Tuesday, November 30, 2010

आधुनिक भारत का रहस्य-2

श्रीशिव दयालसिंह : राधा स्वामी सत्संग का नाम सभी ने सुना होगा। दुनियाभर में इस आंदोलन से लगभग दो करोड़ लोग जुड़े होंगे। इस एकेश्वरवादी मूर्ति भंजक संगठन की स्थापना श्रीशिव दयाल सिंह द्वारा की गई थी। आगरा में दयालबाग नामक इस संगठन का मुख्य मंदिर है जहाँ दयाल सिंह की समाधि है।

राधा स्वामी मत की अवधारणा का जन्म 1861 में हुआ था। इसे वेदों पर आधारित संत मत माना जाता है। इस संगठन में बहुदेववाद, मूर्ति पूजा, माँसाहार और मद्यपान - उक्त चार बातें सख्ती से निषेध मानी गई है। इस संगठन का भारतभर में व्यापक प्रचार-प्रसार है।

दादा लेखराज : दादा लेखराज मूलत: हीरों के व्‍यापारी थे। आपका जन्म पाकिस्तान के हैदराबाद में हुआ था। दादा लेखराज ने सन 1936 में एक ऐसे आंदोलन का सूत्रपात्र किया जिसे आज 'प्रज्ञापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विद्यालय' के नाम से जाना जाता है। सन् 1937 में आध्‍यात्मिक ज्ञान और राजयोग की शिक्षा के माध्यम से इस संस्था ने एक आंदोलन का रूप धारण किया।

जब दादा लेखराज को ‘प्रजापिता ब्रह्मा’ नाम दिया गया तो जो उनके सिद्दातों पर चलते थे उनमें पुरुषों को ब्रह्मा कुमार और स्त्रीयों को ब्रह्मा कुमारी कहा जाने लगा। यह आंदोलन भी एकेश्वरवाद में विश्वास रखता है। विश्वभर में इस आंदोलन के कई मुख्‍य केंद्र हैं तथा उनकी अनेकों शाखाएँ हैं। इस संस्था का मुख्‍यालय भारत के गुजरात में माऊँट आबू में स्थित है। इस आंदोलन को बाद में दादी प्रकाशमणी ने आगे बढ़ाया। यह आंदोलन बीच में विवादों के घेरे में भी रहा।

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बाबा रामदेव : बाबा रामदेव अपने विचारों, बेबाक कथन और योग के कारण अक्सर चर्चा में रहते हैं। बाबा रामदेव के माध्यम से योग को जो प्रचार मिला है इससे पहले कभी इतना प्रचार नहीं मिला। रामदेव के कारण योग को पूरी दुनिया में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। बाबा ने दुनियाभर की यात्रा कर वहाँ योग शिविर लगाएँ है। देश के कई स्थानों पर योग शिविर का उन्होंने सफलतम आयोजन कर लाखों लोगों को स्वास्थ्य लाभ दिया है।

बाबा रामदेव ऊर्फ रामकृष्ण यादव का जन्म 1965 को हरियाणा में हुआ। नौ अप्रैल 1995 को रामनवमी के दिन संन्यास लेने के बाद वे आचार्य रामदेव से स्वामी रामदेव बन गए। प्रारंभ में दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट की स्थापना की। बाद में योग और आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार के लिए पतंजलि योग पीठ की स्थापना की। छह अगस्त 2006 को इसका उद्‍घाटन किया गया। योग और आयुर्वेद का यह दुनिया का सबसे बढ़ा केंद्र माना जाता है।

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