Friday, March 27, 2020

राधास्वामी दयालबाग / ढेरों प्रसंग उपदेश बचन




प्रस्तुति - मेहर स्वरूप /कृति शरण /
 सृष्टि शरण /दृष्टि शरण / अमी शरण

 ः**राधास्वामी!!

                        
आज सुबह के सतसंग में पढे गये पाठ-                                                                       
 (1)  राधास्वामी आय प्रगट हुए जब से।राधास्वामी नाम सुनावें तब से।। राधास्वामी अंग लगाया उमँग से। राधास्वामी भेद मिला सतसंग से।। (सारबचन-शब्द-चौथा-पृ.सं.60)                                                               
 (2)सुरतिया प्रीति भरी। अब लाई आरती जोड।। भँवरगुफा मुरली धुन पाई। रैन गई अब हो गया भोर।। (प्रेमबानी-2-शब्द-90,पृ.सं.209)                                     

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


: *परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-
 रोजाना वाक्यात- 15 अगस्त 1932-

सोमवार- टेक्सटाइल फैक्ट्री में नई मशीनें लग गई है । आज परीक्षण लिया गया। सब इंतजाम दुरुस्त निकला। 1 हफ्ते के अंदर इकहरे धागे का कपड़ा तैयार होने लगेगा । और असलियत से अनभिज्ञ के लिए जो दयालबाग के कपड़े को महंगा कहते हैं उचित उत्तर तैयार हो जाएगा।  सत्संगी भाइयों व बहनों ने जिस उदारता( दिल खोलकर खर्च करना) से टेक्सटाइल फैक्ट्री का संरक्षण कियि है वह काबिले तारीफ है और  कारखाना के प्रबंधकगन जिस होशियारी व परिश्रम के साथ काम कर रहे हैं वह भी काबिले तारीफ है। दयालबाग में ना कोई कपड़ा बुनने की मशीनों से वाकिफ था उन्हें कोई कपड़ा बुनने का झगड़ा सर लेने के लिए तैयार था । लेकिन आज दया से आठ नौ हजार रुपया माहवार कपड़ा तैयार होता है। और तुरंत निकल जाता है किसी समूह के मेंबरों को बजाये लेक्चथ सुनाने के व्यवहारिक जिंदगी के रास्ते पर डाल देना ज्यादा प्रभावशाली होता है ।।       आज छुट्टी का दिन है आज गीता के अनुवाद का दोहराना खत्म करना है इसलिए छुट्टी मनाने का इरादा त्याग कर दिया गया ।शुक्र है कि निश्चय अनुसार अनुवाद का काम खत्म हो गया। उम्मीद है कि प्रकाशित होने पर सतसंगी भाई इस अनुवाद को गौर से पढ़ेंगे और राधास्वामी दयाल के उपदेश में कमाल दर्जे  की एकरूपता देखकर और वेदो व कृष्ण महाराज के बारे में हमारी पवित्र पुस्तकों की तहरीर की पुष्टि गीता के उपदेश में पाकर आकर्षित होंगे।🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻*
[25/03, 03:02] +91 94162 65214: *परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज -सत्संग के उपदेश- भाग 2- कल का शेष :-मुल्के के हिंदुस्तान के लिए, जो अविष्कारों के मामले में अपने हाथ पीछे हैं सख्त जरूरत है कि मशीन जी की जरूरत को पूरे तौर पर समझ कर इस जानिब काफी तवज्जुह हिंदुस्तान के अक्सर हिस्सों में गर्मी सख्त पड़ती है अगर किसी तरीके से सूर्य की गर्मी से काम लेकर भाप तैयार की जाए तो निहायत कम कीमत पर बिजली पैदा की जा सकती है और कोयला व तेल की कमी का नुकसान आसानी से पूरा किया जा सकता है। कुछ अर्सा हुआ कि खबर छपी थी कि काहिरा में किसी साहब ने ऐसा बॉयलर बनाया है जो सूर्य की गर्मी से भाप तैयार करके काम करता है ।क्या हिंदुस्तान में इस तरह की अविष्कार नहीं की जा सकती?  इसी तरह हिंदुस्तान में दूसरे मुल्कों से करोड़ों रुपए के केमिकल्स आते हैं जो जरा तवज्जुह देने से यहां तैयार हो सकते हैं बर्शते कि मुनासिब मशीनों का इस्तेमाल व अविष्कार किया जावे। काश जितना जोर राजनैतिक तरक्की के मुतअल्लिक़ लगाया जाता है उसका दसवाँ हिस्सा भी मशीनों के इस्तेमाल व अविष्कारों में लगाया जाता ताकि हमारी बहुत सी दिक्कते सहज में रफा हो जातीं। बेहतर होगा कि नौजवान बजाय बीस पच्चीस रुपये की नौकरी के लिए उम्मीदवार बनने के, कारखानों में मशीनों का इस्तेमाल सीखे। याद रहे कि जैसे घोड़े को काबू करने में खास किस्म का लुत्फ आता है वैसे ही मशीन से काम लेने में भी लुत्फ आता है।।                  🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻*


