Wednesday, November 24, 2010

mewat

'ज़िंदगी बस यूं ही गुज़र रही है'

Courtesy: BBCHindi.com
'ज़िंदगी बस यूं ही गुज़र रही है'
ये दर्द है बिस्मिल्लाह का, जो हरियाणा के ज़िला मेवात की रहने वाली हैं. उनकी उम्र लगभग 40 साल है लेकिन देखने में 50 साल से अधिक की लगती हैं. वो 23 बच्चों की माँ हैं, शादी कब हुई, ये याद नहीं.

उनके पति इसहाक़ मज़दूरी करते हैं. वो याद करते हैं कि जब वह 10-11 साल के थे तो उनकी शादी हो गई, पत्नी की उम्र भी लगभग उतनी ही थी.

लेकिन बिस्मिल्लाह मेवात ज़िले की अकेली औरत नहीं हैं, जिनकी शादी इतनी कम उम्र में हो गई. यहाँ लड़कियों की शादी औसत 12-13 साल के उम्र में कर दी जाती है. राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार एक परिवार में 7.5 व्यक्तियों का अनुपात है. ये इलाक़ा मुस्लिम बहुल है.

मेवात दिल्ली से सिर्फ़ 70 किलीमीटर दूर स्थित है. अधिकतर आबादी खेती-बाड़ी करती है. स्थिति देश के किसी दूसरे देहाती इलाक़ों से ख़राब ही है. सड़क, बिजली और पानी की परेशानी एक तरफ़ और बेरोज़गारी दूसरी तरफ़.

एक और महिला मजीदन से जब उनकी उम्र के बारे में पूछा गया तो जवाब आया कि उन्हें अपनी उम्र के बारे में कोई अंदाज़ा ही नहीं.

मृत्यु दर अधिक

दोनों महिलाओं की शादी कब हूई इन्हें इसके बारे में कुछ भी याद नहीं

मजीदन ने छह बच्चों को जन्म दिया है, लेकिन इस समय केवल दो जीवित हैं. जबकि फ़जरी ने बताया कि उन्होंने नौ बच्चों को जन्म दिया लेकिन छह की मौत हो चुकी है. उनकी शादी उस समय हुई जब वो सिर्फ़ 12-13 साल की थीं.

कम उम्र में शादी और लगातार बच्चों को जनना यहाँ कि महिलाओं के लिए किसी तरह की रुकावट नहीं बनते. वो घर के काम के साथ साथ खेतों में उतनी ही मेहनत करती हैं जितनी शायद मर्द करते हैं. लेकिन इस क्रम में उन्हें इस बात का एहसास तक नहीं कि वो पूरे तौर से स्वस्थ नहीं हैं.

जब उन औरतों से उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछा गया तो उनका पहला जवाब था कि वो तो सेहतमंद हैं. लेकिन जब और सवाल पूछे गए तो सभों का जवाब बदलता गया और कहने लगी, हाँ कमज़ोरी, सर और पेट में दर्द रहता है.

यहां की महिलाओं ने बताया कि उन्होंने अपने अधिकतर बच्चों को घर पर ही जन्म दिया है, क्योंकि पहला अस्पताल नहीं है और दूसरे अस्पताल का ख़र्च कहां से आएगा?

सरकारी आंकड़े बताते हैं कि इन इलाक़ों में पैदा होने 1000 बच्चों में से 850 जन्म के दौरान या जन्म के चंद दिनों बाद मर जाते हैं.

स्वास्थय केंद्रों की कमी

मेवात में महिलाएं मर्दों से किसी भी स्तर पर कम काम नहीं करती हैं

नौ लाख से अधिक आबादी वाले इस ज़िले में केवल एक अस्पताल है. अल-आफ़िया सामानिया अस्पलात के चीफ़ मेडिकल ऑफ़िसर एचएस रंधावा तमाम सुविधाओं और ज़रूरत मंदों तक पहुँचने का दावा करते हैं.

उनका कहना है, "मेवात में हमारे 110 सेंटर हैं जबकि पब्लिक हेल्थ केंद्रों की संख्या 17 है. हमारे कार्यकर्ता सभी गाँवों में जाकर लोगों तक स्वास्थ्य संबंधी जानकारी देते हैं."

एक स्थानीय पत्रकार के अनुसार सरकार की तमाम योजनाएं मौजूद हैं, लेकिन सिर्फ़ काग़जा़त पर.

उनका कहना है, "मेवात में सरकार की रिपोर्ट के अनुसार 80 प्रतिशत महिलाओं में हीमोग्लोबिन की कमी है. इसकी वजह आर्थिक स्थिति और ज़्यादा बच्चे होना है. सरकार ने आंगन-बाड़ी स्कीम चला रखी है. सरकारी स्कीम के तहत बच्चों की पैदाइश में किसी दाई को महिलाओं की मदद करनी होती है, लेकिन ऐसा कुछ होता नहीं दिखता."

दिल्ली स्थित समाजवैज्ञानिक इम्तियाज़ अहमद मेवात के हालात की वजह ख़राब आर्थिक स्थिति के साथ-साथ तबलीग़ी जमाअत (धार्मिक प्रचार संगठन) का प्रभाव होना बताते हैं.

उनका कहना है, "वर्ष 1934 से यहाँ तबलीग़ी जमाअत ने एक अभियान चलाया, जिसमें कहा गया कि बच्चे अल्लाह की नेमत हैं और उन्हें आने देना चाहिए."

जन-संख्या मामलों के जानकार आशीष बोस कहते हैं कि मेवात भारत के लिए एक अनोखा मामला है. 2001 के जनगणना पर नज़र डालें तो पता चलता है कि यहाँ लगभग 50 प्रतिशत महिलाओं की शादी 18 साल से कम उम्र में होती है, जबकि उत्तर प्रदेश, राजस्थान, झारखंड, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश में ये स्थिति थोड़ी अच्छी है और इन राज्यों में ये आंकड़ा 40 प्रतिशत तक है.

अगर शिक्षा की कमी जस के तस बनी रही, आर्थिक स्थिति बेहतर करने में सरकार नाकाम रहती है तो लड़कियों का बच्चपन यूं ही हालात की नज़र होता रहेगा.

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