**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज- रोजाना वाकिआत- 10 दिसंबर 1932- शनिवार:- जलसा के दिनों के लिए तीन फिल्मों का बंदोबस्त woहो गया है । पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट की तरफ से बेहतरीन फिल्में आवेगीँ दीवान बहादुर हर बिलास सारदा को अपने 3 रचनाएं नजर की ।ड्रामा स्वराज, ड्रामा संसार चक्र ,और गीता का उर्दू तर्जुमा। हजरत दिलचस्प दयालबाग देखने आया चाहते हैं। शौक से आव़े घर घर तुम्हारा है। लेकिन बेहतर हो कि 20 दिसंमबर से पहले पहले तशरीफ़ लावें। और जलसा के कामों की वजह से मुझे भी फुरसत न मिलेगी। ऐसे ही एक और साहब ने रियासत बीकानेर से खत लिखा है। वह भी 26 दिसंबर को आया चाहते है और प्राईवेट में मुलाकात के ख्वाहिसमंद है। भला उन दिनों यह मौका कहाँ । रात के सत्संग बयान हुआ कि हमें जोश या खुशी में भरकर कोई ऐसा काम न करना चाहिए जो हमको परमार्थी लक्ष्य से गिरा दे। संत मत के अंतरी साधन में कामयाबी हासिल करने के लिए निहायत जरूरी है कि प्रेमी जन के ह्रदय में भगवंत के लिए अनन्य भक्ति हो। इंसान जोश या खुशी से अधीन होकर भगवंत को भूल जाता है और उसका मन फूल कर कुप्पा बन जाता है । उस वक्त तो यह हालत अच्छी लगती है लेकिन जब वह अभ्यास में बैठता है उस वक्त उसका करनी का फल भुगतता है और रोता है । 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
Wednesday, July 29, 2020
रोजाना वाक्यत / 29072020
**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज- रोजाना वाकिआत- 10 दिसंबर 1932- शनिवार:- जलसा के दिनों के लिए तीन फिल्मों का बंदोबस्त woहो गया है । पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट की तरफ से बेहतरीन फिल्में आवेगीँ दीवान बहादुर हर बिलास सारदा को अपने 3 रचनाएं नजर की ।ड्रामा स्वराज, ड्रामा संसार चक्र ,और गीता का उर्दू तर्जुमा। हजरत दिलचस्प दयालबाग देखने आया चाहते हैं। शौक से आव़े घर घर तुम्हारा है। लेकिन बेहतर हो कि 20 दिसंमबर से पहले पहले तशरीफ़ लावें। और जलसा के कामों की वजह से मुझे भी फुरसत न मिलेगी। ऐसे ही एक और साहब ने रियासत बीकानेर से खत लिखा है। वह भी 26 दिसंबर को आया चाहते है और प्राईवेट में मुलाकात के ख्वाहिसमंद है। भला उन दिनों यह मौका कहाँ । रात के सत्संग बयान हुआ कि हमें जोश या खुशी में भरकर कोई ऐसा काम न करना चाहिए जो हमको परमार्थी लक्ष्य से गिरा दे। संत मत के अंतरी साधन में कामयाबी हासिल करने के लिए निहायत जरूरी है कि प्रेमी जन के ह्रदय में भगवंत के लिए अनन्य भक्ति हो। इंसान जोश या खुशी से अधीन होकर भगवंत को भूल जाता है और उसका मन फूल कर कुप्पा बन जाता है । उस वक्त तो यह हालत अच्छी लगती है लेकिन जब वह अभ्यास में बैठता है उस वक्त उसका करनी का फल भुगतता है और रोता है । 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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