[25/03, 03:03] +91 94162 65214: *परम गुरु हुजूर महाराज- प्रेम पत्र -भाग 1- कल से आगे -(4) जाहिर है कि जिसने इस बात की कमाई आप कर ली है मैं उसको दूसरों को भी अच्छी तरह समझा  सकता है और कमाई भी करा सकता है और उसके बचन में भी किसी कदर असर होगा। और जोकि विद्या और बुद्धि की मदद से महात्माओं की वाणी और वचन को पढ़ कर सुनाते और समझाते हैं, न तो उनका बचन ठीक और दुरुस्त हो सकता है और न किसी को वे उसकी कमाई की जुगत बता सकते हैं और न कमाई करने वाले को मदद दे सकते है , बल्कि अंतर के भेद को जिससे कि वह आप बिल्कुल अनजान है उलटा पुलटा बयान करके लोगों को गलती में डालेंगे और कर्म धर्म में भरमावेंगे। इस वास्ते उनका संग सत्संग नहीं है, बल्कि सच पूछो तो कुसंग में दाखिल है।।     

 (4) अब मालूम करना चाहिए कि जहां संत सतगुरु या साथ गुरु विराजते हैं या उनका कोई निज सतसंगी या साधगुरु बिराजते है या उधका कोई निज सतसंगी सतसंग का मुखिया है, तो वहां जरूर सच्चे मालिक का निर्णय होगा और यह बयान होगा कि किस तरह उसके चरणों में सच्चा प्रेम और भक्ति पैदा हौवे और कैसे वह दिन-ब-दिन बढ़ती जावे और कौन जुगत और अभ्यास से मन और इंद्रियों का जोर कम होवे और दुनियाँ और उसके सामान की चाह और किस तरह दिन दिन हल्की होती जावे और किस तौर से जीवो को व्यवहार और परमार्थ की कार्यवाही करनी चाहिए कि जिससे उनके पिछले कर्म कटते जावें और उनके सिर पर दुखदाई और फिर जन्म दिलाने वाले करने चढ़ते जावे। क्रमश:🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻*




*गुरु महाराज ने कहा है ,
 घबराना नहीं . दुःख और मुसीबत के बादल मडरायेंगे , गरजेंगे भी लेकिन बिना बरसे निकल जायेंगे*


: *राधास्वामी !!                                             
24- 03 -2020 -

आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे -(89) हम सुरतरुप है और हमारा निज देश सच्चे मालिक का धाम यानी चेतन देश है। वहीं पहुँचने पर हमारी सुरत को सच्ची आजादी और सच्चा सुख प्राप्त हो सकता है। लेकिन चूंकि  मुमकिन नहीं कि हम फौरन संसार से निकलकर उस देश में पहुंच जाएं इसलिये लाजिम में हो जाता है कि जब तक हमें इस संसार में रहना पड़े यहां के नियमों से वाकिफ होकर अपने दुखों में कमी और सुखों में इजाफे के लिए कोशिश करें अलबत्ता ख्याल रखें कि यह कोशिश इसलिए नहीं की जाती कि संसार के सुख हमें दिल से भातें हैं बल्कि इसलिए कि जितने दिन यहां कैद काटनी लाजमी है उतने दिन नाहक दुख क्यों उठाएं ।आम लोग संसार को मिथ्या कहकर और यहाँ के भोग विलास को झूठे मानकर आलसी हो जाते हैं लेकिन सत्संग की तालीम से आलस्य का रोग  सत्संग मंडली के अंदर घुसने नहीं पाता और सत्संगी अपना सब कुछ काम काज करता हुआ और नाहक के दुखों से बचता हुआ सच्चे सुख के स्थान में प्रवेश हासिल करने के लिए यत्न करता रहता है और 1 दिन अधिकार पैदा होने पर सफलता को प्राप्त होता है।

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻 सत्संग के उपदेश भाग तीसरा**
*
परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-

