , गुलामी की मानसिकता।  लोग न खालिस दूध की परवाह करते हैं न अच्छा घी व मक्खन की। सस्ती वस्तुएँ मांगते हैं । चाहे उनके इस्तेमाल से जिस्म रोगी होकर जिंदगी बवाल हो जाये। उन्होंने कहा मुझे उम्मीद है कि आइंदा 15 साल में दयालबाग एक अव्वल दर्जे की बस्ती बन जायेगा । जवाब दिया गया- अगर मालिक की दया सम्मिलित रही वरना अगर कल सुबह हम लोगों के अंदर हिंदुस्तानी पन जोर करने लगा तो परसों सुबह तक हम आपस में लड़ भीड़ कर सब तहस नहस कर देंगे 

 वह हँस कर कहने लगे वाकई आपस में मेल मोहब्बत से तरक्की हो सकती है और दयालबाग आपस में मेल व मोहब्बत की एक जिंदा मिसाल है।

 क्रमशः

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**



**परम गुरु हजूर साहबजी महाराज -

【शरण आश्रम का सपूत 】

कल से आगे-{ चौथा दृश्य}       

                                             

 ( शरण- आश्रम में सुपरिटेंडेंट साहब दाखिल होते हैं । सब बच्चे व वार्डन साहब हॉल में कुर्सियों पर बैठे हैं। ताजीम देते हैं ।सुपरिटेंडेंट साहब एक कुर्सी पर बैठ जाते हैं)

सुपरिटेंडेंट साहब -आज हम इस हॉल में एक जरूरी काम सरंजाम देने के लिए जमा हुए हैं। इस माह की 31 तारीख को प्रेमबिहारीलाल और शोभावन्ती की उम्र 18 वर्ष की हो जावेगी। मालिक उन्हें दया करके चिरंजीव बनावे। आश्रम की कवायद की रू से 18 वर्ष की उम्र हो जाने पर कोई वार्ड आश्रम में नहीं रह सकता इसलिए उन्हें खुशी के साथ नये बच्चों के लिए जगह कर देनी चाहिये। अगर शोभावंती चाहे तो सभा की जानिब से उसकी शादी का बन्दोबस्त कर दिया जा सकता है और अगर प्रेमबिहारीलाल चाहे तो उसे कारखाना मॉडल इंडस्ट्रीज में मुस्तकिल काम दिया जा सकता है। शरण-आश्रम के जुम्ला मुंतजिमान आप दोनों के चलन से निहायत प्रसन्न हैं। शोभावंती! तुमने डिप्लोमा का इम्तिहान पास कर लिया है और प्रेमबिहारीलाल! तुम एक काबिल करीगर हो। तुम लोगों ने आश्रम में काम सीखने के दौरान में ₹500 कमाया है-प्रेमबिहारीलाल ने ₹300 ,शोभावंती ने ₹200 -आश्रम से रुखसत होते वक्त यह रकम आप लोगों को मिल जावेगी । मुझे आशा है कि जो तालीम आप को आश्रम से मिली है और जो रकम ₹500 की आपको मिलेगी उनका मुनासिब इस्तेमाल करोगे। हुजूर राधास्वामी दयाल ऐसी दया फरमावें कि आप अपनी जिंदगी कामयाबी के साथ बसर कर सकें और जहाँ जायें शरण-आश्रम का नाम रोशन करें । क्रमशः                           🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


**परम गुरु हुजूर महाराज- प्रेमपत्र- भाग 1

- कल से आगे :- (21)

जो किसी को ध्यान में स्वरूप का दर्शन न होवे या कभी-कभी होवे, तो इससे अपने मन में निराश न होवे या यह ख्याल न करें कि मेरे अभ्यास में बारिश कैसा है भारी कसर है । उसको चाहिए कि स्थान पर सुरत और मन को जमा कर स्वरूप का ख्याल करता रहे, तो आहिस्ता आहिस्ता मन और सुरत उस स्थान पर ठहरने लगेंगे और रस भी आवेगा । जो ठहराव नहीं होता या थोड़ा बहुत रस नहीं मिलता तो जानना चाहिए कि शौक और प्रेम की कसर है, क्योंकि जो स्वरूप में प्यार होगा तो जरूर मन और सूरत की धार उसका ख्याल करते ही स्थान की तरफ चाढेंगी और ऊँचे चढ़ने में जरूर किसी कदर आनंद मिलेगा । इस वास्ते अभ्यासी को मुनासिब है कि प्रेम और शौक के साथ ध्यान करें और जो प्रेम की कसर है तो सतगुरु राधास्वामी दयाल की महिमा और उनकी दया को दिल में याद करके थोड़ा बहुत प्रेम पैदा करें। इसी तरह करते करते हैं ध्यान मे रस मिलने लगेगा और स्वरूप का दर्शन भी कभी-कभी अभ्यास के समय होता रहेगा , और नहीं तो कभी-कभी सुपने में जरूर दर्शन मिलेगा। और उस दर्शन को सच्चा असली और दया और मेहर का निशान समझना चाहिए। ऐसे दर्शन के मिलने से अभ्यासी की प्रीति और प्रतीति बढ़नी चाहिए। क्रमशः                                

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

No comments:

Post a Comment

सूर्य को जल चढ़ाने का अर्थ

  प्रस्तुति - रामरूप यादव  सूर्य को सभी ग्रहों में श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि सभी ग्रह सूर्य के ही चक्कर लगाते है इसलिए सभी ग्रहो में सूर्...