Thursday, July 23, 2020

मृत्यु से साक्षात्कार है जीवन है



🙏 *परमात्मा को जानने का एक तरीका मृत्यु को पूर्ण रूप से जान लेना भी है।*🙏

कोई भी पशु मृत्यु से भयभीत नहीं है, क्योंकि किसी भी पशु की भविष्य के लिए कोई योजना नहीं होती। जितनी बड़ी योजनाएं होती हैं, उतना ही अधिक भय होता है। मृत्यु, वास्तव में, इस बात का भय नहीं है कि आप मर जाएंगे बल्कि इस बात का भय है कि आप अपरिपूर्ण ही मर जाएंगे और यह संभव नहीं है कि इच्छाओं को परिपूर्णता तक ले जाया जा सके और मृत्यु कभी भी आ सकती है।

यदि मैं अपरिपूर्ण ही मरता हूं, तो सचमुच भय है। मैं अभी तक अपरिपूर्ण हूं। मैंने एक क्षण भी परिपूर्णता का नहीं जाना, और मृत्यु आ सकती है। अंत मैं निरर्थक ही जीया। जिंदगी बेकार गई, बिना किसी शिखर के, बिना एक भी क्षण सत्य, शांति, सौंदर्य, आनंद के। मैं सिर्फ एक अर्थहीन निष्प्रयोजनता में जीया तब मृत्यु एक भय बन जाती है। यदि मैं परिपूर्ण हूं, यदि मैंने वह जाना है जो कि जीवन किसी को अवगत करा सकता है, यदि मैंने वह जाना है जो कि वस्तुतः जीवंत है, यदि मैंने एक भी क्षण सौंदर्य का, प्रेम का, परिपूर्णता का जाना है तो फिर मृत्यु का भय कहां है?
 आप उसका स्वागत कर सकते हैं, उसे गले लगा सकते हैं, उसका आतिथ्य कर सकते हैं तो फिर आपने परमात्मा का आवाहन किया है। अब मृत्यु कभी भी नहीं आ सकती: केवल परमात्मा ही आ सकता है। मृत्यु अब वहां नहीं होगी, केवल परमात्मा ही होगा।

No comments:

Post a Comment

पूज्य हुज़ूर का निर्देश

  कल 8-1-22 की शाम को खेतों के बाद जब Gracious Huzur, गाड़ी में बैठ कर performance statistics देख रहे थे, तो फरमाया कि maximum attendance सा...