रोजाना वाक्यात- 15 अगस्त 1932-

सोमवार- टेक्सटाइल फैक्ट्री में नई मशीनें लग गई है । आज परीक्षण लिया गया। सब इंतजाम दुरुस्त निकला। 1 हफ्ते के अंदर इकहरे धागे का कपड़ा तैयार होने लगेगा । और असलियत से अनभिज्ञ के लिए जो दयालबाग के कपड़े को महंगा कहते हैं उचित उत्तर तैयार हो जाएगा।  सत्संगी भाइयों व बहनों ने जिस उदारता( दिल खोलकर खर्च करना) से टेक्सटाइल फैक्ट्री का संरक्षण कियि है वह काबिले तारीफ है और  कारखाना के प्रबंधकगन जिस होशियारी व परिश्रम के साथ काम कर रहे हैं वह भी काबिले तारीफ है। दयालबाग में ना कोई कपड़ा बुनने की मशीनों से वाकिफ था उन्हें कोई कपड़ा बुनने का झगड़ा सर लेने के लिए तैयार था । लेकिन आज दया से आठ नौ हजार रुपया माहवार कपड़ा तैयार होता है। और तुरंत निकल जाता है किसी समूह के मेंबरों को बजाये लेक्चथ सुनाने के व्यवहारिक जिंदगी के रास्ते पर डाल देना ज्यादा प्रभावशाली होता है ।।       आज छुट्टी का दिन है आज गीता के अनुवाद का दोहराना खत्म करना है इसलिए छुट्टी मनाने का इरादा त्याग कर दिया गया ।शुक्र है कि निश्चय अनुसार अनुवाद का काम खत्म हो गया। उम्मीद है कि प्रकाशित होने पर सतसंगी भाई इस अनुवाद को गौर से पढ़ेंगे और राधास्वामी दयाल के उपदेश में कमाल दर्जे  की एकरूपता देखकर और वेदो व कृष्ण महाराज के बारे में हमारी पवित्र पुस्तकों की तहरीर की पुष्टि गीता के उपदेश में पाकर आकर्षित होंगे।

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻*

: *परम गुरु हुजूर महाराज-

प्रेम पत्र -भाग 1- कल से आगे 

-(4) जाहिर है कि जिसने इस बात की कमाई आप कर ली है मैं उसको दूसरों को भी अच्छी तरह समझा  सकता है और कमाई भी करा सकता है और उसके बचन में भी किसी कदर असर होगा। और जोकि विद्या और बुद्धि की मदद से महात्माओं की वाणी और वचन को पढ़ कर सुनाते और समझाते हैं, न तो उनका बचन ठीक और दुरुस्त हो सकता है और न किसी को वे उसकी कमाई की जुगत बता सकते हैं और न कमाई करने वाले को मदद दे सकते है , बल्कि अंतर के भेद को जिससे कि वह आप बिल्कुल अनजान है उलटा पुलटा बयान करके लोगों को गलती में डालेंगे और कर्म धर्म में भरमावेंगे। इस वास्ते उनका संग सत्संग नहीं है, बल्कि सच पूछो तो कुसंग में दाखिल है।।     

 (4) अब मालूम करना चाहिए कि जहां संत सतगुरु या साथ गुरु विराजते हैं या उनका कोई निज सतसंगी या साधगुरु बिराजते है या उधका कोई निज सतसंगी सतसंग का मुखिया है, तो वहां जरूर सच्चे मालिक का निर्णय होगा और यह बयान होगा कि किस तरह उसके चरणों में सच्चा प्रेम और भक्ति पैदा हौवे और कैसे वह दिन-ब-दिन बढ़ती जावे और कौन जुगत और अभ्यास से मन और इंद्रियों का जोर कम होवे और दुनियाँ और उसके सामान की चाह और किस तरह दिन दिन हल्की होती जावे और किस तौर से जीवो को व्यवहार और परमार्थ की कार्यवाही करनी चाहिए कि जिससे उनके पिछले कर्म कटते जावें और उनके सिर पर दुखदाई और फिर जन्म दिलाने वाले करने चढ़ते जावे।
क्रमश:🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻*


