Monday, March 30, 2020

दयालबाग मे 31/03 सुबह का सत्संग






[31/03/2020-
 राधास्वामी!
                     
आज सुबह के सतसंग में पढे गये पाठ-                                                                         
 (1) राधास्वामी लिया अपनाय सखी री। शौभा अद्भुत आज लखी री।। राधास्वामी संग गई सुध तट री। राधास्वामी रंग लिया जग हट री।। (सारबचन-शब्द-5,पृ.सं. 64)                         
 (2) सुरतिया  सुनत  रही। हित  चित से सतगुरू बैन।। बिन गुरु दरस बिकल रहे मन में।सतसंगत में पावत ।। (प्रेमबानी-2,शब्द-85,पृ.सं. 215)       🙏🏻राधास्वामी🙏🏻

*।।महत्वपूर्ण भविष्यवाणी।।       

(दयालबाग में परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज द्वारा फरमाया गया बचन- 8 जनवरी -1931) :-   

                            
 शीघ्र ही दयालबाग उत्तर में अंबाले से लेकर बनारस तक जोकि लगभग 700 मील का फासला है , फैल जाएगा। मैं अपनी अंतरी आँख के सामने दयालबाग के उस जमीनी प्लान को देख रहा हूँ जो कि भविष्य में होगा और जो तमाम दुनिया में लिए केंद्रीय संस्था बन जाएगा जिससे प्रेम और शांति की शुद्ध किरणे निकलकर संसार के विभिन्न कोणों में फैल जाएंगी ।अमेरिका अपनी धन दौलत पर गर्व कर सकता है, इंग्लैंड महान हो सकता है, जर्मनी गर्वपूर्ण हो सकता है और इटली कुछ और हो सकता है।  लेकिन दयालबाग बहुत अधिक महान होगा ,संसार के सब राष्ट्रों से महान होगा और विश्व शांति दयालबाग द्वारा ही स्थापित होगी ।राधास्वामी दयाल ने इस केंद्र पर बड़ी तोप लगा दी है जिसमें राधास्वामी नाम के गोले चारों ओर चलाए जाएंगे ताकि काल और माया के तमाम कार्यवाहियों का अंत हो और तमाम सूरतें नाशमान बंधनो से मुक्त होकर राधास्वामी धाम की ओर ले जाई जायेगीं। हमारे मिशन के फलस्वरुप एक नई रचना का निर्माण हो रहा है। पुराने जमाने में जब कृष्ण महाराज अपने अनुयायियों के बीच मथुरा के जंगलों में अपनी बांसुरी बजाते थे तो वह आपस में हाथ पकड़ कर अपार आनंद में नाचते थे ।उसी तरह वह दिन आएगा जब कि जो (सत्संगी) भाई बहने यहां जमा है, मन और जड़ पदार्थों से पूर्ण रूप से अलग होकर राधास्वामी दयाल के चारों ओर नाचेंगे । अतः आप सब जवान और बूढ़े उस मौके के लिए तैयार हो जाओ। चाहे कहीं से भी कितनी भी ठोस रुकावट की जाए , उन दयाल का मिशन , जैसा कि ऊपर बयान किया गया है पूरा होना चाहिए और वह लोग जो इस रौ ( तेज धार) के रास्ते में खड़े होकर रुकावट डालेंगे उन्हें अवश्य ठुकरा दिया जावेगा।।                                      हुजूर ने फरमाया कि वह अपने सामने दयालबाग का पूरा प्लान देख रहे हैं और यह कि हम सब केवल राज या मजदूर केवल समान ढोने वाले हैं - परंतु असली निर्माता स्वयं हुजूर राधास्वामी दयाल है और हम उनका भावी प्लान नहीं जानते ।हममें से केवल वही मनुष्य , जिनको अंतरी दृष्टि प्राप्त है उसका कुछ अंदाजा लगा सकते हैं । यह फरमाकर हुजूर ने अपना हाथ अपने माथे पर रखा इस प्रकार कहना प्रारंभ किया--   यह ध्यान रखिए कि मैं स्वपन नहीं देख रहा हूँ, मैं शर्तिया जागृत हूं और जो कुछ मैंने कहा है वह अवश्य होकर रहेगा । उदाहरण के तौर पर विद्यालय आर. ई.आई. की इमारत के बारे में कहा कि वह ठीक उसी रूप में बनकर तैयार हुई है जैसा उन्होंने पहले उसके बारे में बचन फरमाए थे । उन दयाल ने परम गुरु हुजूर महाराज के लेखों का भी इस सिलसिले में हवाला दिया और फरमाया कि पुराने जमाने में संत महात्माओं ने दुनिया में आगे होने वाले प्रसार के बारे में केवल कुछ इशारे ही दिए थे। वह दयाल आज स्पष्ट शब्दों में यह ऐलान फरमा रहे हैं कि भविष्य में दयालबाग सारे संसार में एक आदर्श संस्था होगी ।

तब मौज से एक शब्द निकाला गया जिसकी पहली कड़ी थी-------"

 बढ़त सत्संग अब दिन अहा हा हा ओहो हो हो।

 (पुनः प्रकाशित- प्रेम प्रचारक 27 सितंबर, 1976)                       

 🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**


*जब कोई बीमार आदमी अपना इलाज करवाने के लिए डॉक्टर के पास जाता है तो उसकी बीमारी दूर करने के लिए उसे दवा दी जाती है।हमारे डॉक्टर हैं सतगुरु, बीमारी है कुलमालिक से जुदाई,और दवा है भजन-सिमरन।हमें कुलमालिक से जुदाई को दूर करने के लिए भजन-सिमरन की दवा लेने की ज़रूरत है।*

राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
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