Monday, December 21, 2020

सतसंग संस्कृति । 🌹🙏

 सतसंग संस्कृति  🌹🙏:

राधास्वामी!! 21-12-2020- आज शाम सतसंग में पढे जाने वाले पाठ:-                               

(1) मेरी प्यारी सहेली हो। क्यों जनम गँवाओ हो।।टेक।।दर्शन कर मेरे गुरु प्यारे का। निज भाग जगाओ हो।।-(ऐसी महिमा राधास्वामी निरखत-हरष हरष गुन गाओ हो।।) (प्रेमबानी-4-शब्द-8-पृ.सं.59-60)    

                                                   

 (2) जो जबाँ यारी करे खुल कर सुना आज दिल कोइ राग बज्में यार का।। कोई इनसे बढ के जो स्याना हुआ नफ्से मजमूँ सीख कर दाना हुआ।।-(आशिकी और प्रेम जानो एक चीज फरक बोली का है बस साहब तमीज।।) (प्रेमबिलास-शब्द-110-पृ.सं.163,164) 

                                               

 (3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।।        🙏🏻राधास्वामी🙏🏻


राधास्वामी!!     

                                  

  21-12 -2020 -आज शाम सत्संग में पढ़ा गया बचन- परसों से आगे -(91) -                         

इसी संबंध में जरा पतंजलि महाराज के योगदर्शन के समाधि पाद के चौबीसवेंं  सूत्र के अर्थ पर भी विचार कीजिये। फरमाया है कि " क्लेश, कर्म , कर्मों के फल और वासनाओं से जो छुआ नहीं गया वह पुरुषविशेष ईश्वर है"।  इस सूत्र का पंडित राजारामजी, प्रोफेसर डी०ए०वी०. कॉलेज लाहौर, ने निम्नांकित भाष्य लिखा है। भाष्य- जीवात्मा पुरुष है और परमात्मा भी पुरुष है ।भेद यह हैं कि अविद्या आदि क्लेश, शुभ अशुभ कर्म, कर्मों का फल और फल भोगने की वासनाएँ ये जीवात्मा के साथ संबंध रखती है। परमात्मा उनके संबंध से परे है। यद्यपि मुक्ति -अवस्था में संसारी पुरुषों को भी उनका संबंध नहीं रहता पर परमात्मा में तो तीनों कालों में उनका स्पर्श नहीं है। यही दूसरे पुरुषों से इसमें विशेषता है। वह सदा ही ईश्वर है और सदा ही मुक्त है" ( देखो योगदर्शन का अनुवाद, पृष्ठ 36) 

                     

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻

 यथार्थ प्रकाश- भाग दूसरा-

 परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!


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