[25/03, 06:30] +91 97830 60206: *परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज -सत्संग के उपदेश- भाग 2- कल का शेष :-मुल्के के हिंदुस्तान के लिए, जो अविष्कारों के मामले में अपने हाथ पीछे हैं सख्त जरूरत है कि मशीन जी की जरूरत को पूरे तौर पर समझ कर इस जानिब काफी तवज्जुह हिंदुस्तान के अक्सर हिस्सों में गर्मी सख्त पड़ती है अगर किसी तरीके से सूर्य की गर्मी से काम लेकर भाप तैयार की जाए तो निहायत कम कीमत पर बिजली पैदा की जा सकती है और कोयला व तेल की कमी का नुकसान आसानी से पूरा किया जा सकता है। कुछ अर्सा हुआ कि खबर छपी थी कि काहिरा में किसी साहब ने ऐसा बॉयलर बनाया है जो सूर्य की गर्मी से भाप तैयार करके काम करता है ।क्या हिंदुस्तान में इस तरह की अविष्कार नहीं की जा सकती?  इसी तरह हिंदुस्तान में दूसरे मुल्कों से करोड़ों रुपए के केमिकल्स आते हैं जो जरा तवज्जुह देने से यहां तैयार हो सकते हैं बर्शते कि मुनासिब मशीनों का इस्तेमाल व अविष्कार किया जावे। काश जितना जोर राजनैतिक तरक्की के मुतअल्लिक़ लगाया जाता है उसका दसवाँ हिस्सा भी मशीनों के इस्तेमाल व अविष्कारों में लगाया जाता ताकि हमारी बहुत सी दिक्कते सहज में रफा हो जातीं। बेहतर होगा कि नौजवान बजाय बीस पच्चीस रुपये की नौकरी के लिए उम्मीदवार बनने के, कारखानों में मशीनों का इस्तेमाल सीखे। याद रहे कि जैसे घोड़े को काबू करने में खास किस्म का लुत्फ आता है वैसे ही मशीन से काम लेने में भी लुत्फ आता है।।                  🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻*
[25/03, 08:20] +91 94162 65214: *कृपया ध्यान दीजिए*

आज सुबह मिले आदेश के अनुसार
 *सभी सत्संगी भाई बहनों को अपने अपने घरों में खाली नहीं बैठना है कुछ ना कुछ श्रम एक्टिविटी करते रहना है*

 *थोड़े-थोड़े लोग जोकि  3 - 3 अथवा 4 -4  ग्रुप में हो सकते हैं अपनी ब्रांच में और अपने घरों के आसपास कुछ ना कुछ श्रम  एक्टिविटी रोजाना करते रहें ,*

 *सुबह तथा शाम का सत्संग अपने अपने घरों में अवश्य सुने ।*

 *अपने आसपास के बुजुर्ग सत्संगियो की मदद के लिए उन्हें पूछते रहे।*

 *आपके आसपास यदि किसी को मेडिकल सहायता चाहिए हो तो उस के लिए आप उन्हें पूछ सकते हो*

ऐसी हिदायत हमें आज सुबह प्राप्त हुई है।

 *राधास्वामी*
[25/03, 08:50] +91 6396 085 228: जितना हो सके सब लोग सुमिरन ध्यान लगाना चालू कर दो अब नही करा तो तकलीफ अपने को ही होगी । मेरा विस्वास है अगर हम सब मिल कर ये काम करेंगे मालिक के चरणों मे लिप्त हो जाते है तो केवल कुछ ही दिनों मे सब कुछ नॉर्मल हो जाएगा ।आप सब से अनुरोध है समय ना गवाते हुए इस आपदा भरे समय मे सुमिरन ध्यान पे अत्यधिक समय दे ।
राधास्वामी 🙏🏻🙏🏻
[25/03, 09:33] +91 94162 65214: *0 "मालिक से सम्हाल करने की फ़रियाद करने का तरीका" 0*

             जितना हो सके हम सब लोग सुमिरन ध्यान का सिलसिला  जारी रखें, अगर यह नही करा तो तकलीफ अपने को ही होगी।

            मेरा विस्वास है अगर हम सब मिल कर ये काम करेंगे और   मालिक के चरणों मे लिप्त हो जाते है तो केवल कुछ ही दिनों मे सब कुछ नॉर्मल हो जाएगा।

           आप सब से अनुरोध है समय ना गवाते हुए इस आपदा भरे समय मे सुमिरन ध्यान पे अत्यधिक समय दे।

      🙏🏻🙏🙏🏻 *राधास्वामी* 🙏🏻🙏🙏🏻
[25/03, 14:08] +91 94162 65214: **राधास्वामी!!  25-03-2020                         आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ :-                                                                             (1) बिमल चित्त जोड रही। घट शब्द गुरू धर प्यार।। (प्रेमबानी-3,शब्द-5,पृ.सं.203)                                                                        (2) सुरतिया झुरत रही मन माहिं।प्रेम की घट में देख कसर।।टेक।। जब जब मेहर से सतसंग पाया। मिटती देखी इनकी लहर।। (प्रेमबिलास-शब्द-78,पृ.सं.122)                                                             (3) सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा-कल से आगे।।              🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

