Tuesday, March 24, 2020

सत्संग के मिश्रित प्रसंग बचन और उपदेश




प्रस्तुति- स्वामी शरण /
  आत्म स्वरूप / संत शरण


*परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-

रोजाना वाक्यात
13, 14 अगस्त 1932 शनिवार व रविवार :-

मोगा जिला फिरोजपुर से एक साहब ने खत भेजा है ।जिसमें अलावा दूसरी बातों के लिखा है कि उनकी राय में दयालबाग के रहने वाले सब के सब अंधविश्वासी और संस्कृत विद्या से अनभिज्ञ हैं । वह भाई गलती पर हैं और उनकी गलती की वजह है कि उन्होंने दयालबाग के रहने वालों को हम उसी की जिंदगी बसर करते हुए पाया। जो उनके लिए नया तजुर्बा था। क्योंकि उन्होंने अब तक जिंदगी आपस में झगड़ने वालों में रहकर गुजारी थी। यह नई हालत देखकर उन्हें ख्याल हुआ कि इस खामोशी का कारण अंधविश्वास ही हो सकता है। अब तो उन्होंने बिना अनुसंधान के राय काम कर ली और अपने अंधविश्वासियों में शामिल करते तादाद में बढ़ोतरी की।।                   
 विद्यार्थीयों के सत्संग में उनकी इच्छा अनुसार  पोथी राधास्वामी मत संदेश का पाठ हुआ। यह पोथी परम गुरच हुजूर महाराज की रचनाओं में से है और इसमें राधास्वामी मत का भेद निहायत सादा रीति से बयान किया गया है। विद्यार्थियों ने पाठ काफी गौर से सुना।।                 जदीद नहर दयालबाग की
स्कीम अब पूरी हो गई है। दो एक दिन के अंदर चीफ इंजीनियर साहब महकमा नहर आवेंगे।  उन्हें खिलाने का इरादा है। लैला मजनू की फिल्म से बीते हुए डेढ़ माह के अंदर ₹22000 करीब वसूल हो चुका है । यह सब कृपया इस नहर पर खर्च होगा और हमेशा के लिए पानी की किल्लत दूर हो जाएगी।।                    रविवार की रात को सत्संग में बयान हुआ कि सत्संगी भाइयों बहनों को तीन बातों की तरफ खास तवज्जुह देनी चाहिए। अव्वल बदन की सफाई व मकान की सफाई की तरफ और सोयम वक्त की पाबंदी की तरफ।

  हर सत्संगी को चाहिए कि दिन में कम से कम 1 मर्तबा जरूर अश्नान करें। साफ कपड़ा पहने। अपने घर को साफ सुथरा रखें और घर का कूड़ा ऐसे मकाम पर जमा करें कि किसी दूसरे को तकलीफ ना हो। इसके अलावा जहां तक हो सके सच बोले। बदन व मकान की सफाई से बीमारियों व डॉक्टरों की फीस से बचाव होगा और सच बोलने से मन को शांति और व्यवहार में आसानी रहेगी और वक्त की पाबंदी की आदत डालने से उसे स्वार्थी व परमार्थी कामों के लिए काफी फुर्सत मिल सकेगी । यह ऐसे काम है कि जिनके करने से हमारी संगत का कुल नक्शा बदल सकता है और जिन्हें अंजाम देने के लिए किसी खास पूंजी की जरूरत है किसी गैर कौम के मुकाबले में आने का खतरा ।

 आखिर में स्त्रियों से खास तौर पर अपील की गई क्योंकि बच्चों में घरों की सफाई का काम इस मुल्क में उन्हीं के जिम्मे है।।                 दिसंबर महीने के जश्न के मुतअल्लिक़ आम सतसंगियों व  ब्रांच सैक्रेटरी साहबान जो उस वक्त उपस्थित थे, ली गई। सबको पसंद आया कि जश्न में होने वाले खर्चो के लिए प्रति ब्रांच सत्संग कम से कम एक सद रुपया पेश होना चाहिए। इस वक्त दया से ब्रांच सतसंगों की तादाद 250 के करीब है। अगर यह प्रस्ताव मंजूर हो गई तो सब इंतजामात सतसंगियों के ठहरने व खान-पान संबन्धित के सिलसिले में तनिक भी दिक्कत ना होगी। और जश्न इच्छा अनुसार शानो शौकत के साथ मनाया जा सकेगा । दो एक रोज में विस्तृत सर्कुलर सभा मेम्बरो के नाम प्रेषित होगा।

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻*


**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-

सत्संग के उपदेश -भाग 1

- कल से आगे:-

गौर का मुकाम है इंसान का जिस्म खुद एक मशीन है। नीज पशु पक्षी और वनस्पति आदि के शरीर तरह-तरह की मशीनें हैं। अलावा इनके सूर्य भगवान एक ऐसी मशीन है जो बेशुमारवजन पानी समुद्रों से उठाकर पहाड़ों व मैदानों तक पहुंचाते हैं। हमारे घरेलू इस्तेमाल की मामूली चीजें ,जो प्राचीन काल से चली आती हैं, सभी तरह-तरह की मशीनें हैं। ।

