Tuesday, November 30, 2010

agra- dayalbagh

Sunday, May 16, 2010

मेरा शहर, आगरा......

कहते हैं कि किसी इंसान का बचपन जिस शहर में गुज़रा हो उसकी यादें हमेशा के लिए उसके ज़हन में अपना आशियाँ बना लेती हैं | अपने शहर कि एहमियत का अंदाजा दरअसल हमें उस वक़्त होता है जब हम उसकी सीमाओं से दूर कहीं किसी दूसरे शहर, किसी दूसरे देश में अपने लिए बुनियादी ज़मीन तैयार कर रहे होते हैं | उस समय हर चीज़, हर नज़ारा, आपको अपनी मिट्टी की याद दिलाता है, फिर चाहे वो "परदेसी ज़ुबान" हो या फिर जुबान को लुभाने वाला "स्वाद", "मौसम" हो या फिर अपने ही आयु-वर्ग के युवाओं की "मस्ती" | कितनी भी कोशिश कर लो अपना शहर, अपना गाँव, अपनी गलियाँ बरबस याद आ ही जातीं हैं |


मै रहनेवाला भले ही मथुरा का हूँ, लेकिन मेरा बचपन आगरा में बीता है और यही कारण है की मेरी रूह को आगरा में वैसा ही चैन-ओ-सुकून मिलता है जैसा लोगों को काशी, काबा, मक्का मदीना, शिर्डी में मिलता है | आगरा की याद आयी तो जैसे मेरा जी भारी हो गया और आँखों से आंसू ही छलक उठे, दिल हल्का करने के लिए याद आयी अपनी जादूई छड़ी यानी की अपना ब्लॉग | इस बार अपने ब्लॉग के माध्यम से हसरत पूरी करनी है आपको आगरा के बारे में बताने की | वैसे जितना भी कहूँगा आगरा के बारे में, मुझे कम ही लगेगा क्यूंकि वो शहर मेरे दिल के इतना करीब है कि अलफ़ाज़ भले ही ख़त्म हो जाएँ  मेरे पास मगर उसकी दास्ताँ ख़त्म न होगी |


शुरुआत करें भौगोलिक द्रष्टि से तो यमुना किनारे बसा आगरा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश का राजस्थान कि सरहद से लगने वाला एक महत्वपूर्ण जिला है | मथुरा, हाथरस, फिरोजाबाद, मैनपुरी और इटावा, आगरा के पडौसी जिले हैं | 




एतिहासिक द्रष्टि से देखें तो आगरा न सिर्फ उत्तर प्रदेश के लिए बल्कि हिन्दुस्तान और समस्त विश्व के लिए से एक अनुपम एतिहासिक धरोहर है | मुगलों कि राजधानी रहे आगरा में देखने के लिए यूँ तो बहुत कुछ ऐसा है जो इतिहास में दिलचस्पी रखने वालों को लुभाता है लेकिन ताज महल, सिकंदरा, फतेहपुर सीकरी, आगरा फोर्ट, राधा स्वामी समाधी व एतमाद-उद-दौला का अपना एक सहज आकर्षण है |


आधुनिक दुनिया के सात आजूबों में शामिल, बेइन्तेहाँ  प्यार की अद्वुतीय निशानी ताज महल के बारे में तो पहले ही इतना कुछ लिखा और कहा जा चुका है कि हम सब उसके एक-एक पहलू और उसकी खूबसूरती के एक-एक  मायने से भली भाँती परिचित हैं |




ताज महल के बाद आगरा को सुशोभित करती मुग़ल काल कि दूसरी सबसे बड़ी धरोहर है सिकंदरा | ये वो जगह है जहाँ मुग़ल काल के सबसे प्रसिद्ध बादशाह जलाल-उद-दीन "अकबर" सुपुर्द-ए-ख़ाक हैं, जहाँ उनकी कब्र है |


इसके बाद बारी है फ़तेहपुर सीकरी की, यह असल में अकबर के द्वारा स्थापित किया हुआ एक छोटा सा गाँव है | येह कभी अकबर की राजधानी हुआ करता था | फतेहपुर सीकरी छोटा लेकिन बेहद खूबसूरत है | दुनिया का सबसे बड़ा दरवाज़ा "बुलंद दरवाज़ा"  यहीं बना हुआ है | बुलंद दरवाज़ा के अलावा फतेहपुर सीकरी की खूबसूरती को चार चाँद लगाते हैं - दीवान-ए-आम, दीवान-ए-ख़ास, हज़रा-ए-अनूप तालाब, जामा मज़जिद, नौबत खाना, पच्चीसी अदालत, पन्च महल, बीरबल का घर और ख्वाजा सलीम चिस्ती की मज़ार |

फ़तेहपुर सीकरी के बाद आगरा में मुग़ल साम्राज्य की एक और अद्भुत इमारत है आगरा फोर्ट यानी की आगरा का "लाल किला" | पहले हुमायूं, फिर अकबर, जहांगीर,शाह जहान से लेकर औरंगज़ेब तक की ज़िन्दगी का एक बड़ा हिस्सा इसी इमारत की चार-दीवारी में बीता है | इस इमारत का खूबसूरत होना लाज़मी है | आगरा फोर्ट में बने अंगूरी बाघ, मच्छी भवन, मीना  मज़जिद, मोती मज़जिद, जहाँगीरी महल और शीश महल इस किले को मनमोहक आकर्षण प्रदान करते हैं |