**राधास्वामी !!  25-03 -2020 -आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे-( 90)  सवाल जिज्ञासु का- सतगुरु को मत्था टेकने से क्या लाभ होता है ?           जवाब-  यह एक रोजाना तजुर्बे की बात है कि अगर रास्ता चलते कोई अजनबी आदमी हमारे पास से गुजरता है तो हम कुछ ध्यान नहीं देते लेकिन अगर मालूम हो जाए कि वह हमारा अजीज है तो हम फौरन खास तवज्जुह के साथ उसकी तरफ मुखातिब होते हैं और उसके साथ यथायोग्य बर्ताव करते हैं और अगर वह हमारा बुजुर्ग है तो हम फौरन प्यार व अदब से झुक जाते हैं। ऐसे ही जब किसी को बड़ी तलाश करने पर सतगुरु मिल जाते हैं और साधन करने पर मेहर से उसको उनकी पहचान आ जाती है तो वह मारे प्रेम के उनके चरणों में लिपटने की इच्छा करता है और उसका ऐसा करना कुदरती बात है और ऐसा करने पर उसे कमाल दर्जे की खुशी व शांति प्राप्त होती है लेकिन जो लोग सिर्फ दूसरों की देखा देखी ऐसा करते हैं उन्हें इस तरह का तजुर्बा नहीं होता । किसी प्रेमी के अपने प्रीतम से मिलने पर लोहे के टुकड़े के चुम्बक से स्पर्श करने पर या किसी छोटे बच्चे के अपनी बिछुडी माता के सम्मुख आने पर क्या क्या हालत होती है इसका बयान में लाना कठिन है। यह बात जाति तजरूबे ही से समझ में आ सकती है।🙏🏻 राधास्वामी 🙏🏻सत्संग के उपदेश भाग- तीसरा**
[25/03, 18:45] +91 94162 65214: *राधास्वामी*

आप की कृपा से मालिक
जब भी हम दयालबाग़ आते थे ।
सुनते थे सत्संग आपका,
और दर्शन भी कर पाते थे ।
मिट जाते थे भ्रम कई,
कर्म भी कई कट जाते थे ।

कभी आपके सत्संग घरों में,
जब हम सेवा पर आते थे ।
संगत रूप में भी आपके,
दर्शन हम कर जाते थे ।
भटकते मन को चैन और,
रूह को करार पाते थे ।

यह कैसी आँधी "करोना "की,
चला दी ........
दर्शनों से भी दूर किया,
सेवा भी छुड़वा दी ।
माना कर्म दुष्कर्म हमारे हैं,
बड़ी सख्त सजा दी ।

दया करो,अब तो बख्श दो ,
बख्शन हार दाता जी ।
पापी घने हैं चाहे हम ,
आपका ही हैं परिवार दाता जी।
हम नादान निमानों को लौटा दो
पहले सा ही प्यार दाता जी ।🙏
[25/03, 20:37] +91 94162 65214: *कुछ जरूरी नियम*

*1.जिस जिह्वां से मलिक का नाम लेते हो उसे गंदा मत करो शुक्र दिन रात करो.*

*2. जिस नजर से मालिक का दिदार करते हो उसे नेक और पवित्र रखो.*

*3. जिन कानो से सतगुरू की मीठी वाणी सुनते हो उनमे अपवित्रता मत डालो.*

*4. जिस मन को सुमिरन मे लगाते हो उसको दुनियावी ख्यालो मे मत लगाओ.*

*फ़िर देखो उसकी रहमत कीे कैसे बारिश होती है*🙏🏽🙇🏻‍♂
[25/03, 20:56] +91 94162 65214: *मत  कोई  भरम  भूले  संसारा*

