Saturday, December 12, 2020

रोजाना वाक्यात

 **परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-रोजाना वाकिआत

-18,19,मार्च-1933-शनिवार व रविवार

:-दयालबाग वाटर वर्क्स का हिसाब पेश हुआ। बीते साल करीबन 11 हजार रुपया सर्फ हुआ। आबादी व कारखानाजात से ₹5000 सालाना बतौर जल कर वसूल होता है । मगरीबी नमूने के काम अगर काफी वसीअ पैमाने पर किये जायें तभी सस्ते पड़ते हैं वरना उनका चलाना मुश्किल होता है।।                                             

इन दो दिनों में नवागत जिज्ञासुओं ने मुतअद्दिद सवालात दरयाफ्त किये जिनके यथाशक्ति जवाबआत दिये गये। इंसान सत्य की तलाश में है। और हर जमाने के बुजुर्गों ने अपने अपने तरीके से सत्य का पता व निशान बतलाने की कोशिश की है । मगर मुश्किल यह है कि जिन कुव्वतों का इस्तेमाल करके इंसान सत्य का दर्शन किया चाहते हैं उनकी पहुंच सत्य तक नहीं है । सत्य के दर्शन करने के लिए आध्यात्मिक शक्ति का जगाना आवश्यक है।

बौद्धिक तर्क से सिर्फ इस कदर वाजेह किया जा सकता है कि जिज्ञासु को महज मामूली बुद्धि की कुब्बत पर निर्भर नहीं करना चाहिये। मामूली बुद्धि यानी अक्ल से इंसान महज किसी चीज का अपने नीज दूसरों पर असर परख सकता है।  मसलन हम कहते हैं कि गुलाब का फूल गुलाबी रंग का है, खुशबूदार है, उसके पत्तियां है , दामन में काँटे हैं, उसका अर्क खोलने वाला है वगैरह-वगैरह। इनमें से कोई भी बात उस फूल की असलियत पर रोशनी नहीं डालती।  यह महज उन असरों का बयान करती है जो गुलाब के फूल से हमारी बुद्धि के सूँघने, देखने वगैरह की कुव्वतों पर पड़ते हैं ।

 पस साबित हुआ कि बुद्धि की मार्फत किसी भी चीज की असलियत दरियाफ्त नहीं की जा सकती। आध्यात्मिक शक्ति साधन करने से जाती है। और साधन के लिए समय दरकार है। इसलिए सिर्फ धीर पुरुष ही साधन करके रफ्ता रफ्ता सत्य के दर्शन के अधिकारी बन सकते हैं।

 क्रमशः                                    

 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

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**परम गुरु हजूर साहबजी महाराज-【 शरण- आश्रम का सपूत 】-(तीसरा अंक )-[पहला दृश्य ]- (शाम के वक्त प्रेमबिहारीलाल समुद्र के किनारे उदास बैठा है और कहता है) प्रेमबिहारीलाल मुझे 1 साल इंग्लैंड आए हुए हो गया है और अभी तक गोहरेमकसूद हाथ नहीं आया है।  मुझे हुकुम मिला था कि मसनूई रेशम की साख्त का काम सीख कर आऊँ और इसी तरह से मुझे 3 साल के लिए वजीफा दिया गया था। मैंने वादा किया था कि जरूर यह काम सीख कर लौटूँगा लेकिन अफसोस ! मुझे मालिकान अपने कारखाने के फाटक के नजदीक फटकने तक की इजाजत नहीं देते। कितने शरीफ अंग्रेजों ने मुझे शिफारशी चिट्ठियाँ दी लेकिन मालिकान कारखानाजात बजिद है और उनका जिद्द करना बेजा नहीं है। अपने कारखाने के भेद दूसरों को क्यों बतावें। मुमकिन है दूसरा शख्स भेद सीखकर मुकाबिले के लिए खडा हो जाय। हमें खुद तजरुबात करके भेद दरियाफ्त करना होगा । मुझे ऐसा मुश्किल काम अपने जिम्में लेना नहीं चाहिए था। जरुर मेरे आन्दर बिना सोचे समझे मैंने वादा कर दिया था अपनी काबिलियत का घमंड था l गालिबन् उसी की सजा मिल रही है। उफ! मैं कुछ भी नहीं कर सकता लेकिन बगैर काम सीखे मेरा दयालबाग वापिस जाना मेरे लिए बाअसे शर्म होगा।  शोभावंती क्या कहेगी ? यही क्षत्रियों का खून था जिसपर नाज करते थे। उफ्! बेहतर होगा खुदकुशी कर लूँ। नहीं-नहीं , सभा ने मेरी तालीम व परवरिश पर हजारों रुपया खर्च किया। खुदकुशी करने से वह सब नष्ट हो जायगा और इल्जाम बदस्तूर बना रहेगा बल्कि दोचंद हो जायगा । शोभावन्ती मुझे हरगिज़ माफ न करेगी।  कामयाबी तो मौज के हाथ है ,कोशिश करना इंसान का काम है। अभी तो 2 वर्ष पड़े हैं ।अभी से घबराना चे मानी दारद। छीःछीः! दया का भरोसा छोड़ दिया । अभी 24 महीने बाकी है ।बहुत वक्त है। मुझे हिम्मत से काम लेना चाहिये।  जिस मालिक नहीं मेरी अवायल उम्र में सहायता की वह अब मेरी मदद करेगा । मैं उसी की सेवा के लिए तो घर से निकला हूँ। मैं क्यों निराश होऊँ। अभी से अफसोस क्यों करूँ।(आँखे मलता है। क्रमवः                            🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


**परम गुरु हुजूर महाराज -प्रेम पत्र- भाग 1- कल से आगे:-( 23 ) प्रेमी अभ्यासी जो चाहे तो शुरू ही से एक-एक स्थान पर थोड़ी थोड़ी देर अपने मन और सुरत को ठहरा कर सत्तलोक तक बराबर हर रोज ध्यान कर सकता है । और जब पोथी में से भेद और प्रेम के शब्दों का पाठ करे या सुने , तो उस वक्त जैसे जैसे उन शब्दों में स्थानों का जिक्र आता जावे उसे मुवाफिक स्थान स्थान पर अपने मन और सूरत से स्वरूप का ध्यान करे तो उसको पाठ का रस बहुत आवेगा। और उसके ध्यान का अभ्यास भी हर एक स्थान पर जल्दी पकता बढ़ता जावेगा यानी एक दम सत्तलोक तक के ध्यान का रास्ता जारी हो जावेगा । और जो ध्यान के साथ (अभ्यास के समय) नाम का सुमिरन भी करता जावेगा, तो और कोई ख्याल नहीं उठेंगे और अभ्यास में विघ्न नहीं डालेंगे, पर इस तरह का अभ्यास बगैर गहरे शोक और प्रेम के दुरुस्ती और आसानी से नहीं बन पड़ेगा। क्रमशः                             🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

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