अब बारी है एतमाद-उद-दौला की, यह एक मज़ार है | यह मज़ार है मिर्ज़ा घियास बेग की, जो रिश्ते में जहाँगीर की बेगम के पिता और मुमताज़ महल के दादा हुआ करते थे | यह मजार अपनी अनुपम शिल्प कला और बेजोड़ पर्शियन नक्काशी के चलते बेहद खूबसूरत लगती है |




मुग़ल कालीन धरोहरों से आगे चलते हुए हम पहुँचते हैं आगरा के दिल में और आगरा का दिल है "दयालबाग" | दयालबाग  में है "राधा स्वामी समाधी, स्वामिबाग" यह वह मंदिर है जहाँ "हुज़ूर स्वामी महाराज - श्री शिव दयाल सिंह सेठ जी"  की अस्थियाँ रखी हुई हैं | यह मंदिर अटूट आस्था का केंद्र है | इस मंदिर का निर्माण फरवरी, सन १९०४ में प्रारम्भ हुआ था, जोकि अभी तक लगातार जारी है | श्रद्धालुओं की मानी तो इस मंदिर की निर्माण प्रक्रिया कभी ख़त्म नहीं होगी और यूँहीं  लगातार बदस्तूर जारी रहेगी |

अरे ! एक जगह के बारे में तो में आपको  बताना ही भूल गया, यह जगह है "मरियम टॉम्ब" | मरियम टॉम्ब एतिहासिक द्रष्टि से कम आशिकी की द्रष्टी से ज्यादा महत्वपूर्ण है | इसे आप "आशिकों का अड्डा" भी कह सकते हैं | यह वो जगह है जहाँ प्रेमी  जोड़े स्कूल-कोलेज बंक करके और घर से बहाने करके मिलते हैं |




अब रुख करते हैं "आधुनिक" आगरा "शहर" का | मेरी स्कूलिंग शहर के सबसे बहतरीन स्कूलों में से एक आगरा पब्लिक स्कूल से हुई है, यह शहर की भागदौड़ से तकरीबन २०-२५ की.मी. दूर आगरा-मथुरा रोड पर अरतौनी नाम के गाँव में है | मेरा स्कूल आगरा का शायद सबसे बड़ा स्कूल था | लगभग २०० एकड़ में फैला बेहद विशाल, हरा भरा, शांत और सुन्दर माहौल | 


 
सारा दिन स्कूल के माहौल में बेधड़क अठखेलियाँ करते करते कब बीत जाता पता ही न चलता | शाम को ४ बजे घर पहुँचते ही शुरू हो जाती थी फिजिक्स, मैथ्स और कैमिस्ट्री के टयूशनों पर निकलने की तैयारी | यूँ तो टयूशनस का टाइम शाम ६ बजे का होता था मगर में और मेरी मित्र मंडली घर से हमेशा  १-१.३० घंटा पहले ही निकल जाया करते थे इसकी वजह थी की हमारे टयूशनस विजय नगर और गाँधी नगर में थे | ये न सोचिये की ये हमारे घर से कुछ ज्यादा ही दूर थे, असली वजह तो थी रास्ते में पड़ने वाली भगत हलवाई की चाट और मधु की आइस-क्रीम | मधु की आइस-क्रीम में कुछ अलग ही बात थी और भगत हलवाई की चाट का तो कोई मुकाबला ही नहीं | 



चलते हैं संजय पैलेस | यह आगरा का एक अति-व्यस्त व्यावसायिक केंद्र है | यहाँ स्थित संजय टॉकीज़ शहर के मशहूर सिनेमाघरों में से एक है | संजय टॉकीज़ कभी दर्शकों की पहली पसंद थी, लेकिन बदलते दौर के साथ मल्टीप्लेक्स कल्चर के आ जाने से लोग अब फतेहाबाद रोड स्थित पैसिफिक मॉल और टी.डी.आई. मॉल स्थित क्रमशः फन सिनेमा और बिग सिनेमा में जाना पसंद करते हैं | युवाओं में लोकप्रिय ठिकानों की बात करें तो पहला नंबर आता है सदर मार्केट का, यहाँ आपको हर देसी-विदेशी ब्रांड के शोरूम मिल जायेंगे | रजा मण्डी को फैशन स्ट्रीट मान सकते हैं | यहाँ आपको लेटेस्ट फेशन सबसे सस्ते दामों में मिलेगा | इसके अलावा पेसेफिक मॉल, टी.डी.आई मॉल, पी.एफ.सी, कमला नगर, सजय पेलेस, डोल्फिन, गोकुलम आदि युवाओं में खासे लोकप्रीय हैं |