*गुरू   बिन  कोई  न  उतरै  पारा*
[26/03, 02:48] +91 94162 65214: *।।महत्वपूर्ण भविष्यवाणी।।         (दयालबाग में परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज द्वारा फरमाया गया बचन- 8 जनवरी -1931) :-                                     शीघ्र ही दयालबाग उत्तर में अंबाले से लेकर बनारस तक जोकि लगभग 700 मील का फासला है , फैल जाएगा। मैं अपनी अंतरी आँख के सामने दयालबाग के उस जमीनी प्लान को देख रहा हूँ जो कि भविष्य में होगा और जो तमाम दुनिया में लिए केंद्रीय संस्था बन जाएगा जिससे प्रेम और शांति की शुद्ध किरणे निकलकर संसार के विभिन्न कोणों में फैल जाएंगी ।अमेरिका अपनी धन दौलत पर गर्व कर सकता है, इंग्लैंड महान हो सकता है, जर्मनी गर्वपूर्ण हो सकता है और इटली कुछ और हो सकता है।  लेकिन दयालबाग बहुत अधिक महान होगा ,संसार के सब राष्ट्रों से महान होगा और विश्व शांति दयालबाग द्वारा ही स्थापित होगी ।राधास्वामी दयाल ने इस केंद्र पर बड़ी तोप लगा दी है जिसमें राधास्वामी नाम के गोले चारों ओर चलाए जाएंगे ताकि काल और माया के तमाम कार्यवाहियों का अंत हो और तमाम सूरतें नाशमान बंधनो से मुक्त होकर राधास्वामी धाम की ओर ले जाई जायेगीं। हमारे मिशन के फलस्वरुप एक नई रचना का निर्माण हो रहा है। पुराने जमाने में जब कृष्ण महाराज अपने अनुयायियों के बीच मथुरा के जंगलों में अपनी बांसुरी बजाते थे तो वह आपस में हाथ पकड़ कर अपार आनंद में नाचते थे ।उसी तरह वह दिन आएगा जब कि जो (सत्संगी) भाई बहने यहां जमा है, मन और जड़ पदार्थों से पूर्ण रूप से अलग होकर राधास्वामी दयाल के चारों ओर नाचेंगे । अतः आप सब जवान और बूढ़े उस मौके के लिए तैयार हो जाओ। चाहे कहीं से भी कितनी भी ठोस रुकावट की जाए , उन दयाल का मिशन , जैसा कि ऊपर बयान किया गया है पूरा होना चाहिए और वह लोग जो इस रौ ( तेज धार) के रास्ते में खड़े होकर रुकावट डालेंगे उन्हें अवश्य ठुकरा दिया जावेगा।।                                      हुजूर ने फरमाया कि वह अपने सामने दयालबाग का पूरा प्लान देख रहे हैं और यह कि हम सब केवल राज या मजदूर केवल समान ढोने वाले हैं - परंतु असली निर्माता स्वयं हुजूर राधास्वामी दयाल है और हम उनका भावी प्लान नहीं जानते ।हममें से केवल वही मनुष्य , जिनको अंतरी दृष्टि प्राप्त है उसका कुछ अंदाजा लगा सकते हैं । यह फरमाकर हुजूर ने अपना हाथ अपने माथे पर रखा इस प्रकार कहना प्रारंभ किया--   यह ध्यान रखिए कि मैं स्वपन नहीं देख रहा हूँ, मैं शर्तिया जागृत हूं और जो कुछ मैंने कहा है वह अवश्य होकर रहेगा । उदाहरण के तौर पर विद्यालय आर. ई.आई. की इमारत के बारे में कहा कि वह ठीक उसी रूप में बनकर तैयार हुई है जैसा उन्होंने पहले उसके बारे में बचन फरमाए थे । उन दयाल ने परम गुरु हुजूर महाराज के लेखों का भी इस सिलसिले में हवाला दिया और फरमाया कि पुराने जमाने में संत महात्माओं ने दुनिया में आगे होने वाले प्रसार के बारे में केवल कुछ इशारे ही दिए थे। वह दयाल आज स्पष्ट शब्दों में यह ऐलान फरमा रहे हैं कि भविष्य में दयालबाग सारे संसार में एक आदर्श संस्था होगी । तब मौज से एक शब्द निकाला गया जिसकी पहली कड़ी थी-------" बढ़त सत्संग अब दिन अहा हा हा ओहो हो हो। (पुनः प्रकाशित- प्रेम प्रचारक 27 सितंबर, 1976)                          🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**
[26/03, 18:56] +91 98265 39241: *मिश्रित बचन*
*(सतसंग के उपदेश, भाग-1)*

