Thursday, March 18, 2021

सतसंगी आचरण जरूरी हैं

 A.यदि किसी सत्संगी को दुःख में देखो तो उसका सहारा बनने की कोशिश करो। क्योंकि मालिक को वही शख्श प्यारा लगता हैं जो उसके प्यारो की मदद करता हैं।

B.यदि स्वयं को मालिक के चरणो में अर्पित कर रखा हैं। तब आपका कोई काम अधूरा नही रहेगा। क्योंकि अब आपका काम मालिक की जिम्मेदारी बन जाता हैं।

C.वह सत्संगी बहुत अच्छा हैं जो मालिक को याद करता हैं। और वह सत्संगी बड़भागी हैं जिसे मालिक याद करते हैं।

D.यदि सत्संगी की विनती में उसकी अंतरआत्मा की पुकार भी शामिल हो जाये तो मालिक की कार्रवाई भी फ़ौरन होगी।

E.किसी सत्संगी द्वारा आपको या फिर आप के विषय में भला-बुरा कहे जाने पर इतना जरूर समझ ले कि उसमें मालिक की रजा शामिल हैं। और उसमें तुम्हारा कोई विशेष लाभ छिपा हुआ हैं।

F.सुरत की जुबां से किया गया सुमिरन विशेष कर लाभकारी होता हैं।

G. अंतर की आँख न भी खुले कोई बात नही लेकिन सुमिरन,ध्यान,भजन में कभी भी कोताही  न हो। बाकी मालिक स्वयं देखेंगे।

H.किसी सत्संगी की गलती देखने से बेहतर हैं कि स्वयं के दोष दूर करने में समय व्यतीत करे।

I.जिस सत्संगी ने पाँचो चोरो पर विजय प्राप्त कर ली। वह सतगुरु का प्यारा हो गया। लेकिन यह भी सतगुरु की दया के बिना संभव ही नही है। 

🙏🙏

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