Saturday, March 20, 2021

नाथ सम्प्रदाय एक सिद्ध सम्प्रदाय है।

 *पूरी दुनिया में है नाथ पंथ का विस्तार: सीएम योगी


नाथ सम्प्रदाय एक सिद्ध सम्प्रदाय है।


यूपी के मुख्यमंत्री श्री आदित्य नाथ योगी ने कहा कि- तिब्बत से लेकर श्रीलंका, दक्षिण पूर्व एशिया से जुड़े देश और भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान में भी नाथ सम्प्रदाय से जुड़े मठ-मंदिर मिल जाएंगे. नाथ सम्प्रदाय एक सिद्ध सम्प्रदाय है।


सी एम योगी ने गोरखपुर विश्वविद्यालय में 'नाथ पंथ का वैश्विक प्रदेय' विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय गोष्ठी का किया शुभारंभ*

*पुराने संस्मरण को याद कर सीएम ने सुनाई नाथ सम्प्रदाय की कई कहानियां*

प्रस्तुति - राजेश सिन्हा

 गोरखपुर, 20 मार्च।


 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि नाथ पंथ की परम्परा आदिनाथ भगवान शिव से प्रारम्भ होती है, फिर नवनाथ 84 सिद्धों को लेकर आगे बढ़ती है। तिब्बत से लेकर श्रीलंका तक देख सकते हैं और दक्षिण पूर्व एशिया से जुड़े देश हैं, वहां पर भी नाथ सम्प्रदाय से जुड़े मठ-मंदिर मिल जाएंगे।

साथ ही वृहत्तर भारत, जिसमें बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान भी आते हैं, वहां भी गुफा और खोह मिल जाएंगे। पूरी दुनिया में नाथ पंथ का विस्तार है। ये काफी समृद्ध परंपरा है। कभी इसने सामाजिक विखंडन नहीं किया, विकृतियों के खिलाफ नाथ सम्प्रदाय के योगियों ने आवाज उठाई।

यह बातें उन्होंने शनिवार को गोरखपुर विश्वविद्यालय में 'नाथ पंथ के वैश्विक प्रदेय' विषय पर आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय गोष्ठी के शुभारंभ के दौरान कहीं। उन्होंने कहा कि मैं जब नाथ पंथ की बात करता हूं, तो वास्तव में ये सिद्ध सम्प्रदाय है। इस सम्प्रदाय में योगियों, संतों से जुड़ी बहुत सी घटनाएं हैं, जो हमको इस पंथ से जुड़ने को बाध्य कर देती हैं।

उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति, समाज या संस्था कभी भी अपनी परम्परा, संस्कृति और इतिहास को विस्मृत करके कोई भी लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकता। अपनी परम्परा, संस्कृति और विरासत को विस्मृत करके व्यक्ति त्रिशंकु की तरह छोड़ तो सकता है, क्योंकि त्रिशंकु का कोई लक्ष्य नहीं होता।

 खासतौर पर विश्वविद्यालय या शिक्षा से जुड़े केंद्र अगर त्रिशंकु बनकर छोड़ते दिखाई देंगे, तो वह समाज के किसी भी व्यापक क्षेत्र में परिवर्तन नहीं कर पाएंगे। 


*नाथ सम्प्रदाय से जुड़ी घटना को किया याद*

पिछले सप्ताह की घटना है, मैं लखनऊ में था। एक पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित महिला ने मिलने का समय मांगा। उन्हें लखनऊ में एक संस्था ने सम्मानित किया था। वह सपेरा समुदाय से थीं, उन्होंने कहा कि मैं सपेरा समुदाय से हूं और मैं नाथ सम्प्रदाय से जुड़ी हूं। ये राजस्थान की एक विधा है, उस कला से जुड़ी हूं। मैं इसे वैश्विक मंच पर ले गई हूं और अब तक 165 देशों में इसका प्रदर्शन कर चुकी हूं, लेकिन हमारे सपेरा समुदाय की एक गलत परम्परा है कि कन्या पैदा होने पर उसे दफना दिया जाता है। मुझे भी मेरे जन्म के समय दफना दिया गया था, लेकिन मेरी मौसी को पता लगा, तो उन्होंने मुझे बाहर निकाला और साथ ले लेती गईं।

