Wednesday, November 10, 2010

अपनाइए योग रहिए निरोग

अपनाइए योग रहिए निरोग

Content provided by: सखी
Written by: अन्‍य
Date of Publishing: 2010-05-26 13:43:34.0 | Last reviewed on:
  • Email
  • Print
yogaशरीर, मन और आत्मा हर स्तर पर स्वस्थ बने रहने के लिए योग और आसनों का अपना अलग महत्व है। योग की ऐसी कई विधियां हैं, जिनका नियमित अभ्यास करके आप हमेशा पूरी तरह स्वस्थ एवं निरोगी बनी रह सकती हैं। यहां तक कि यह आपको अपने पूरे परिवार को निरोगी रखने में भी कारगर महसूस होगा। देश में प्रचलित योग विधियों में कई ऐसे आसन हैं, जो लगभग हर तरह के रोग को दूर करने की क्षमता रखते हैं। 
योग के अभ्यास के लिए कई प्रकार की क्रियाओं और आसनों का वर्णन पुस्तकों में मिलता है। यदि आप पहले से इनका अभ्यास नहीं करते रहे हैं और योग क्रियाओं से बिलकुल अनजान हैं, तब हो सकता है कि आपको इनके बारे में अधिक जानकारी न हो। अगर ऐसा है तो बेहतर होगा कि आप केवल किताबी ज्ञान के आधार पर योग अभ्यास शुरू करने के बजाय किसी योग्य प्रशिक्षक के निर्देशन में अभ्यास शुरू करें।

हताश लोगों की आस 

दिल्ली के आर.के.पुरम में रहने वाली सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल स्नेहा अकसर परेशान रहती थी। उसके जोड़ों में अकसर दर्द रहता था। तमाम जगह इलाज कराने के बाद उसे लगने लगा था कि अब यह दर्द दम निकलने के साथ ही जाएगा। इसी बीच उसकी मुलाकात एक योगाचार्य से हुई और उसने उनके निर्देशानुसार कुछ खास योगासनों का अभ्यास शुरू किया। वह अभी भी रोज एक घंटे योग क्रियाओं का अभ्यास करती है और आज वह एकदम तंदुरुस्त है। स्नेहा जैसे कई लोग हैं जिन्होंने इलाज से हताश होकर योग को अपनाया और उन्हें काफी हद तक इसका फायदा भी मिला। 
आज न केवल दिल्ली, बल्कि देश के सभी प्रमुख शहरों में योग से जुड़े कई तरह के क्लासेस चल रहे हैं। यहां आने वालों को उनकी परेशानियों के समाधान के लिए अलग-अलग तरह की योग विधियों के बारे में विस्तार से बताया जाता है। इस मामले में लोगों के सामने सबसे पहला प्रश्न यह होता है कि वे अपने लिए किन आसनों का चुनाव करें।