*3 - जब कभी कोई तकलीफ़ सिर पर आवे तो मत घबराओ*
        *क्योंकि तुम अकेले नहीं हो ;*
          *हुज़ूर राधास्वामी दयाल तुम्हारे अंग-संग रक्षक व सहायी मौजूद हैं।*
          *यह सच है कि दुनिया के सब काम हमेशा तुम्हारी मर्ज़ी के मुवाफ़िक़ नहीं हो सकते,*
          *लेकिन याद रक्खो कि उन दयाल की रक्षा का पंजा सिर पर रहते हुए तुम्हारा कभी असली परमार्थी बिगाड़ भी नहीं हो सकता।*
             *अगर मौज कभी तुम्हारे मन की गढ़त करने की होगी तो भी दया का हाथ तुम्हारे अंगसंग रहेगा :--->*

*''गुरु कुम्हार शिष कुंभ है,*
                          *गढ़ गढ़ काढ़ें खोट।*
*अन्तर  हाथ  सहार दे,*
                          *बाहर   बाहें   चोट॥''*

       *5 -* सच्चे प्रेमीजन को चाहिये कि अपने सभी धर्मों का ख़ुशी से पालन करे और धर्मपालन के सिलसिले में अगर उसे कभी दुख तकलीफ़ सहनी पड़े तो ख़ुशी से मंज़ूर करे।
              *ऐसा न होना चाहिये कि तकलीफ़ की सूरत नमूदार होते ही वह धर्म से पतित हो जावे।*

           ऐसे मौक़ों पर दिल को मज़बूत रखने से भारी परमार्थी तरक़्क़ी होती है और *जल्द ही प्रेमीजन मालिक का गहरा दयापात्र बन जाता है।*

       *6 -* पिछले बुज़ुर्गों की जो तालीम है वह अव्वल तो ऐसी भाषा में है कि जिसका समझ लेना हर किसी के लिये आसान नहीं है, और दूसरे ख़ुदमतलबी लोगों ने उसके अन्दर ऐसी मिलावट कर दी है कि असल और मिलावट का छाँट लेना निहायत कठिन हो गया है।

*सतसंगियों के बड़े भाग हैं कि उनके लिये हुज़ूर राधास्वामी दयाल की शिक्षा सरल और निर्मल रूप में मौजूद है और हमेशा मौजूद रहेगी।*

      *🙏🙏🙏राधास्वामी🙏🙏🙏*
[26/03, 19:07] +91 94162 65214: .........राधा स्वामी जी........
 *अगर हम परमात्मा से मिलने वाली हर चीज को उसकी बख्शीश उसकी अमानत समझकर अपनाएँ तो वह- वह चीज पवित्र हो जाती है अपमान सम्मान बन जाता है कड़वाहट मिठास बन जाती है और अंधेरा प्रकाश बन जाता है हर एक चीज में परमात्मा की महक आने लगती है.....*
[27/03, 01:56] +91 94162 65214: मान लिया जाये कि हजार वजह हैं हमारे पास भजन सिमरन न कर पाने के और वो एक वजह तो ढूँढ़ लो जिसमें हम भजन सिमरन कर सकते हैं।
[27/03, 03:07] +91 94162 65214: *🌹🌹परम गुरु महाराज साहबजी (पंडित ब्रह्म शकंर मिश्र साहब) राधास्वामी मत के तीसरे परम पूज्य आचार्य। उनका पावन जन्म 28 मार्च 1861 शाम 3 बजकर 20 मिनट पर बनारस में हुआ।🌹🌹 कल 28 मार्च है।                🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

**राधास्वामी!! 27-03-2020                         आज सुबह के सतसंग में पढे गये पाठ:-               (1) राधास्वामी लिया अपनाय सखी री।शोभा अदभुत आज लखी री।।  राधास्वामी गोद बिठाया मुझे री। राधास्वामी लेहैं उबार तुझे री।। (सारबचन-शब्द-5,पृ.सं.61)                      (2) सुरतिया पकड गुरु की बाहँ। उमँग कर निज घर को जाती।। माया काल लगाई अटकें। गुरु बल मार धरे लाती।। (प्रेमबानी-2,शब्द-91,पृ.सं.210)                                  🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
[27/03, 03:10] +91 94162 65214: सतसंग के उपदेश
भाग-1
(परम गुरु हुज़ूर साहबजी महाराज)
मिश्रित बचन

