Thursday, July 23, 2020

प्रेमपत्र, रोजाना वाक्यात, औऱ संसारचक्र


 **परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज- रोजाना वाकिआत- 5,6,7 दिसंबर 1932 -सोमवार से बुधवार:-" इंसान क्या चाहता है "। इस सवाल का बहुत से दार्शनिकों ने जवाब देने की कोशिश की है। नेत्शे की राय है कि इंसान ताकतवर बनना चाहता है मगर हिंदुस्तान के बाशिंदों दो बाशिंदों का तो हाल ही अस्त व्यस्त है । यहाँ के लोग तो आम तौर महज गुजारा चाहते हैं। उनके दिल में किसी खास चीज या हालत के लिए शौक नहीं है। बस इतना हो कि बाल बच्चे सुखी रहें और आराम से जिंदगी कट जाये। मालूम होता है कि मगरिब में जिंदगी की कशमकश ज्यादा होने से आम तौर लोग ताकत के इच्छुक हैं।।                                                         हजरत खामोश अपने रोजानामचा मोवर्रिखा 22 नवंबर में तहरीर करते हैं कि उनके गांव (जिला फतेहपुर) में किसान आजकल ₹1 की 20 साल पुरानी जवार लाते हैं और उसी का सेर भर दलिया तीन सेर मट्ठों में डालकर पका लेते हैं और सब घर यही खाकर खुदा का शुक्र बजा लाते हैं। इससे समझ में नहीं आ सकता कि इस मुल्क के किसान कैसे आहिस्ता आहिस्ता मौत के मुंह में उतर रहे हैं। दूसरे मुल्कों में अगर यह हालत हो तो ऐसी हाय तौबा मच की जमीन व आसमान हिल जायें मगर ये हिंदुस्तान हजरत खामोश का वतन है यहाँ हर शख्स खामोश ही रहना पसंद करता है। गवर्नमेंट भी क्या करें? किसानों की कमाई से गवर्नमेंट के सब काम चलते हैं । किसानों की इमदाद के लिए किसकी कामाई आवे? अगर नमक से नमकीनी जाती रहे  तो वह किस चीज से नमकीन बनाया जावे? क्रमशः                     🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
[7/23, 04:22] +91 97176 60451: **परम गुरु हुजूर महाराज-प्रेम पत्र-भाग-एक-कल से आगे:-(8) फिर मुकाम त्रिकुटी से दोनों धारें उतर कर सहसदलकँवल में आकर ठहरीं और यहाँ इनका नाम जोत निरंजन और शिव शक्ति हुआ।ब्रह्मांड में ब्रह्म सृष्टि की रचना इन्होने करी। यहाँ पर निरजंन जोत का स्वरुप जुदा जुदा प्रगट हुआ और दोनों चैतन्य और निहायत लतीफ यानी सूक्ष्म स्वरुप है। इस मुकाम से तीनों गुण की धारें यानी सत, रज, तम जिनको ब्रह्म, विष्णु और महेश कहते हैं और पांच तत्व सूक्ष्म यानी पृथ्वी, जल , अग्नि, पवन और हुए। इन आठों से मिलकर चेतन पुरुष और माया के तीन लोक की रचना करी, यानी देवता, असुर और चार खान के जीव ( जेरज, अंडज,स्वेदज और उद्भिज), जिसमें मनुष्य, चौपाये,परिंद और कीड़े मकोड़े और अनेक किस्म के दरख्त और वनस्पति और खाने शामिल है, पैदा किये और सूरज और चांद और जमीन आसमान रचे गए क्रमशः🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**


**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज -

【संसार चक्र 】

-कल से आगे :-

बाँदी -श्री महाराज! महारानी जी ने कहलाया है के अँगूठी वाले नौजवान की पूरी खातिर की जावे और राजपंडित से दरख्वास्त की जाय कि राजकुमार का अमृतलाल ही नाम रक्खा जाय। महारानी जी अँगूठी देख कर बड़ी ही प्रसन्न हुई।

( हंस पड़ती है और वापस चली जाती है।)

                                   

 राजपंडित- भाई हम तो आगे ही कह रहे थे राजकुमारों के लायक नाम है ।

दीवान साहब -श्री महाराज ! अगर आज्ञा हो तो मैं कुछ अर्ज करूँ।

 दुलारेलाल- हाँ हाँ कहिये।

 दीवान साहब- अभी बुढिया कहती थी कि स्त्री का दिल संतान के लिए बहुत तड़पता है ।ये लोग अमृतलाल को गोद क्यों न लें लें?  इसको मां-बाप मिल जायँगे और उनको पली पलाई संतान ।

 दुलारेलाल- बहुत खूब ! मैं भी यही सोच रहा था।

( गले से सोने का कण्ठा उतार कर)

यह लो अमृतलाल! इसे पहनो तुलसी बाबा और उनकी धर्मपत्नी को नमस्कार करो । ये तुम्हारे ताऊजी और ताईजी थे, आज से तुम्हारे पिता और माता हुए।

( बाँदी एक थाल मिठाई का लेकर आती है।)

बाँदी- श्री महाराजा ! यह थाल महारानी जी ने अँगूठी वाले के लिये भेजा है।

दुलारेलाल (नौजवान से) लो भाई लो, मिठाई की कसर थी, वह भी पूरी हो गई। खिलाओ सबको मिठाई ।अपने हाथ से बाँटो।

नौजवान-हुजूर! क्या मैं स्वपन देख रहा हूँ?

 दुलारेलाल- नहीं तुम जाग रहे हो, तुम संसार-चक्र का तमाशा देख रहे हो ।।             


🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**





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