Tuesday, February 25, 2020

कविताएँ-राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय




प्रस्तुति -  अरूण अगम यादव
।।

🙏🏻🙏🏻 राधास्वामी दयाल की दया 🙏🏻🙏🏻
    🙏🏻🙏🏻 राधास्वामी सहाय 🙏🏻🙏🏻


आपका दिन मंगलमय हो.

[25/02, 20:45] +91 94162 65214:


*कीर्तन और सत्संग मे जाने से फ़ायदा ही फ़ायदा होता है;*
*कभी नुकसान नही होता;*

*एक अँधा फूलों के बाग में चला जाता है;*
*अगर वह फूलों की खूबसूरती को नही देख सकता;*
*तो फूलों की सुगंध तो जरुर ले ही जायगा;*

*जैसे एक पत्थर पानी में डूबा दो;*
*चाहे पिघलता नहीं;*
*पर कम से कम सूरज की तपिश से तो बचा रहता है;*

*इसी प्रकार अगर हम सत्संग में जा कर नाम की कमाई करते हैं;*

*तो सोने पे सुहागा है;*

*नही भी करते*
*तो भी कम से कम बुरी संगत से तो बचे रहते हैं;*

*सत्संग वह आईना है;*
*जहाँ पर सत्संगी अपने अवगुणों को देख कर सुधारने की कोशिश करता है; और उसकी कोशिश ही उसे एक दिन गुरमुख बना देती है; हमारा खुद का सुधरना भी किसी सेवा से कम नहीं है;*
*ये भी एक बन्दगी है;...!

!*🙏[25/02, 11:01] +91 73031 19696: 🙏🏻🙏🏻 राधास्वामी दयाल की दया 🙏🏻🙏🏻
    🙏🏻🙏🏻 राधास्वामी सहाय 🙏🏻🙏🏻
आपका दिन मंगलमय हो.
[25/02, 20:45] +91 94162 65214


*कीर्तन और सत्संग मे जाने से फ़ायदा ही फ़ायदा होता है;*
*कभी नुकसान नही होता;*

*एक अँधा फूलों के बाग में चला जाता है;*
*अगर वह फूलों की खूबसूरती को नही देख सकता;*
*तो फूलों की सुगंध तो जरुर ले ही जायगा;*

*जैसे एक पत्थर पानी में डूबा दो;*
*चाहे पिघलता नहीं;*
*पर कम से कम सूरज की तपिश से तो बचा रहता है;*

*इसी प्रकार अगर हम सत्संग में जा कर नाम की कमाई करते हैं;*

*तो सोने पे सुहागा है;*

*नही भी करते*
*तो भी कम से कम बुरी संगत से तो बचे रहते हैं;*

*सत्संग वह आईना है;*
*जहाँ पर सत्संगी अपने अवगुणों को देख कर सुधारने की कोशिश करता है; और उसकी कोशिश ही उसे एक दिन गुरमुख बना देती है; हमारा खुद का सुधरना भी किसी सेवा से कम नहीं है;*
*ये भी एक बन्दगी है;...!!*🙏


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