कैसे चुनें आसन 

वस्तुत: योग का दायरा काफी बड़ा है और आसन भी सैकड़ों तरह के हैं। हर व्यक्ति की शारीरिक स्थिति के अनुकूल उसके स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने वाले कोई न कोई आसन जरूर हैं। हर व्यक्ति का अपना अलग व्यक्तित्व होता है और उसी के अनुसार उसकी आवश्यकताएं भी होती हैं। कुछ लोगों को बहुत ही अनुशासित आसन समूह की जरूरत होती है, तो कई लोगों के लिए आसान आसन उपयुक्त होते हैं।
योग विशेषज्ञों के अनुसार हर व्यक्ति को अपने जीवन में योग अपनाना चाहिए, लेकिन कोई भी स्टाइल अपनाने से पहले यह पता कर लेना चाहिए कि उसे योग का कौन-सा स्टाइल सबसे अधिक सूट करेगा। ऐसा इसलिए जरूरी है ताकि आप योगासनों को अपनाने के क्रम में बिलकुल शुरुआती दौर में ही किसी ऐसे आसन का अभ्यास न शुरू कर दें, जो आपके लिए बहुत मुश्किल हो। उदाहरण के लिए, यदि आप पहले से कोई अभ्यास किए बगैर योगासन शुरू ही करने जा रही हैं तो आपके लिए आसान किस्म के आसन बेहतर होंगे। इनमें विशेष रूप से विनियोग का नाम भी लिया जा सकता है, जो मुख्य रूप से हर व्यक्ति की व्यक्तिगत आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। इसके अलावा आप अपने लिए किसी अन्य स्टाइल का चुनाव करना चाहती हैं, तो बेहतर यह होगा कि आप शुरुआती दौर में दो या तीन प्रकार के आसन करें। इस दौरान आपको जो भी स्टाइल सबसे सुविधाजनक लगे, उसे अपना लें। हां, किसी आसन समूह को अपनाने से पहले अपने योग प्रशिक्षक की राय जरूर लें।
योग हर व्यक्ति के लिए उपयोगी है। यह न केवल शारीरिक क्रियाओं को सही करता है, बल्कि आपके आध्यात्मिक विकास में भी सहायक होता है। इससे आप किसी भी बात या चीज पर आसानी से अपना ध्यान केंद्रित करना सीख जाती हैं। इससे आपकी सांस लेने की प्रक्रिया भी सही हो जाती है, जो जीवन में स्थिरता लाती है। साथ ही योग से आपका शरीर अधिक सुडौल भी बनता है। इस तरह आप एक खुशहाल जीवन जी सकती हैं।

अष्टांग योग 

विशेषज्ञों के अनुसार योग की यह पद्धति उन लोगों के लिए बेहतर है जो कड़ी मेहनत करते हैं। यह आसन आपके शरीर को सुडौल बनाने में मदद करता है। मशहूर सेलीब्रिटी़ज मैडोना, जेरी हैलीवेल और हॉलीवुड की सबसे खूबसूरत और सुगठित बदन की मल्लिका के नाम से प्रचलित अभिनेत्री डेमी मूर भी इस पद्धति को अपनाती रही हैं। शरीर के लिए उत्तम स्वास्थ्यव‌र्द्धक और चुनौतीपूर्ण आसन के रूप में पहचाने जाने वाले इस आसन के बारे में मैसूर के योगाचार्य के.पट्टाभी जॉयस का मानना है कि इससे शरीर के भीतर वायु संचार की प्रक्रिया सही हो जाती है। मांसपेशियों में भी शक्ति का संचार होता है और बीमारियां दूर होती हैं। इस योगासन के लिए कई स्थानों पर अलग-अलग तरह की कक्षाएं भी चल रही हैं।

अयंगर के आसन 

जो लोग भारी थकाऊ काम के बाद पसीने से लथपथ हालत में सांसों पर काबू पाने की कोशिश करते हैं और एक निश्चित आसन के जरिये सभी लाभ हासिल करना चाहते हैं, उनके लिए बीकेएस अयंगर द्वारा ई़जाद किए गए ये आसन सर्वाधिक उपयोगी हैं। ये शरीर की हर क्रिया को संतुलित रखने के लिए क्लासिकल पोस्चर देते हैं। इन आसनों से जागरूकता बढ़ती है, जिससे आप अपने दैनिक जीवन में रोज सामने आने वाली बातों से नई सीख हासिल करती हैं। कई विशेषज्ञ चिकित्सा में भी इसका इस्तेमाल करते देखे जा सकते हैं, जिससे दमा, अस्थमा, गठिया, ऑर्थराइटिस आदि रोगों में काफी आराम मिलता है। इसके लिए भी कई स्थानों पर अलग-अलग कक्षाएं चल रही हैं।