 फिर मेरा समय खानाबदोश ही बीता। बाद में मैंने जब अपने बंजारे जिंदगी के बारे में पता किया, तो मुझे पता चला कि मेरा जन्म नाथ सम्प्रदाय से है। आज जब भारत सरकार ने मुझे सम्मान दिया, तो मेरे सपेरा समुदाय की सोच बदली। राजस्थान में भी सम्मान मिला।


*सीएम योगी ने लोगों के बीच साझा किए अपने संस्मरण* 

मुख्यमंत्री ने कहा कि दीपावली के बाद मैं अयोध्या में था, मेरे साथ एक संस्मरण हुआ। मैं ब्रह्ममुहूर्त में ध्यान में लीन था। सहसा मुझे लगा कि कोई मुझे आवाज़ दे रहा है, आदित्यनाथ जी हम पर भी ध्यान दीजिए।

उस वक्त मुझे अनुभव हुआ कि मेरे सामने हिमालय के कुछ दृश्य चल रहे थे। उन आवाज को सुनकर मैंने महसूस किया। दीपोत्सव के बाद मैं गोरखपुर गया। गोरखपुर से मैंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को फोन किया। मैंने कहा, मैं केदारनाथ और बदरीनाथ जी के लिए आना चाहता हूं। कपाट कब बन्द होंगे?

 उन्होंने कहा कि केदारनाथ जी के कपाट तो कल बन्द हो रहे हैं, जबकि बदरीनाथ जी के कपाट तीन दिन बाद बन्द होंगे। फिर मैंने पूछा मौसम कैसा है... इस समय, उन्होंने कहा आप कार्यक्रम बनाइए मैं व्यवस्था करता हूं, फिर मैंने वहां जाने का कार्यक्रम बनाया। पहले हम देहरादून गए, फिर देहरादून से केदारनाथ पहुंच गए। केदारनाथ में मैं देखना चाहता था, आखिर वह आवाज मेरे पास कहां से आई? खैर वहां पुनरुद्धार का कार्य चल रहा है, जो केदारनाथ छह वर्ष पूर्व पूरी तरह उजड़ गया था, वह आज नए स्वरूप में आ रहा है।

उन्होंने कहा कि जैसे मैं वहां पहुंचा, वहां भारी बर्फबारी हो रही थी, लिहाजा मुझे 24 घण्टे वहां रुकना पड़ा। 24 घण्टे बाद फिर मैं बदरीनाथ के लिए निकला। बदरीनाथ में दर्शन किए। दर्शन करने के पश्चात मैं ऐसे ही मंदिर के बाहर निकला। मंदिर के पीछे की ओर निकला, तो वहां मुझे अनुभव हुआ, मुझे वह दृश्य याद आने लगे, जो तीन दिन पहले के दृश्य मेरे सामने थे। वह यहां के ही दृश्य थे। मैंने कहा, ये चित्र कैसा है? ये योगी कौन हैं? क्योंकि वह चित्र मंदिर के ठीक पीछे रखा था।

 शंकराचार्य जी की मूर्ति के ठीक पीछे रखा था, तो मुझे मंदिर व्यवस्था से जुड़े लोगों ने बताया कि ये योगी सुन्दरनाथ जी हैं। नाथ सम्प्रदाय के बहुत सिद्ध योगी हैं, तो मैंने कहा, सुन्दरनाथ जी ही मुझे आह्वान कर रहे थे कि हम लोगों के बारे में भी कुछ सोचिए। मैंने वहां के डीएम से बात की, जो गोरखपुर की ही लड़की है। मैंने कहा कि तब तो यहां सुन्दरनाथ जी की गुफा भी होगी। उसने कहा कि है जरूर, लेकिन बर्फ गिर चुकी है, सब कुछ बर्फ से ढंक चुका है। फिर भी मैं दो-तीन दिन में उस जगह को ढूंढकर, उसके बारे में आपको जानकारी देती हूं।

खैर दो दिन बाद डीएम ने मुझे वहां के कुछ फोटोग्राफ वगैरह भेजे, फिर मेरे सामने वह सारे तथ्य आए कि वास्तव में योगी सुन्दरनाथ जी ही मेरा आह्वान कर रहे थे कि आकर इस गुफा को देखो और इसका उद्धार करो। अब इसके बाद जब वहां कपाट खुलेंगे, तो हम उसकी व्यवस्था करेंगे, तो ये नाथ सम्प्रदाय एक सिद्ध सम्प्रदाय है।

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