Friday, February 28, 2020

आज 28/02 को दयालबाग में सुबह शाम का सत्संग बचन



प्रस्तुति - अरुण /अगम/
 अजय-विमला यादव

[28/02, 03:26] +91 94162 65214: राधास्वामी!! 28-02-2020- आज सुबह के सतसंग में पढे गये पाठ :-                         (1) मैं प्यारी प्यारी राधास्वामी की। गुन गाऊँ उनका सार।। मैं प्यारी प्यारे राधास्वामी की। भरम भी भागा बाजी तार।। (सारबचन-शब्द-दूसरा,पे.न. 42)                                                                               (2) सुरतिया आन पडी। सतसँग में तज घर बार।। (प्रेमबानी-2,शब्द-77,पे.न.195)        🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
[28/02, 14:51] +91 94162 65214: राधास्वामी!! 28-02-2020-आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-                           (1) राधास्वामी दीन दयाला, मेरे सद् किरपाला, मोहि कीन्ह निहाला रे। राधास्वामी ३ प्यारे राधास्वामी रे। (प्रेमबानी-3,शब्द-1,पे.न.180)                                                                               (2) सुन सेवक की माँग हुए स्वामी अति मगना। गहरी मेहरबिचार मृदु अस बोले बचना।। संत होय कोई एक और पाखंडी बहु तक। कर बाहर श्रगांर करें निसदिन बहुतक कौतुक।। (प्रेमबिलास-शब्द-74,पे.न.104)                                                           (3) सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा।।                                                                    🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
[28/02, 14:56] +91 94162 65214: **राधास्वामी!!- 28- 02- 2020- आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे:-( 71) मनुष्य का शरीर बतौर एक कंबल के है जो उसकी सुरत ने ओढ रक्खा है । वक्त पाकर जब वह बहुत पुराना हो जाता है तो उसे उतार कर फेंक देती है और दूसरा धारण करती है । और चूंकि यह दूसरे शरीरों को खाकर तैयार होता है इसलिए फेंके जाने पर बदले के नियमअनुसार यह दूसरों की खुराक बनता है। जैसे जल में फेंके देने पर कछुए और मछलियां, और जमीन में गाड़ देने पर कीड़े मकोड़े वगैरह इससे अपना पेट भरते हैं। सतसंगियों को चाहिए कि इस कंबल में बंधन ना रखें और ना ही इसके मुतअल्लिकक किसी वहम में न पडें। उन्हे संभाल अपनी सुरत की करनी चाहिए जिसके लिए मुनासिब है कि अपने दिल में यह चाह मजबूत करें कि मरने के बाद उनको कुल मालिक राधास्वामी दयाल के चरणों में निवास मिले। मौत के वक्त उनके ख्याल और बासनाएँ अपना जोर दिखलाती है।  अगर जिंदगी में मालिक के चरणो में बास पाने की चाह मजबूत न की जाएगी तो नामुमकिन नहीं है कि अंत समय कोई दूसरी चाहा अपना जोर चला लेवे। जो लोग सूरत के संभाल करने के बजाय अपने मुर्दा शरीर की फिक्र करते हैं और उसके लिए शानदार समाधो या मकबरे बनवाने का इंतजाम करते हैं उन्हें अंत समय पछताना पड़ता है।🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻 सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा।**

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