Saturday, March 21, 2020

सेहत के लिए सेवन करें।



उम्र के साथ अगर यह लेंगे तो हमेशा रहेंगे जवान 🌻

प्रस्तुति ,,पं0कृष्ण मेहता
जानिये किस उम्र कैसा हो आपका आहार

आयु अनुसार विशेष आहार : 🌷

शरीर को स्वस्थ व मजबूत बनाने के लिए प्रोटीन्स, विटामिन्स व खनिज (minerals) युक्त पोषक पदार्थो की आवश्यकता जीवनभर होती है | विभिन्न आयुवर्गो हेतु विभिन्न पोषक तत्त्व जरुर्री होते है, किस उम्र में कौन-सा तत्त्व सर्वाधिक आवश्यक है यह दिया जा रहा है :स्नेहा आयुर्वेद ग्रुप

१)🍃 जन्म से लेकर ५ वर्ष की आयु तक

★ 🌹इस उम्र में बच्चों के स्वस्थ शरीर तथा मजबूत हड्डियों के लिए विटामिन ‘डी’ जो कैल्शियम ग्रहण करने में मदद करता है व लोह तत्त्व अत्यावश्यक होता है |

★ 🌺विटामिन ‘डी’ की पूर्ति में दूध, घी, मक्खन, गेंहूँ, मक्का जैसे पोषक पदार्थ तथा प्रात:कालीन सूर्य की किरणें दोनों अत्यंत मददरूप होते है |

★🥀 किसी एक की भी कमी होने से बच्चों को हड्डियाँ कमजोर व पतली रह जाती है, वे सुखा रोग से ग्रस्त हो जाते है, अत: स्तनपान छुड़ाने के बाद बच्चों के आहार में लोह व विटामिन ‘डी’ युक्त पदार्थ जरुर शामिल करने चाहिए |

२) 🌷🌾६ से १९ वर्ष की आयु तक :

★🍃 ६ से १२ वर्ष की आयु बाल्यावस्था और १३ से १९ वर्ष की आयु किशोरवस्था है |

★🌹 इस आयु में शरीर तथा हड्डियों का तेजी से विकास होता है इसलिए कैल्शियम की परम आवश्यकता होती है | बड़ी उम्र में हड्डियों की मजबूती इस आयु में लिए गये कैल्शियम की मात्रा पर निर्भर रहती है | दूध, दही, छाछ, मक्खन, तिल, मूंगफली, अरहर, मुंग, पत्तागोभी, गाजर, गन्ना. संतरा, शलजम, सूखे मेवों व अश्वगंधा में कैल्शियम खूब होता है |

★🌷 आहार – विशेषज्ञों के अनुसार इस आयुवर्ग को कैल्शियम की आपूर्ति के लिए प्रतिदिन एक गिलास दूध अवश्य पीना चाहिए |

★🍂 इस उम्र में लौह की कमी से बौद्धिक व शारीरिक विकास में रुकावट आती है | राजगिरा, पालक,मेथी, पुदीना, चौलाई, आदि हरी सब्जियों एवं खजूर, किशमिश, मनुक्का, अंजीर, काजू, खुरमानी आदि सूखे मेवों तथा करेले, गाजर, टमाटर, नारियल, अंगूर, अनार, अरहर, चना, उड़द, सोयाबीन आदि पदार्थो के उपयोग से लौह तत्त्व की आपूर्ति सहजता से की जा सकती है |स्नेहा समूह

★ 🌼किशोरावस्था में प्रजनन क्षमता के विकास हेतु जस्ता (zinc) एक महत्त्वपूर्ण खनिज है | सभी अनाजों में यह पाया जाता है | इस आयु में खनिज की कमी से बालकों का स्वभाव हिंसक व क्रोधी हो जाता है तथा बालिकाओं में भूख की कमी एवं मानसिक तनाव पैदा होता है | अनाज, दालों, सब्जियों व कन्दमुलों (गाजर, शकरकंद, मुली, चुकंदर आदि) में खनिज विपुल माता में होते है |


३) 🍃२० से ३० वर्ष की आयु तक :

★🌻 इस युवावस्था में सर्वाधिक आवश्यकता होती है लौह तत्त्व, एंटी-ऑक्सीडेटस, फ़ॉलिक एसिड तथा विटामिन ‘ई’ व ‘सी’ की |

★🌼 (क) लौह तत्त्व : मासिक धर्म के कारण पुरुषो की अपेक्षा स्त्रियों को लौह तत्त्व की दोगुनी जरूरत होती है |

