Thursday, March 26, 2020

कोरोना मधुशाला /वाट्स एप्प



*_यदि आज के कालखण्ड में हरिवंशराय बच्चन जीवित होते तो कोरोना पर शायद कुछ इस तरह लिखते:_*


कोरोना  से  डरा  हुआ  है
हर     कोई    पीने   वाला
कैसे निकलूं घर से मन मेँ
सोच  रहा    है   मतवाला
सूनी  सड़कें सूनी गलियाँ
सन्नाटा    मदिरालय     मेँ
सिसक रहा है रीता प्याला
बिलख  रही  है  मधुशाला



कभी  जहां हर  दिन सजती
थी  मादक प्यालों की माला
कभी  जहां   चहका  करता
था   हर  मदिरा  पीने  वाला
मरघट  जैसी   खामोशी   है
आंगन   मेँ    मदिरालय   के
विधवाओं  सी गुमसुम  बैठी
अपनी     प्यारी    मधुशाला

बड़े   बड़े  पंडित  दिन  भर
जो  करते थे  प्रवचन  माला
कोरोना  ने   डाल   दिया  है
उन  सबके  मुँह  पर   ताला
बंद  पड़े   हैँ  मंदिर  मस्जिद
गुरुद्वारे   भी     खाली     हैँ 
मजबूरी   में   फेर     रहें   हैँ
सब   अपनी  अपनी   माला 

एक  बार जिसके पड़ जाए
कोरोना   की    वर    माला
कितने  भी    हों   इष्ट  मित्र
पर   एक  नहीँ    छूने  वाला
चाहे  कितना   ऊंचा  पंडित
मुल्ला   और     रबाई      हो 
दूर   दूर   सब   रहते   उससे
घरवाली     साली       साला

बाजारें  सब    बंद  पड़ी   हैँ
व्याकुल     है   पीने    वाला
डरा  डरा  सा  दीख  रहा  है
हर    आने     जाने     वाला
सदा  चहकने   वाले   प्याले
पड़े   हुए    हैँ    औंधे    मुँह
सोच   रहा    है   बंद   रहेगी
ऐसे    कब   तक   मधुशाला

अपने   घर   में   बैठ गया   है
हर     कोई      देकर     ताला
किन्तु  चिकित्सक  को   देखो
वह  है  कितना  हिम्मत वाला
कोरोन    से   पीड़ित    होकर
दो    आएं    या     सौ    आएं
सबकी   जान  बचाने   मेँ वह 
लगा    हुआ     है     मतवाला

सावधान  रहना   है    सबको
बच्चा       बूढ़ा       मतवाला
घर  के  भीतर  रहो  भले  ही
बाहर     पड़    जाए    पाला
कोरोना   की   दया   दृष्टि  से
दूर     रहो     दुनियाँ     वालो
बचा   नहीँ   पाएगा     तुमको
फिर     कोई     ऊपर    वाला

बाहर   निकलूं   तो   जोखिम
है   कहता    सबसे  मतवाला
मरने   से   डरना    बेहतर  है
सोच    रहा     पीने      वाला 
आग   लगे    मादक    प्यालों
मेँ , पीने  की  अभिलाषा   मेँ
जान  रहेगी    फिर  पी    लेंगे
भाड़   मेँ    जाए     मधुशाला

मास्क   लगा    कर ,  घर   से
निकला  है  बाहर .जाने वाला
हाथों   मेँ   भी   ग्लव्स   पहन
कर   आया  है  वह  मतवाला
और   जेब   मेँ   रखे  हुए    है
सिनेटाइजर     की        शीशी
बाल    न   बांका  कर  पाएगा
कोरोना      इटली         वाला

खांस  -  छींक   से   सावधान
है ,  हर   कोई   भोला   भाला
हाथ    मिलाने   मेँ    जोखिम
है ,  समझ  रहा  है   मतवाला
दूरी   एक    बनाकर     सबसे
रखना    बहुत    जरूरी      है
पड़े    रहेंगे     वरना   जग  मेँ
हाला      प्याला      मधुशाला

चोर    उचक्के    परेशान    हैं
अब    क्या  है    होने    वाला
हर   कोई   घर   में   बैठा    है
बाहर     से      देकर     ताला
धंधा     पानी      बंद     रहेगा
कब   तक   इस   कोरोना   से
जल्दी   इसका    नाश     करे
अब   महादेव   डमरू   वाला

छेड़   छाड़  करने  में  अब तो
हिचक    रहा    है    मतवाला
निर्भय   होकर   घूम   रही   है
इधर   उधर     साकी     बाला
कौन   कहे    ये    भी    आयी
हो  घूम   घाम   कर इटली  से
लेने    के     देने    पड़    जाएं
हो    जाए     गड़बड़    झाला

तितर   बितर  हैँ सभी जुआरी
अब    क्या    है   होने   वाला
चाहे   जितना   फोन  मिलावैं
एक    नहीँ      आने      वाला
फेंट    रहा     है     सूखे   पत्ते
सारा      दिन     मजबूरी    में
राम   करे   पड़   जाए     इस
दुश्मन   कोरोना    पर   पाला

कोरोना   का    रोना    लेकर
बैठा      है      पीने       वाला
चिंता  मग्न  पड़ा  है   घर  में
वह    सूखा   सूखा     प्याला
मित्र    जनों   का जमघट  भी
अब   नहीं   लगा  है अरसे  से
मुरझाई   सी    बंद   पड़ी    है
बेसुध      होकर      मधुशाला

जिसको      जीवन       प्यारा
उसने  घर  में   है  डेरा  डाला
भूल  गया  सब  गश्ती   मस्ती
मादक    प्यालों    की   माला
कोरोना   के   डर   से अपनी
बिसराई      सब      चालाकी
याद  न   आई   चंचल   हाला
भूल   गया    वह    मधुशाला

जनता   कर्फ्यू   की    महिमा
को  समझ   रहा   है मतवाला
इसी  लिए   बैठा   है   घर   मेँ
हर     कोई     भोला     भाला
अपने    हाथों   से   करनी   है
अपनी      ही       पहरे - दारी
अपने  जीवन   का  बनना   है
सबको     अपना     रखवाला
[26/03, 23:21] AY आलोक यात्री: शुभ शुभ वंदन 👍🙏🙏🙏
[27/03, 00:45] +91 94510 63291: Ameen. Marmik

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