Friday, February 28, 2020

सत्संग आदर्शों के अनुरूप ढलना जरूरी




प्रस्तुति- रीना शरण / आशा सिन्हा


*दोहरा मापदंड दोहरा चरित्र*

*अमूमन पाया जाता है इंसान के दो रूप होते है । किंतु प्रभु के साथ भी छल करने  से पीछे नही हटता इंसान* ।

*मन्दिर / सत्संग जाता है तो कुर्ता पजामा साड़ी सर पर दुपट्टा  पहन के खुद को आदर्शवादी और अच्छा इंसान दिखाने की कोशिश करता है* *और अपने छोटे छोटे बच्चों को भी   कुछ लोग भारतीय परिधान केवल सत्संग या धार्मिक प्रोग्राम में ही पहनाते है ।*

और बाहर *छोटे छोटे कपड़े धारण कर के खुद को मोर्डनाइज़ शो करता है*।

*सत्संग में दी गयी हिदायते केवल सत्संग तक सीमित रखना कहा कि समझदारी है ?*

जब तक *जीवन मे सत्संग वाले विचार  पहनावा व्यवहार वाली गुणवत्ता नही लाएंगे जीवन उत्तम नही होगा ।*

*राधास्वामी*

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