★ 🍁(ख) एंटी-ऑक्सीडेटस : कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त होने से बचाने हेतु तथा स्त्री-पुरुषों के प्रजनन-संस्थान को स्वस्थ बनाये रखने के लिए एंटी-ऑक्सीडेटस आवश्यक होते है | आँवला, मुनक्का, अंगूर, अनार, सेवफल, जामुन, बेर, नारंगी, आलूबुखारा, स्ट्रोबेरी, रसभरी, पालक, टमाटर में एंटी-ऑक्सीडेटस अधिक मात्रा में पाये जाते है | फलों के छिलके व बिना पकाये पदार्थ जैसे सलाद, चटनी आदि में भी ये विपुल मात्रा में होते है | अन्न को अधिक पकाने से वे घट जाते है |

★🥀 (ग) फ़ॉलिक एसिड : महिलाओं में युवावस्था व प्रारम्भिक गर्भावस्था में फ़ॉलिक एसिड की भी आवश्यकता होती है | यह फूलगोभी, केला, संतरा, सेम, पत्तेदार हरी सब्जियों, खट्टे-रसदार फलों, आडू, मटर, पालक, फलियों व शतावरी आदि में पाया जाता है |

★🌻 (घ) विटामिन ‘ई’ : पुरुषों में पुंसत्वशक्ति व स्त्रियों में गर्भधारण क्षमता बनाये रखने के लिए इसकी आवश्यकता होती है | यह ह्रदय व रक्तवाहिनियों को स्वस्थ रखकर रक्तदाब नियंत्रित रखता है | इससे गम्भीर ह्रदयरोगों में रक्षा होती है | अंकुरित अनाज, वनस्पतिजन्य तेल (तिल, मूंगफली, सोयाबीन, नारियल तेल आदि) व सूखे मेवे विटामिन ‘ई’ के अच्छे स्त्रोत है | एक चुटकी तुलसी के बीज रात का भिगोकर सुबह सेवन करने से भी विटामिन ‘ई’ प्राप्त होता है |

★ 🌼(ड) विटामिन ‘सी’ : रक्त को शुद्ध व रक्तवाहिनियों को लचीला बनाये रखने तथा हड्डियों की मजबूती के लिए यह आवश्यक है | संतरा, आँवला, नींबू, अनन्नास आदि खट्टे व रसदार फल, टमाटर, मुली, पपीता, केला, अमरुद, चुकंदर आदि में यह अच्छी मात्रा में पाया जाता है |

(४)🌹🏵️ ३१ से ५० वर्ष की आयु तक :

★ 🌻इस प्रोढ़ावस्था के दौरान कैल्शियम, विटामिन ‘ई’ और फ़ॉलिक एसिड की आवश्यकता अधिक होती है | फ़ॉलिक एसिड व विटामिन ‘ई’ ह्रदयरोगों की संभावनाओं को कम करते है |

★ 🌺महिलाओ में रजोनिवृत्ति के बाद इस्ट्रोजन हार्मोन स्त्रावित होना बंद हो जाता है, जिसके आभाव में कैल्शियम का अवशोषण मंद पड जाता है, अत: रजोनिवृत्ति के बाद हड्डियों को कमजोर होने से बचाने के लिए कैल्शियमयुक्त पदार्थों की जरूरत अधिक होती है |

(५) 🌼५१ से ७० वर्ष या इससे ऊपर की आयु :

★ 🌹इस उम्र के दौरान कोशिकाओं में होनेवाले वार्धक्यजन्य परिवर्तनों को रोकने के लिए एंटी-ऑक्सीडेटस सहायक तत्त्व है |

★ 🌺इनके अभाव में लकबा, ह्रदयरोग तथा ज्ञानतंतु व ज्ञानेंद्रियों की दुर्बलता (neurodegenerative changes) एवं कैंसर होने की सम्भावना अधिक होती है |

★ 🥀वृद्धावस्था में रक्तचाप को सामान्य रखने में पोटेशियमयुक्त पदार्थ लाभदायी हैं | फलों और सब्जियों, खुरमानी, आलूबुखारा, आडू, मुनक्का, खजूर, सूखे नारियल आदि में पोटेशियम समुचित मात्रा में मौजूद होता है |स्नेहा समूह

★🌼 इस आयु में दूध, फल और सब्जियों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए |

🌺इस प्रकार आयु अनुसार आहार लेने से व्यक्ति स्वस्थ व रोगमुक्त रहता है |

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