Monday, December 21, 2020

दयालबाग़ सतसंग

 **राधास्वामी!! 21-12-2020- आज सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:-                                    

 (1) नाम निर्णय करूँ भाई। दुधाबिधी भेद बतलाई।।-(लखायक है यही धुन का। बिना गुरु फल नहीं किनका।।) (सारबचन-शब्द-पहला-बचन दसवाँ-पृ.सं.227)                                                          

  (2) आज मेरे मनुआँ गुरु सँग चल।।टेक।। उमँग सहित दरशन कर गुरु का। दीन होय सतसँग में रल।।-(राधास्वामी मेहर से काज बनावें। दूर करावें सब कलमल।।) (प्रेमबानी-2-शब्द-4-पृ.सं.317)                                           

  🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज -रोजाना वाक्यात-

कल से आगे:

- कहने लगे हमें यह मालूम करके बड़ी खुशी हुई कि राधास्वामी सत्संग में छूत अछूत का कुछ ख्याल नहीं है। मैंने अर्ज किया - हम लोग तो बरसो से हरिजन क्लास में शुमार किये जाते थे।  आप लोगों की बदौलत अब भले आदमियों में शुमार होने लगे हैं। 

आप से यह सुनकर बहुत खुशी हुई कि अछूत उद्धार की आंदोलन खूब कामयाब हो रही है। मेरी जाति राय है कि महज किसी अछूत को क्षत्रीय या बरहमन कह देने से या उसके सर पर चोटी रखने और गले में जनेऊ पहनने से उसके अंदर कोई तब्दीली नहीं हो जाती। इसलिए ऐसे लोगों को अनाप-शनाप तरीके से शुद्ध करके सोसाइटी में व्यवहार करने की खुली इजाजत दे देनी सोसाइटी का नुकसान करना है लेकिन बेचारों को अछूत घोषित करके नफरत की निगाह से देखना या उनसे घृणापूर्ण बर्ताव करना और उन्हें उबरने के लिए मौका न देना सरासर गुनाह है।

इस वक्त असली जरूरत अछूत भाइयों को अपने पाँव पर खड़े होने के मौके मुहैया करने की है।              एक मेहरबान ने जिनसे मुझे सौभाग्य मुलाकात हासिल नहीं है लाहौर से लिखा है कि राधास्वामी मत पर गैरों के अनुचित हमले पढ़कर तबीयत को बड़ा गुस्सा आता है इसलिए इरादा किया है कि अवतार के विषय के मुतअल्लिक़ काफी वाकफियत हासिल करके इन गालियाँ बकने वालों का मुँह बंद कर दूँ वगैरह-वगैरह। इनायत के लिये शुक्रिया। मगर आप अपने स्वयं को इस कष्ट में न डालें ।

क्रमशः                                     

  🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**



**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज

 -【शरण आश्रम का सपूत 】

कल से आगे -

(मजमा चियर्ज देता है।

शाह जवाब के लिए खड़े होते हैं। मजमा फिर चियर्ज देता है ) "मेरी जान से अजीज भाइयों और दोस्तों आज का दरबार हमें दो अगराज के लिए मुनअकिद किया है- अव्वल अपनी प्यारी इतालियन कौम का शुक्रिया अदा करने की गरज से उस इजहार हमदर्दी के लिए जो आप साहबों ने गत माह के वाकिआ के सिलसिले में हमारे साथ किया।  मैं खुश हूँ कि उस नाखुशगवार वाकिआ से यह खुशगवार नतीजा निकला कि दुनिया को मालूम हो गया कि शाह इटली व रिआया के दर्मियान किस तरह का मुहब्बताना रिश्ता कायम है। मेरे -नहीं नहीं- नौजवान इतालिया के दुश्मनों को मालूम हो गया कि मेरी रियाआ का बच्चा-बच्चा मेरे लिए खून बहाने को तैयार है । मैं सच्चे खुदा से दुआ करता हूँ कि वह बरकत दे कि मेरी जिंदगी का हर लम्हा मेरे प्यारे हमवतनों की खिदमत में सर्फ हो और मैं अपनी आँखों से अपने प्यारे मुल्क को दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की करता देखूँ।  मुझे अपने दुश्मनों की चन्दाँ परवाह नहीं है - क्योंकि मेरे दुश्मन कम है और दोस्त ज्यादा । मेरे प्यारे वतन के सर जमीन में ऐसा खास्सख है कि परदेसी भी यहाँ आकर शाह इतालिया कि अपनी जान देने को तैयार हो जाते हैं।(वक्फा)