फिर से चलते हैं आगरा के स्वाद  की ओर | मिठाइयों के शौक़ीन हैं तो आगरा में आपकी खिदमत में मौजूद हैं हीरालाल से लेकर देवीराम और बीकानेरिवाला से लेकर जी.एम.बी. तक | वैसे तो मिठाई के लिए दशाप्रकाश भी एक अच्छा ओप्शन है मगर यहाँ की मिठाईयों से ज्यादा यहाँ का साउथ इंडियन डोसा ज्यादा स्वादिष्ट और मशहूर है | समोसा खाना हो तो खंदारी जाकर खाएं, यकीनन  आपको खंदारी की दुकानों के समोसों का स्वाद लुभाएगा |

देसी घी में बने हुए परांठे खाने हों तो दिल्ली की परांठे वाली का विकल्प भी आगरा में मौजूद है, यहाँ आप जा सकते हैं रामबाबू परांठेवाले के पास | शुद्ध देशी घी में बने विविध प्रकार के परांठे, एक ही परांठे में पेट फुल |

फास्ट फ़ूड  के शौक़ीन हैं तो संजय पेलेस स्थित केक हॉउस या फिर हरी पर्वत स्थित पेंट्री प्लानेट जा सकते हैं, मुझे व्यक्तिगत तौर पर पेंट्री प्लानेट का चीज़ बर्गर बेहद पसंद है | मेरे स्कूली जीवन में मिली पॉकेटमनी का एक बड़ा हिस्सा इन्ही बर्गरों पर खर्च हुआ है |



आगरा ब्रज छेत्र से कुछ ही दूरी पर है और इसलिए यहाँ की जीवन शैली में वहाँ की छाप दिखाई देती है......यहाँ के नाश्ते में भी | सुबह सुबह गरमा-गरम जलेबियाँ, कचोडीयाँ और बेड़अईयाँ | कचोडीयों और बेड़अईयों के साथ गरमा गरम आलू की सब्जी  और जलेबियों के साथ दही या दूध का कुल्लड इनके स्वाद को कई गुना बढ़ा देता है |
पान के शौक़ीन हैं तो विजय नगर में बांके पान भण्डार जायें और वहां बैठे बांके भैया से पान का बीड़ा बनवाएं और खाएं|  बांके भैया के द्वारा बनाया हुआ पान अच्छे अच्छों की बंद अकल के तालों  को खोल दे | इस पान के स्वाद की पहुँच दिल्ली, मुंबई तक है, लोग स्पेशल ऑर्डर देकर पान यहां से मंगवाते हैं |
अब आपकी मुलाक़ात करवाते हैं हरे भर आगरा से | दिन की सेहत भरी शुरुवात करनी हो तो पालीवाल पार्क के हरे भरे माहौल में सैर करने का मज़ा ही कुछ और है | यहाँ के छोटे से झील नुमा तालाब में आप बोटिंग का लुफ्त भी उठा सकते हैं | तकरीबन एक किलोमीटर के रेडियस में फैला पालीवाल पार्क अपने आँचल में समेटे हुए है अति प्रसिद्ध बी.आर. अम्बेडकर  यूनिवरसिटी | पालीवाल पार्क  आगरा के फेंफडे की तरह काम करता है, अत्यधिक प्रदूषण ग्रस्त शहर के वातावरण को ये पार्क काफी हद तक बेलेंस करता है | शहर का एक और बड़ा हरित केंद्र है सुभाष पार्क |





पढाई लिखाई की बात करें तो आगरा को आप तकनीकी शिक्षा एवं कला वर्ग में अध्यन करने के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण केंद्र मान सकते हैं | दयालबाग एजुकेशनल इंस्टिट्यूट आगरा में सभी संस्थानों का सिरमौर है | राधा स्वामियों द्वारा संचालित यह कोलेज हर लिहाज से अव्वल है | चाहे तकनिकी कोर्सेज़ हों, वाणिज्यिक कोर्सेज़ या दूसरे कोई भी कोर्सेज़,  बेहद सस्ता और पढाई के लिहाज से बेहतरीन | जितने खर्चे में आप यहाँ से चार साल की डिग्री करेंगे उससे कहीं अधिक खर्चा किसी दूसरे प्राइवेट कोलेज में आपको सिर्फ एक सेमेस्टर में ही करना होगा | यहाँ एडमीशन लेने के लिए छात्रों को  कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है | अगर यहाँ एडमीशन न हो तो आप आनंद, हिन्दुस्तान, आर.बी.एस, सेन्ट जोन्स कोलेज, आगरा कोलेज जैसे मशहूर कोलेजों में पढ़ाई  कर सकते हैं |

मौसम की बात करें तो आगरा में गर्मियों में गज़ब की गर्मी और सर्दियों में कडाके की सर्दी पड़ती है, सावन में मौसम सुहाना बना रहता है | 

मेरी मानिए तो एक बार आगरा ज़रूर आयें | मेरा शहर है, मै तो तारीफ़ करूँगा ही लेकिन जब खुद देखेंगे तो मुरीद हो जायेंगे इस शहर के, इसकी खूबसूरती के और इसके अद्वुतीय आथित्य के |

मुझे लगता है इस बार के लिए इतना ही काफी है | अब इज़ाजत चाहूँगा |

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