Tuesday, February 25, 2020

जीवन के मनमोहक प्रसंग






प्रस्तुति -  ममता दीपा सुनीता
 और रीना शरण

[14/02, 00:14] Mamta Vodafone: *आपने  जैसे  ही  सोच  लिया  कि  आज  से  मैं   2:30 घंटे  भजन-सिमरन  करूँगा  ,  तो  काल  उधर  सतर्क  हो  जाता  है  ,  काल  बहुत  बड़ी  जबरदस्त  ताकत  है  ,  काल  के  घर  में  जैसे  आग  लग  जाती  है  , ,  वो  दस  तरह  के  जाल  फेकेगा  की  ये  रूह  दयाल  के  पास  ना  जाये  ।*
*पर  सन्त  कहते  हैं  की  आपको  कुछ  नहीं  सोचना  है  , बस  अपनी  असली  सेवा  में  बैठे  रहना  है  ,  चाहे   मन  लगे  लगे  ,  ना  लगे  ना  लगे  ,  दयाल  खुद  ही  निपटेगा  उस  शक्ति  से  हमारा  काम  है  बैठना  । ।*


[14/02, 00:14] Mamta Vodafone: *"विचार" सबके "गतिशील" व "भिन्न" होते हैं*

*इसका "जीवंत उदाहरण" है कि "सब्जी" की "टोकरी" में से हर "व्यक्ति" सब्जी "छांटता" है*
*और "मजे की बात" है कि "बिक" भी पूरी ही जाती है*

*"रिश्ते" और "बर्फ" के गोले "एक समान" ही होते हैं*
*जिसे "बनाना" तो "आसान" होता है पर "बचाना" बहुत "मुश्किल"*
*दोनों को "बचाए" रखने का बस एक ही "तरीका" है*
*"शीतलता" बनाए "रखिए"*


*🙏🏻 शुभ रात्रि 🙏🏻*
  *🌺 राधास्वामी🌺*


*मालिक जी सबका भला करें*
        👉🏻🤚🏻🇮🇳🤚🏻👈🏻

🌺🌸🌷🙊🙉🙈🌷🌸🌹
[19/02, 20:13] Mamta Vodafone:
 *

ज़िंदगी में आईना,*
*जब भी उठाया करो...*
*... "पहले देखो",*
*फिर "दिखाया करो".. !*     
   *दूसरों की ख़ुशी में*
          *अपनी ख़ुशी देखना*
          *एक बहुत बड़ा हुनर है ।*
          *और जो इंसान ये*
         *हुनर सीख जाता है*
          *वो कभी भी दुखी*
          *नही होता ।*🍁
🙏 *सुप्रभात* 🙏


[19/02, 20:13] Mamta Vodafone: *

जरूर कोई तो लिखता होगा, कागज और पत्थर का भी नसीब...*

*""वरना ये मुमकिन नहीं की, कोई पत्थर ठोकर खाये और कोई पत्थर भगवान् बन जाये..*

 *और कोई कागज रद्दी और कोई कागज गीता  बन जाये..*
       
   🌹🙏सुप्रभात🙏🌹

[19/02, 20:13] Mamta Vodafone:

मेरे सतगुरु जी

बन कर मेरा साया ....मेरा साथ निभाना
"मेरे सतगुरु "
मैं जहाँ - जहाँ जाऊं .......तुम
वही - वही आना
" मेरे सतगुरु "

साया तो छोड़ जाता है .....साथ अधेरें में..
लेकिन तुम अधेरें में, मेरा उजाला बन जाना
         " मेरे सतगुरु


[19/02, 20:13] Mamta Vodafone:

*ख़ुद मझधार में होकर भी जो औरों का साहिल होता है , राधास्वामी दयाल भी जिम्मेदारी उसी को देता हैं जो निभाने के क़ाबिल होता है.....*


[23/02, 13:58] Mamta Vodafone:


*जिदंगी मे अच्छे लोगो की तलाश मत करो*
*खुद अच्छे बन जाओ आपसे मिलकर शायद किसी की तलाश पूरी हो।*

*ख्वाहिशों ने सिखाया कि मचलना कैसे है....*

*तो हकीकत ने सिखाया चुप रहकर जीना कैसे है .....!!*


[23/02, 13:58] Mamta Vodafone:

 *हमारी शिक्षा, हमारी समझदारी उस समय

शून्य हो जाती है, जब हम गुस्से और अपनी जबान पर नियन्त्रण खो देते है*
[26/02, 08:23] Mamta Vodafone: **परम गुरु हुजूर महाराज- प्रेमपत्र -कल से आगे -और मालूम हो कि तरकीब संतों के अभ्यास की ऐसी आसान है कि जिसको लड़का, जवान और बूढ़ा, स्त्री और पुरुष, पढा और अनपढ़, गृहस्थ और विरक्त सब कर सकते हैं । एक नशे की चीज और गोश्त का खाना मना है। गोश्त खाने से दिल सख्त और मोटा होता है और इसकी तवज्जुह बाहर की तरफ होती है और जिस जानवर का गोश्त खाया जाएगा उसका भी असर तबीयत में आएगा। और नशे की चीज के इस्तेमाल से दिमाग की रगों में खलल पैदा होता है। और यह भी शर्त है कि अभ्यासी किसी शख्स को अपनी निजी फायदे या मतलब के लिए दुख ना दें, मन करके सबको सुख पहुंचावे, नहीं तो दुख देने से तो बचे।।               

और खाने-पीने में इस कदर होशियारी रखें कि बहुत पेट भर कर ना खावे, किसी कदर हल्का रहे जिससे सुस्ती और नींद ना आवे । सिर्फ यह शर्ते दरकार है ।

बाकी अभ्यास की तरकीब ऐसी है कि बहुत आराम के साथ उसकी कार्रवाई हो सकती है और सब जगह और सब वक्त बन सकती है। किसी तरह की रोक टोक नहीं है। और इस अभ्यास में सांस का रोकना नहीं होता है। और मतो  में स्वाँस का रोकना बताया है, इस सबब से वह अभ्यास किसी से नहीं बना। और उसमें परहेज और खतरे सख्त है ।

 इस सबब से गृहस्थ से तो बिल्कुल नहीं बन सकता और बिरक्त के वास्ते भी मुश्किल और खतरनाक है।।                                   
  अब चाहिए कि सूरत को आशा अपने निज घर की बँधवा कर आहिस्ता आहिस्ता काम चल निकलेगा,पर इसकी मियाद मुकर्रर हो सकती है कि किस कदर अरस में  काम पूरा होगा। यह अनुरागी के शौक पर निर्भर है, जिस का कदर शौक तेज होगा उसी कदर रास्ता जल्दी तय होगा ।।                       चलने का रास्ता यह है कि जिस धार पर या सड़क से सुरत आई है उसी रास्ते से जाना होगा।।               

    रचना में कुल कारखाना धारों का है, ख्वाह वह नजर आवें या नही।  जैसे जब हम देखते हैं तब रोशनी की धार आती है, जब सुनते हैं जब शब्द की धार , जब सूंघते है तब खुशबू या बदबू की धार आती है । और सूरज की रोशनी के जरिए यहाँ किरनों के जरिये से आती है।

ऐसे ही सुरत किरण जिस धार की उतर कर आई है उसी धार पर उसको सवार करा कर ऊंचे की तरफ को चलना चाहिए। क्रमशः 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**




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