Sunday, April 4, 2021

प्रेमपत्र भाग -2 का शुभारंम

 *🌹राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय!  हुजूर राधास्वामी दयाल की दया व मेहर से आज से हम【 प्रेम पत्र भाग 2】 शुरू करने जा रहे हैं l दाता दयाल के चरणों में प्रार्थना है कि हमसे जाने अनजा2ने में कोई त्रुटि हो जायें तो उसके लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं।        

                                                     

🙏🙏🏻राधास्वामी🙏🏻🌹**🙏🙏राधास्वामी 🙏🙏


**परम गुरु हुजूर महाराज- प्रेम पत्र- भाग -2-

बचन-1-[ राधास्वामी मत वालों का बरताव अपने मन और इंद्रियों के साथ]

:-(1)- जो कोई सच्चा होकर परमार्थ में लगे और राधास्वामी संगत में शामिल होकर उसके मुआफिक अभ्यास शुरू करें, तो उसको चाहिये कि अपने मन और इंद्रियों की चौकीदारी करने की आदत डाले, यानी इनकी चाल ढाल की निरख परख करता रहे कि फज़ूल कामों और फजूल ख्यालों और फजूल चीजों में किस कदर मन और इन्द्रियाँ बहती रहती हैं और उन कामों और ख्यालों और चीजों से इनको, जब जब उस तरफ़ को जावें, रोकता रहे ।      

                                  

 (2)- यह काम एक दिन या जल्दी का नहीं है। जन्मानजन्म और जुगानजुग और सालहासाल से यह मन इन्द्रियों के वसीले से मुनासिब और नाममुनासिब और जरूरी और फजूल ख्यालों और कामों और पदार्थों में भटकता रहता है और कहीं भी इस पर पूरी शांति या ठहराऊ आनंद, कि जिसके पीछे फिर तृष्णा या इच्छा उससे बढ़कर दूसरे भोग की पैदा न होवे, नहीं मिलता है।

इस सबब से यह मन हमेशा दुःखी और भोगों की चाह की चिंता में सदा मलीन और उदास रहता है और जब देखो किसी न किसी मतलब के वास्ते जतन यानी मेहनत और मशक्कत करता रहता है।

क्रमशः                                                        

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻


🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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