                                            

 दूसरी गरज आज के दरबार की यह है कि मैं अपने मुअज्जिद सरदारों और सल्तनत के रुकनों के रूबरू उनके बादशाह की जान बचाने वाले नौजवान की खिदमत का ऐतराफ करूँ।  प्रेमबिहारीलाल! ( कर्नल साहब  खड़ा कर देते हैं ) यहाँ आओ , हमारे पास खड़े हो ताकि नौजवान इतालिया के सरदार तुम्हें अच्छी तरह देख सकें( लँगडाता हुआ आगे बढ़ता है और अदब से शाह से कुछ फासले पर खड़ा होता है ) यह है वह नौजवान जिसने पिछले माह हमारी जान बचाई (चियर्ज)    

                                      

प्रेमबिहारीलाल ! तुम मुल्के हिंदुस्तान के एट नौनिहाल हो । मुझे तुम्हारी गुजिश्ता जिन्दगी के कुल हालात मालूम हो गये हैं । वह सोसाइटी मुबारक है जिसने तुम्हें तालीम दी और इस काबिल बनाया कि तुम मेरे प्यारे मुल्क में आकर कारहाय नुमायाँ दिखलाओ (चियर्ज ) तुमने करीब 4 माह हुए एक नौजवान इटालियन खातून की जान बचाई और उसकी खातिर पीठ में जख्म खाया (चियर्ज) इस बहादूरी की एवज में तुम्हें हमारे मुहक्मा खुफिया पुलिस की चीफ कॉन्स्टेबली का ऐजाज अता हुआ ( चियर्ज)

क्रमशः                                

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**



**परम गुरु हुजूर महाराज- प्रेम पत्र- भाग 1-

कल से आगे-( 11 )

जो कठिनता और मुश्किल इस काम में यानी प्रमार्थी अभ्यास में मालूम होती है, वह कमी विश्वास और कमी शौक और कमजोरी चाह और कमी तवज्जह के सबब से पेश आती है, या यह  कि पुरानी आदत के मुआफिक परमार्थी काम के वक्त दुनियाँ के ख्याल ले बैठे तो अलबस्ता पूरा पूरा रस नहीं मिलेगा और शौक और चाह भी उसके साथ तवज्जह भी हल्की रहेगी ।

जैसे कि दुनियाँ के जिन कामों में लगन नहीं होती या कम होती है तो वह जैसा चाहिए दुरुस्त नहीं बनते , ऐसे ही जो परमार्थ में भी चाह और तवज्जह कम होगी तो धार कमजोर और दुबली उठेगी और बीच में दुनियाँ के ख्यालों के सबब से गिर गिर पड़ेगी। तो प्रमार्थी काम भी जैसा चाहिए दुरुस्त नहीं बन पड़ेगा, यानी पूरा पूरा रस नहीं आवेगा और शौक नहीं बढ़ेगा।।                                                  

(12) इस वास्ते परमार्थी जीवो को चाहिए कि अपनी तवज्जह के बदलने में होशियारी और एहतियात, जिस कदर बने, वक्त अभ्यास के करते रहें, यानी परमार्थी काम के साथ जहाँ तक बने संसारी काम न मिलावें। और संत सतगुरु के सत्संग और बानी बचन से मदद लेकर अपना अभ्यास, जिस कदर हो सके, दुरुस्ती के साथ करते रहें और सच्चे माता पिता कुल मालिक राधास्वामी दयाल की सरध दृढ़ करें ,तो उनकी मेहर और दया और अपनी मेहनत और कोशिश से दिन दिन काम बनता जावेगा और प्रीति और प्रतीति चरणों में बढ़ती जावेगी।और फिर काम भी बहुत आसान हो जावेगा क्योंकि जब तक प्रीति और प्रतीति मामूली दर्जे की है जब ही तक दिक्कत और कठिनाई अभ्यास में मालूम होती है, और जब यह दोनों बनने लगी तब दिन दिन अभ्यास में आसानी होती जावेगी और रस और आनंद भी बढ़ता जावेगा। और एक दिन काम पूरा हो जावेगा।

क्रमशः🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**

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