सचरखा, चक्की, चूल्हा, अंगीठी, रेहट, चर्सा, ओखली मूसल वगैरह मशीनें नहीं तो क्या है ? इसलिए किसी इंसान का इन मशीनों के इस्तेमाल करते हुए नई व विशेषलाभदायक यानी इस जमाने की मशीनों के खिलाफ होना और उनका नाम सुनकर नाक भौं चढाना कैसे जायज हो सकता है?  यह मानते हैं कि इस जमाने में लोगों ने हमेशा कलों की ईजाद से जायज फायदा नहीं उठाया, जैसे बहुत सी कलें जो लडाई के महकमों के लिए तैयार की गई है नाजायज व नामुनासिब है।


काश इस किस्म की कलों के चाहने वालों को ख्याल होता कि इन आविष्कारों से" जो पर को खोदे कुआँ ताको  कूप तयार"  के उसूल के बमूजिब एक दिन खुद उनको या उनके देशवासियों को मुसीबत उठानी पड़ेगी। मगर ख्याल रहे कि अगर इस किस्म की ईजादों से इंसान को तकलीफ हो तो यह कसूर उनके प्रेमियों की नियत और नुक्तएँ निगाह का होगा क्योंकि अगर इनके दिल में शौक दूसरी कौमों को कुचलने का ना होता तो ये हरगिज़ इन ईजादो की तरक्की के मददगार ना होते और मददगार न रहने से ईजाद करने वालों की तवज्जुह कभीउनकी जानिब न जाती। अगर मशीनों के विरोधी अपनी कोशिश इस किस्म की मशीनों के बंद करने की जानिब मुखातिब करें तो निहायत मुनासिब है और यकीनन कुल की कुल मुहज्जब दुनिया उनका साथ देगी।
क्रमश:-🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻*



**परम गुरु हुजूर महाराज-

प्रेम पत्र- भाग 1-(13)

-【 सत्संग की महिमा】-

(1) सत्संग की महिमा सब मतों में वर्णन की है पर बहुत थोडे लोग हैं जो इसके कदर जानते हैं । बहुत से लोग तो यह भी नहीं जानते कि सत्संग किसको कहते हैं। तीर्थों में और मंदिरों में लोग अनगिनत जाते हैं पर सत्संग का खोज और उसमें शामिल होने की चाहा किसी के दिल में मालूम नहीं होती । इन कामों में फल बहुत कम है, और जो कुछ है सो भी सैर और तमाशे में जाता रहता है।।                         

( 2) सतसंग का फायदा बहुत ज्यादा है पर उसकी कदर और चाह बहुत कम है । सच तो यह है कि जब तक कोई सततपुरुषों का गहरा संग नहीं करेगा और उनके बचन को चित्त देकर नहीं सुनेगा और उन बचनों का मनन और विचार करके अपने फायदे की बातों को छांट कर थोड़े बहुत उनके मुआफिक बर्ताव नहीं करेगा, तब तक उस पर परमार्थ का रंग किसी तरह नहीं चढ़ेगा और न उसके मन और बुद्धि की हालत बदलेगी और उसका चालचलन दुरुस्त होगा । इस वास्ते सब जीवो को जरूर चाहिए कि अपने शहर में और जहां कहीं कि वे जावें सत्संग का खोज करके उसमें जिस कदर बन सके शामिल होकर उससे फायदा उठाने।।                   ( 3)- अब समझना चाहिए कि सत्संग किसको कहते हैं। संत अथवा राधा राधास्वामी मत में सत्संग नाम ऐसी सभा और संगत या जलसे का है जहां कि सच्चे मालिक का निर्णय और उसकी महिमा और उससे मिलने के सच्चे रास्ते और जुगत का बयान होता होवे और राजाओं और सूरमाओं और दानी पुरुषों की तारीफ और हाल का जिक्र ना होवे और मुखिया ऐसी संगत के सतगुरू  या साधगुरु होवें या उनका निज सत्संगी जो प्रेम और सचौटी के साथ अभ्यास कर रहा होवे, क्योंकि ऐसा सत्संग बगैर सत्तपुरुषों की मदद के जो कि आप मालिक से मिल रहे हैं या मिलने के लिए सच्चा अभ्यास कर रहे हैं और अपने तन मन और इंद्रियों को अभ्यास के बल से पूरा पूरा या किसी कदर काबू में लाए हैं, नहीं चल सकता और ना किसी को उससे जैसा चाहिए फायदा हासिल हो सकता है।

क्रमशः 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
।।।।।।









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