Monday, March 22, 2021

सतसंग RS शाम 22/03

 **राधास्वामी!! 22-03-2021-आज शाम सतसँग में पढे गये पाठ:-                                  

 (1) सखी री मेरे पायारे का कृ दीदार।

 सखी री उन चरनों का कर आधार।।-

(पकड राधास्वामी चरन सम्हार।

 मेहर से पहुँचे धुर दरबार।।)

(प्रेमबानी-1-शब्द-3-पृ.सं.80-विशाखापत्तनम-दयालनगर ब्राँच-183 उपस्थिति)   

                                             

  (2) राधास्वामी दाता दीनदयाला।

 दास दासी को लेव सम्हालो।।

-(अनेक खयाल में रहे भरमाई।

अनेक काज की चिन्ता लाई।।)

 (प्रेमबानी-4-शब्द-9-पृ.सं.138,139)      

                                                             

(3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा कल से आगे।       

 सतसँग के बाद।।                                            

  सतसँग के बाद:-                                             

 (1) राधास्वामी मूल नाम।।                                 

(2) अतोला तेरी कर न सके कोई तोल।।                                                                         

 (3) बढत सतसँग अब दिन दिन। अहा हा हा ओहो हो हो।।                             

 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻


**राधास्वामी!! 22- 03- 2021

-आज शाम से सतसँग में पढा गया बचन

-परसों से आगे-( 193 )-

और दूसरा प्रश्न में उपस्थित होता है कि यदि ईश्वर को सच्चिदानंदस्वरूप माना जाता है तो यह अनिवार्य है कि सचमुच उसने सच्चिदानंदस्वरूप धारण किया हो ।

शास्त्रों में ईश्वर की दो अवस्थाएँ निर्धारित की हैं :-"अव्यक्त" और "व्यक्त" अर्थात गुप्त और प्रकट । गुप्त अवस्था में तो ईश्वर और अनाम रहता है केवल प्रकट अवस्था में उसका रूप और नाम हो सकता हैl

इसलिए यदि वस्तुतः ईश्वर में सत्त चित्त और आनंद ये गुण विद्यमान हैं तो सृष्टिकाल अर्थात वर्तमान दशा में, जबकि वह सृष्टि में प्रकट है, उसके सच्चिदानंदस्वरूप का पूरा पूरा प्रकाश होना चाहिए किंतु इस पृथ्वीलोक में तो उसकी सत्ता आदि का अत्यंत न्यून प्रकाश है क्योंकि यहाँ प्रतिक्षण परिवर्तन और विनाश हो रहा है।

उसकी ज्ञानशक्ति भी उतनी ही मात्रा में प्रकट हैं जितनी कि उसके दिये हुए वेदों से या पृथ्वीलोक में वर्तमान सृष्टि-नियमों से प्रकट होती है। और यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि ईश्वर के इस लोक में व्यापक और उसकी चित्त अर्थात् ज्ञानशक्ति के प्रकाशित होते हुए भी संसार अज्ञान से भरा है।

क्रमशः।         

                                                                                          🙏🏻राधास्वामी🙏🏻 यथार्थ प्रकाश-

भाग दूसरा- परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!


🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

No comments:

Post a Comment

सूर्य को जल चढ़ाने का अर्थ

  प्रस्तुति - रामरूप यादव  सूर्य को सभी ग्रहों में श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि सभी ग्रह सूर्य के ही चक्कर लगाते है इसलिए सभी ग्रहो में सूर्...