Wednesday, December 23, 2020

दयालबाग़ सतसंग शाम 23/12

 **राधास्वामी!! 23-12-2020-आज शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-                                    

 (1) तुम जीते सुरत चढाओ। मुए पर क्या करिहौ।।-(राधास्वामी का दर्शन पाकर। चरनन लिपट रहो।।) (प्रेमबानी-4-शब्द-1भाग-७-पृ.सं.62)                                                               

 (2) जो जबाँ यारी करे खुल कर सुना आज दिल कोई राग बज्मे यार का।। आखिरश किस्मत ने की जब यावरी। मुजद: ले आई सबा यकबारगी।।-(और पता जो चाहे पूरा जान ले राधास्वामी की सरन मन ठान ले।।) (प्रेमबिलास-शब्द-110-पृ.सं.165,166)              

(3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।।           🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


**राधास्वामी!!    

                                               

आज शाम सत्संग में पढ़ा गया बचन-

कल से आगे-                                         

   (95)

 मुंडक उपनिषद में यह विषय अन्य स्थान पर और भी स्पष्ट कर दिया गया है। हमारा अभिप्राय तीसरे मुंडक के दूसरे खंड के आठवें और नौवें श्लोको से हैं।  इन श्लोकों का अर्थ ये है- "जिस प्रकार बहती हुई नदियाँ समुद्र में अस्त हो जाती है (अर्थात समुद्र में प्रवेश करके लुप्त हो जाती है) और अपना नाम -रूप खो देती है इसी प्रकार ब्रह्म का जानने वाला नाम और रूप से अलग होकर परे से परे जो दिव्य पुरुष है उसको प्राप्त होता हैl 

(८)।

   वह जो इस परम ब्रह्म को जानता है ब्रह्म ही हो जाता है"  इत्यादि (९)।  क्या किसी आर्य या हिंदू भाई को अब भी सतगुरु की स्थिति (पोजीशन ) के संबंध में संशय और भ्रम रह जायगा?                             

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻 यथार्थ प्रकाश- भाग दूसरा

-परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**


🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏


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