       38- दुनिया के लोग बड़े शौक़ के साथ देवताओं की पूजा करते हैं और आशा रखते हैं कि इस पूजा से देवता उन्हें मुक्ति प्रदान करेंगे। मगर तअज्जुब यह है कि कोई भी यह तहक़ीक़ करने की कोशिश नहीं करता आया उन देवताओं को ख़ुद भी मोक्ष प्राप्त है। जब कि ये देवता सृष्टि के काम में लगे हैं और सृष्टि की सँभाल की सेवा उनके सुपुर्द है, तो उनसे मोक्ष हासिल करने की आशा बाँधना लाहासिल है। वे सृष्टि के ही अन्दर नीच ऊँच योनि दिला सकते हैं, इससे ज़्यादा उन्हें अधिकार हासिल नहीं है। उपनिषद् में एक जगह लिखा है कि जब कोई शख़्स देवताओं की उपासना छोड़ कर ब्रह्मविद्या की जानिब मुख़ातिब होता है तो वे उससे ऐसे ही नाराज़ होते हैं जैसे कोई अपने पशु चुराये जाने पर नाराज़ होता है। ऐसी हालत में मोक्ष के तलबगारों को चाहिये कि देवताओं की पूजा को छोड़ कर सच्चे मालिक की भक्ति में लगें और सच्चे मालिक की भक्ति की रीति सच्चे सतगुरु से दरियाफ़्त करें।

राधास्वामी
[27/03, 09:25] +91 94162 65214: *【प्रेम प्रचारक】      (नो घबराहट):-           इस रचना पर काल कर्म धार सदा से गिरती आई है, कर्म प्रधान जगत में सबको कर्म का फल मिलता भाई है। (1)                                 कर्म रेख पर मेख जो मारे ऐसा गुरु हमारा है, सत्संगी गौर हालत में गुरु ही एक सहारा है।(2)                                                                दीन दुखी असहाय होय जब सत्संगी घबराता है, " नो घबराहट" का संदेश गुरुमेहर की याद दिलाता है।(3)                                     जब सद्गुरु की यह बानी है फिर घबराना किससे कैसा, सतगुरु ही आप संभालेंगे दुख आये चाहे भी जैसा ।(4)                                                   गुरु की दया से काल जाल मन से छटाँक हो जाता है , सूली की सजा भी घट जाती काँटा बन कर चुभ जाता है। (5)                                                    मौज समझ हर हालत में जब सत्संगी दृढ रहता है, नो घबराहट का संदेश गुरु मेहर की याद दिलाता है ।(6)                                  🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
[27/03, 14:20] +91 94162 65214: **राधास्वामी!! 27-03-2020                         आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-(1) बिकल जिया तरस रहा। मोहि दरस दिखा दो जी।।टेक।। (प्रेमबानी-3,शब्द-7,पृ.सं. 204)      (2) सखी री मैं तो जावत हूँ पिया देश।(टेक) -(प्रेमबिलास-शब्द-88-पृ.सं.124)                     (3) सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा-कल से आगे।                 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

**राधास्वामी !!    27-03 -2020 -                       आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे -(92)  लोगों का यह ख्याल है कि संसार की किसी वस्तु या संसार के किसी जीव से सदा स्थाई प्रीति की जा सकती है।  जैसे छोटे बच्चे खिलौना देखकर पूरी तवज्जुह के साथ उसकी तरफ दौड़ते हैं और उससे दिल बहलाते हैं लेकिन थोड़ी देर बाद दिल भर जाने पर उसे फेंक देते हैं ऐसे ही उम्र पाए हुए लोग भी दूसरे या संसार की वस्तुओं के साथ थोड़ी देर प्रीति करके उक्ता जाते हैं और फिर उनसे मुंह फेर लेते हैं। जबकि मनुष्य का मन प्रकृति है और हर प्राकृतिक वस्तु में परिवर्तन आवश्यक है तो मन का हाल सदा एक समान कैसे रह सकता है।।                                                      मनुष्य खास दशाओं व अवस्थाओं के प्रभाव की मौजूदगी में दूसरे मनुष्य या संसार की वस्तुओं से प्रीति बाँधते हैं और उन दशाओं व अवस्थाओं में परिवर्तन होते हैं उनकी प्रीति गायब हो जाती है। ऐसे देखने में आया है कि जो माता अपने बच्चे को सुंदर व हृष्ट पुष्ट देखकर उसे जबरदस्त प्रीति करती है उसके किसी असाध्य रोग से पीड़ित होकर सूख जाने पर उसकी मौत मांगने लगती है। संसार की वस्तुओं के मुकाबले मनुष्य की प्रकृति के सांग बिलास करने की रूचि ज्यादा ठहराऊ है इसलिए सच्चे परमार्थ में उस रूचि के नाश करने के लिए, जो मनुष्य के सांसारिक मोह की जड़ है, ज्यादा जोर दिया जाता है।                                            🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻 सत्संग के उपदेश भाग तीसरा**

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