Monday, March 22, 2021

.........पर दया का सागर उमड़ने लगा ।

  पर दया का सागर उमड़ने लगा ।

अपने बच्चों के पश्चाताप का असर यह हुआ।

 एलान पल भर में जारी कर दिया।

  सबको खेतों में बुला ही लिया।


पाकर फरमान दया से भरा।

 प्रेमियों का हिया शतधा उमड़ने लगा।

  सैलाब उनका खेतों को चल दिया ।

  दाता जी के दुलार ने सबको मगन कर दिया। प्यारे दादाजी के दर्शन पाऊं हंसने लगी

  

खेतों की रौनक का करूं क्या मैं बयां ।

हर हाथ में दराती का औजार था।

 खेतों को काटते सब आगे बढ़ने लगे।

 प्यारे दाता जी के दर्शन पा हुलसने लगे।

 

भंडारा दाता जी के साथ था ।

सत्संग और कव्वाली का गान था।

सब मगन थे दया का उमड़ा सैलाब था ।

उनके प्यार दुलार का न वार पार था।


हर्षोल्लास से पूरा हुआ सब काम ।

प्रफुल्लित सभी छुट्टी पर घर को चले ।

मेहता जी महाराज का भंडारा संपन्न हुआ।

 सबका मन आल्हा से था भर गया।

 

 दाता जी के हम बच्चे गुनाहगार हैं ।

 कई कमजोरियों के हम शिकार हैं।

  उनकी दया के तो फिर भी हकदार हैं ।

  सुधार लेंगे हमें इसका एतकादहै ।

  

बस यूं ही हमें अपना बनाए रखना ।

काल और माया से बचाए रखना ।

शीश पर धरकर दया से भरा हाथ ।

अपने चरणों से हमको लगाए रखना।


🙏🙏राधा स्वामी संत सतगुरु 🙏🙏


प्रस्तुति - दीपा शरण 

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