Monday, July 20, 2020

संसार चक्र (नाटक ) 20072020



**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराl
-【संसार चक्र】

( चौथा अंक)-

पहला दृश्य:-

 (भूमि गांव के स्टेशन पर लोगों की भीड़ जमा है। राजा दुलारेलाल के आने की खबर है । दीवान साहब और राजपंडित भी मौजूद है। रेल आती है। राजा दुलारेलाल व इंदुमती गाड़ी से उतरते है।)

राज पंडित-( चिल्लाकर ) राजा दुलारेलाल की जय!

( सब लोग 'जय' पुकारते है।)

दीवान साहब -श्री महाराज! आज का दिन बड़ा ही मुबारक है।
राज पंडित-  जैसे बछडे गौओं से मिलकर सुखी होते हैं, इसी प्रकार श्री महाराज की प्रजा आज खुश हो रही है।

( दुलारेलाल और इंदुमती लोगों को हाथ जोड़ते हैं। सब जय जय पुकारते है। राजपंडित पहले राजा दुलारेलाल और रानी इंदुमती को फूलों के हार पहनाते हैं। बाजा बजता है और जुलूस तैयार होकर सब लोग शहर की तरफ चलते हैं । दुलारेलाल व इंदुमति एक गाड़ी में सवार हैं।)



 एक आदमी -अरे! अब तो राजा साहब पहिचाने ही नही जाते।

 दूसरा आदमी- साल भर बाहर रहने से दोनों की शक्लें ही बदल गई।

तीसरा आदमी-पर चेहरों पर शांति बरसती है ।

पहला आदमी-तीर्थ यात्रा अगर शुद्द भाव की जाए तो अपना फल देती ही है।

 दूसरा आदमी -अच्छा हुआ साल भर बाहर रह आये, नहीं तो बच्चे के मरने का दुख खा लेता।

 चौथा आदमी- सुना है पहले कुरुक्षेत्र गये, फिर गोदावरी और समय काशी, प्रयाग सभी तीर्थ कर आये।

  दूसरा आदमी- उम्मीद है अब राजा साहब की पुरानी आदतें छूट गई होंगी।

पहला आदमी- जब किसी पर ईश्वर की कृपा होती है तो उसके काँटो के फूल बना देता है। तुमने देखा रानी जी को ?
मुझे तो उनका पैर भारी मालूम होता है।

दूसरा आदमी-मालूम तो होता है, और ईशवर की कृपा हुई तो जल्द ही कोई खुशखबरी सुनने में आवेगी।(

चौक बाजार में पहुँच कर जलूस खडा हो जाता है । लोग छतों से फूल बरसाते हैं। कुछ लड़कियाँ आगे बढ़ती हैं । दो लड़कियों के हाथ में फूलों की मालाएँ हैं। लड़कियां गाड़ी के सामने आकर खड़ी हो जाती है गाती हैं।)                                                 

  धन्य घडी है आज, धन्य यह समय सुहाये।
 महारानी महाराज दोऊ तीरथ कर आये।
 नर-नारी सुरसाज उमँगअंग देहिं बधाई।
जुग-जुग रहे तुम राज और हो जोति सवाई।।   

  ( इसके बाद लड़कियां दुलारेलाल और इंदुमती को हार पहनाती हैं। दुलारेलाल गाडी में खड़े होकर शुक्रिया अदा करते हैं।)                           

दुलारेलाल- भूमिगाँव-निवासियो!  आपका दास और इंदुमती आपके इस प्रेम के लिए धन्यवाद पेश करते हैं। तीर्थ यात्रा से हमारे जीवन में बड़ा परिवर्तन हो गया है ।अगर आपकी  कृपा शामिलेहाल रही तो बा उम्र हम दोनों आपकी दिल खोल कर सेवा करेंगे।

( राजा दुलारेलाल हाथ जोड़ कर नमस्कार करता है ।)

 लोग-राजा दुलारेलाल की जय रानी इंदुमती की जय !(जलूस आगे बढ़ता है। )

क्रमशः                   

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**



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