Monday, December 21, 2020

मेहताजी महाराज के बचन

 20/12/020 को भंडारे के समय पढा गया बचन 

परम गुरु हुज़ूर मेहताजी महाराज के बचन

भाग 1, बचन (119)


            27 दिसम्बर, 1943 को प्रातः काल आरती के बाद हुज़ूर ने फ़रमाया- आज हुज़ूर महाराज का भंडारा मनाया जा रहा है, आपको ज्ञात है कि हुज़ूर महाराज ने स्वामीजी महाराज से जगत का उद्धार करने की प्रार्थना की थी। स्वामीजी महाराज संसार में जगत का उद्धार करने के लिये तशरीफ़ लाये थे। स्वामीजी महाराज ने हुज़ूर महाराज को अपनी सेवा का अवसर प्रदान किया और उन्होंने दिल खोल कर सेवा की। और हम लोगों के लिये गुरु की भक्ति और सेवा का एक अत्यंत उच्च उदाहरण उपस्थित किया जिससे कि सब लोग उनका अनुकरण करने का प्रयत्न करें। आपको यह भी अच्छी तरह से याद होगा कि हुज़ूर साहबजी महाराज ने यह घोषित किया कि राधास्वामी दयाल ने इस संगत को संसार और प्राणीमात्र की सेवा करने के लिए चुन लिया है। इसलिये इस समय ऊपर की तीनों बातों को ध्यान में रखते हुए यही बात उचित मालूम होती है और सआदतमंदी इसी में है कि हम सब लोग राधास्वामी दयाल के बड़े दरबार के स्तंभ होते हुए जो भी उन दयाल की आज्ञाएँ या मिशन या घोषणा हमको मालूम हो चुकी हैं उन सबके बारे में राधास्वामी दयाल के चरणों में प्रार्थना करें। वह दाता दयाल सतसंग के मेम्बरों को योग्यता और शक्ति इस बात की प्रदान करें कि वे उनके मिशन या आज्ञा या घोषणा को पूरा करने और काम में लाने के लिये जहाँ तक हो सके, सफल हों। वह दयाल संगत के सब मेम्बरों को जगत की सेवा करने का अवसर और सेवा करने के लिये बुलंद हौसला बख़्शें जिससे कि वे बड़े पैमाने पर सेवा कर सकें। जैसी भी समय की आवश्यकता हो और जहाँ भी सेवा लेने के लिये मौज व आज्ञा हो, उसके अनुसार हमसे सेवा लें। हम सब लोग उसके अनुसार तैयार हो जायँ। हमारे मन में एक क्षण के लिये भी यह विचार न आवे कि हम इस तरह से सेवा करेंगे, दूसरी तरह से नहीं।

राधास्वामी

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