पूरे हाथ वाले आसन 

जो लोग खुद के भीतर अधिक लचीलापन लाते हुए तनाव को दूर करना चाहते हैं और इसके लिए योगासनों के आसान तरीकों को अपनाना चाहते हैं, उनके लिए यह आसन काफी उपयुक्त है। योग विशेषज्ञों के मुताबिक वैसे तो सभी योगासन इसी विधि से प्रकट हुए हैं, लेकिन इनमें भी पूरे हाथ नामक आसनों की एक विशेष शाखा है। यह सरल तरीके का आसन है, जो आपके शरीर में लचीलापन बढ़ाकर आरामदेह स्थिति को बढ़ाता है। इन आसनों के दौरान आपको सांस से संबंधित प्राणायाम का लाभ स्वयं ही हासिल हो जाता है। इस आसन के लिए हमारे देश के साथ ही विदेशों में भी अनेक कक्षाएं चल रही हैं।

संपूर्ण आसन 

जो लोग योग के माध्यम से शरीर, मन और आत्मा, हर स्तर पर अपना विकास चाहते हैं और इसके लिए एक संपूर्ण आसन की तलाश में होते हैं, उनके लिए यह आसन बिलकुल उपयुक्त है। इसमें हाथ पोस्चर का पूरा-पूरा उपयोग होता है, जो आरामदायक स्थिति के साथ शारीरिक क्रियाओं को संतुलित रखने तथा आध्यात्मिक अभिरुचि को बढ़ाने का काम करता है। इसकी क्लासेस से यदि आप जुड़ती हैं तो इसमें आपको बिना किसी तनाव के सांस लेने के तरीके, गहरा आराम और मौन अध्यात्म के लिए लंबी कड़ी मिलेगी।

बिक्रम की पद्धति 

बिक्रम आसन को पसीने की अधिकता के लिए जाना जाता है। जिन लोगों को जोड़ों और मांसपेशियों में चोट के कारण परेशानी है और पसीने की अधिकता से कोई परेशानी नहीं है, यह आसन मुख्य रूप से उनके लिए ही है। इस आसन को 110 डिग्री के तापमान पर किया जाता है। इस आसन की खोज ब्रिकम चौधरी ने की थी। इस आसन में 26 कठिन पोस्चर का उपयोग किया जाता है ताकि शरीर के हर हिस्से में ऑक्सीजनयुक्त रक्त का संचार हो सके और जहां भी दर्द या परेशानी है वह दूर हो जाए। इसके अलावा इस आसन के दौरान 110 डिग्री का ऊंचा तापमान मांसपेशियों और हड्डियों को जोड़ने वाले तंतु को अधिक लचीला बनाने में सहयोग करता है।

जागरण के लिए कुंडलिनी 

यदि आप अपने प्रति जागरूक नहीं हैं तो इससे बेहतर उपाय नहीं हो सकता। इसकी
खोज योगी भजन ने की थी। इस योग को अपनाने का मुख्य उद्देश्य शरीर के भीतर ही मौजूद ऊर्जा को जाग्रत करना है। इसके लिए सांस की एक्सरसाइ़ज तथा कई क्रियाओं का सहारा लिया जाता है। कई तरीके ऐसे भी होते हैं, जो शुरू में तो अजीबोगरीब लगते हैं, परंतु बाद में काफी आरामदेह साबित होते हैं।
इनके अलावा योग विशेषज्ञ कई और आसनों को भी काफी महत्वपूर्ण बताते हैं। इस क्रम में विनियोग, कृपालु, शिवानंद, अनासुर, सत्येंद्र आदि का नाम लिया जा सकता है। इसी प्रकार अन्य योग विधियां भी हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग तरीके से लाभकारी होती हैं।

No comments:

Post a Comment

सूर्य को जल चढ़ाने का अर्थ

  प्रस्तुति - रामरूप यादव  सूर्य को सभी ग्रहों में श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि सभी ग्रह सूर्य के ही चक्कर लगाते है इसलिए सभी ग्रहो में सूर्...