Tuesday, February 25, 2020

सत्संग के मिश्रित बचन




प्रस्तुति - उषा रानी /
 राजेंद्र प्रसाद सिन्हा

[25/02, 06:41] +91 97830 60206:

**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज- रोजानावाकियात -17 जुलाई-1932-रविवार- आज सुबह 9:00 बजे दयालबाग वालों का एक आम जलसा आयोजित हुआ जिसमें बहुत से ऐसे प्रस्ताव मंजूर हुई जिन पर अमल करने से दयालबाग निवासियों की सुखचैन में बहुत कुछ बढ़ोतरी होगी। अंदाजन 50 के करीब प्रस्ताव पेश हुए। और अधिक से अधिक मंजूर हुए।।                                  सेपहर के वक्त विद्यार्थियों का सत्संग हुआ।  क्योंकि इस सेशन का यह पहला सत्संग था इसलिए विद्यार्थियों को कुछ लाभप्रद सुझाव दिए गए। मैंने कहा- यह इंस्टिट्यूट दरअसल एक ऐसा विद्या का स्थान है जहां विद्यार्थी जीवन के संघर्ष के लिए तैयार किए जाते हैं। दुनिया में जिंदगी का संघर्ष दिन-ब-दिन बढ़ता जाता है और विद्यार्थी व माता-पिता का ख्याल सिर्फ जहान पास करने पर लगा रहता है। अब अगर वह विद्यार्थी जहां से पास होकर चले गए हैं जिंदगी के संघर्ष में नाकामयाब रहे यानी अपनी जिंदगी को कामयाबी के साथ इस्तेमाल ना कर सकें तो उनका इम्तहान पास कर लेना अकारथ रहेगा। इसलिए सब विद्यार्थी को आमतौर पर और उन विद्यार्थियों को जो अगले वर्ष में इंटरमीडिएट हाईस्कूल का इम्तहान देंगे खास तौर पर मशवरा  दिया जाता है कि जहां पढ़ने लिखने पर जोर दिया जावे वहां खाने-पीने और खेलकूद पर भी मुनासिब तवज्जह दी जाये। हर विद्यार्थी को चाहिये कि किसी न किसी टीम में जरुर भर्ती हो और पढनेक्षके वक्त पढे और खेलने के वक्त खेलें। बाज लडके बहुत शर्मिले होते है और वह किसी खेल में शरीक नहीं होते । अगर नये विद्यार्थी के अंदर कोई ऐसा लड़का हो तो दूसरे विद्यार्थी को चाहिए उसकी यह बद आदत याद प्यार व दिलासा से छुडा दें । ताकि वह भी इसंटीट्यूट के वातावरण का पूरा लाभ उठा सकें।  इसके अलावा सब अलावा विद्यार्थियों को याद रखना चाहिए कि अगले वर्ष हम 90% पास हासिल क्या चाहते हैं और कम से कम पहला दर्जा फर्स्ट क्लास पायें. इसलिए सब मास्टर साहबान व  विद्यार्थी दो-चार दिन के अंदर मासिक इंतजाम करके अभी से बकायदा पढ़ाई शुरू कर दें और प्रिंसिपल साहब खास तौर पर निगरानी रखें कि विद्यार्थी के रसोईघर का मनचाहा इंतजाम है ।

 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


[25/02, 06:41] +91 97830 60206:

**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज

 -सत्संग के उपदेश- भाग 2-

 कल का शेष:

-अव्वल हमें चाहिए कि जब ऐसे भाइयों से साबिका पड़े तो उनके साथ शांति से बर्ताव करते हैं और उनके साथ शांति से बर्ताव करते हुए  और उनके सख्त व अनुचित शब्द खुशी से बर्दाश्त करते हुए उन्हे सतसंग की असली  तालीम से वाकिफ कराएं। दोयम जब तक उनके हक्क में सच्चे मालिक के चरणों में प्रार्थना करें ताकि उनकी कुमति दूर हो और उन्हें सुमति प्राप्त हो। सोयम कभी उनसे बदला लेने या नाराज होकर उन्हें नुकसान पहुंचाने का ख्याल दिल में ना आने दें और हजरत मसीह के अल्फाज - " ऐ परम पिता! उनके पाप क्षमा करो क्योंकि वे असलियत से नावाकिफ है "- याद करके अपने मन की सँभाल करें । जब हम किसी से नाराज होते हैं तो हमारे मन के अंदर गैरमामूली गर्मी भर जाती है और आमतौर पर हमारा मध अंतरी साधन के नाकाबिल हो जाता है और वक्तन फवक्तन हमें जहरीले ख्यालात बदला लेने के बारे में सूझने लगते हैं।  अगर ऐसे मौके पर मध की मुनासिब सँभाल न की जावे तो न सिर्फ हमारी परमार्थी तरक्की रुक जाती है बल्कि हमसे कोई अनुचित कारर्वाई बनकर अरसे तक परेशान करने वाली बला गले पड़ जाती है । इसलिए अक्लमंदी इसी में है कि हम किसी निंदा करने वाले के शब्दों से नाराज ना हों।।   
          " गाली ही से ऊपजै कलह कष्ट अरु मीच। हार चले सो संत है लाग मरे सो नीच।।।                   
    गाली आवत एक है उलटत होय अनेक।       कहे कबीर न उलटिये वाही एक ही एक।।"

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**


[25/02, 06:41] +91 97830 60206

: **परम गुरु हुजूर महाराज-प्रेमपत्र-भाग-1-

 कल से आगे:-

 संत कहते है कि जहाँ से यह सब धारें रूह की आई है वह भंडार महासुख और आनंद का है। इसलिये जो कोई सच्ची नजात और पूरा सुख और अमर आनंद चाहे तो वह उस मुकाम में पहुँचे की जहाँ सुरत की धार आई है। वह देश भी अमर है और वहाँ का सुख भी अमर और अपार है। और यह सुरत भी वहाँ पहुँच कर बिदेह यानी गिलाफों से अलग हो जायेगी।।                   दुख सुख सिर्फ माया की मिलौनी यानी देह या गिलाफ के साथ बंधन और भोगों की चाह के सबब से होता है। इस वास्ते भोगों की चाह कम करके और गिलाफों से रुह को हटाकर जिस कदर फुरसत मिले उस कदर वक्त अपना सुरत और मन की सफाई और चढाई में खर्च करें। संत इसकी तरकीब बताते है, उसके मुआफिक कारर्वाई करनी चाहिये। जैसे कि जागृत में सुरत की बैठक आँख में है, चाहिये कि इसी मुकाम में उस ऊँचे देश की तरफ जिसको राधास्वामी धाम कहते है और जहाँ से शुरु में सुरत का उतार हुआ है आहिस्ता आहिस्ता चलावे। सच्चे मालिक का नाम राधास्वामी है और उन्ही के चरणों में पहुँचना है।क्रमशः🙏🏻राधास्वामी

🙏🏻 **


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