Monday, April 5, 2021

सतसंग सुबह 05/04

 **राधास्वामी!! 05-04-2021-आज शाम सतसँग में पढे गये पाठ:-                                   

 (1) दया के सिंध सतगुरु। जीवन के हितकारी हो।।-(राधास्वामी दरशन पाये। हुई उन चरनन प्यारी हो।।) (प्रेमबानी-3-शब्द-1-पृ.सं.261,262-डेढगाँव ब्राँच -80-उपस्तिथी।)  

                                                              

(2) भाग भरी स्रुत सतसँग करती। गुरु चरनन लिपटाय।।-(चरन सरन राधास्वामी दृढ कर। दया भरोसा लाय।।) (प्रेमबानी-4-शब्द-15-पृ.सं.152)    

                                                     

(3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।      

  सतसँग के बाद:-                                            

   (1) राधास्वामी मूल नाम।।                                 

(2) अतोला तेरी कर न सके कोई तोल।।                                                                  

(3) बढत सतसँग अब दिन दिन। अहा हा हा ओहो हो हो।।                                      

    🙏🏻राधास्वामी🙏🏻


**राधास्वामी!! 05-04-2021

- आज शाम सतसँग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे:-(198) का शेष भाग:-                                            

अतएव राधास्वामी मत में तीनों भागों के छः छः स्थानों के नाम रुप आदि बतलाए जाते हैं। सहसदलकमल, त्रिकुटी आदि ब्रहमांड के स्थानों के नाम हैं और सत्तलोक, अलख, अगम आदि निर्मल चेतन देश के स्थानों के। जिस शब्द को दृष्टि में रखकर आपने आक्षेप किया है उसमें सहसदलकमल के नीचे के स्थान और एक ऊपर का स्थान छोड़कर सात स्थानों का वर्णन हुआ है।

 अब आप फरमाइये कि आपके हिरण्यमय  और बुद्धिर्मय ( या बुद्धिमय जो आपको पसंद हो) आदि लोको के लिए कौन सा स्थान निर्धारित होगा?

जो कि निर्मल चेतन देश का वर्णन वेदों में नहीं है इसलिए उस देश में तो आप अपने लोकों को स्थान देना न चाहेंगे। पृथ्वी के अंदर या इर्द-गिर्द जलो का चौथा लोक माना गया है जिसे जीतने की कोई समझदार मनुष्य इच्छा न करेगा।

संभवतः यह देश आपको प्रिय होगा क्योंकि आप वहाँ स्वच्छंदतापूर्वक विश्राम कर सकते हैं। इस चौथे लोक का हाल ऐतरेय उपनिषद के पहले खंड के अंत में सविस्तार वर्णित हुआ है । जो हो आपके पहले प्रश्न का उत्तर आ गया , अब शेष 3 का नीचे दिया जाता है।

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻                                             

यथार्थ प्रकाश- भाग दूसरा

-परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!


🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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