Monday, November 22, 2010

गूगल के हिन्दी

Tuesday, April 18th, 2006

गूगल का वाईफ़ाई - हर सौ फ़िट पर नज़र

गूगल सैन फ़्रांसिस्को में वाई फ़ाई फ़ोकट में प्रदान करने के लिए हिसाब किताब लगा रहा है, यह खबर तो पुरानी है। साथ ही यह जान के आपको अचरज नहीं होगा कि गूगल वाले इतने ट्रांस्मिटर लगाने जा रहे हैं कि उन्हें सौ दोसौ फ़ुट के दायरे में पता होगा कि आप फ़िलहाल शहर में कहाँ हैं। उसी के आधार पर वे विज्ञापन प्रसारित करेंगे। यह ख़बर फ़ाइनेंशियल टाइम्स ने दी है

तो इसका मतलब ये हुआ कि मिर्चीसेठ अपने पसन्दीदा स्टार्बक्स में बैठे चिट्ठे लिख रहे होंगे, और उनके सामने विज्ञापन आएँगे कि बगल की दुकान में बासमती चावल पर 20% छूट चल रही है। काफ़ी मज़ेदार होगा।

पता नहीं आगे शायद गूगल वाले "भ्रमण इतिहास" भी रखें - यानी कि सोलह अप्रैल 2007 को आप कितने बजे कहाँ थे, वहाँ से कहाँ गए आदि। काफ़ी खतरनाक भी लगता है, लेकिन दान की बछिया के दाँत नहीं गिने जाते। यह सेवा बिल्कुल मुफ़्त है।

वैसे सैन फ़्रांसिस्को में आप बासमती चावल कहाँ से लेते हैं? मेरी बहन भी वहीं है, जानकारी उसके काम आएगी।


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Friday, March 17th, 2006

गूगल अर्थ पर चमचमाहट

स्केचप त्रिआयामी छवियाँ बनाने के लिए एक बहुत सुगम तन्त्रांश बनाते हैं। वैसे तो इसके पैसे लगते हैं लेकिन कुछ आठ घण्टे के लिए आप इसका मुफ़्त इस्तेमाल कर सकते हैं। स्केचप अन्ततः कुछ .kmf फ़ाइलें बना के देता है, जैसे कि ऑटोकॅड .dwg फ़ाइलें बनाता है, ठीक उसी तरह। इसका इस्तेमाल काफ़ी सरल है और कई सुविधाएँ भी हैं इसमें।

पर इसकी चर्चा यहाँ क्यों हो रही है? इसलिए कि स्केचप वालों ने एक गूगल अर्थ प्लगिन बनाया है जिसकी बदौलत गूगल अर्थ पर आप अपनी त्रिआयामी छवियाँ डाल सकते हैं। इस प्रकार, यदि आप किसी खाली मैदान पर कोई नई इमारत बना रहे हैं और देखना चाहते हैं कि वह बनने के बाद कैसी दिखेगी, तो आप उसे गूगल अर्थ के जरिए देख सकते हैं। इसके और भी कई व्यवसायिक व मनोरञ्जक उपयोग हो सकते हैं।

इसका एक नमूना है -

देखिए, गूगल मॅप्स पर स्वतन्त्रता की देवी कैसी नज़र आती हैं। यही गूगल अर्थ पर भी आपको नज़र आएगा।

स्केचप के प्लगिन की बदौलत ये ऐसा दिखेगा -
अब देखिए ये तस्वीर )

अर्थात स्केचप के जरिए आप अपनी त्रिआयामी रचना को किसी ख़ास अक्षांश व देशान्तर में स्थापित कर के गूगल अर्थ पर दिखा सकते हैं।

और ताज़ी ख़बर यह है कि स्केचप को गूगल ने खरीद लिया है। फ़िलहाल स्केचप का तन्त्रांश अङ्ग्रेज़ी, फ़्रांसीसी व जर्मन में उपलब्ध है। हिन्दी में आएगा कि नहीं, पता नहीं।


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गूगल - किताबों की बिक्री

गूगल बुक्स के जरिए आप किताबों से उद्धरित वाक्यांशों की खोज कर सकते हैं, साथ ही कुछ पन्ने पढ़ सकते हैं, पर पूरी तरह नहीं। उसके लिए आपको पुस्तक विक्रेता के पास जाना पड़ेगा।

अब गूगल वालों ने एक नया तरीका पेश किया है जिसके जरिए प्रकाशक अपनी किताबों की ऑन्लाइन पाठन सुविधा दाम ले के दे सकते हैं। यानी कि पाठक पैसे दे के पूरी किताब जाल पर पढ़ सकेगा, सिर्फ़ कुछ हिस्से नहीं, लेकिन उसकी प्रतिलिपि नहीं निकाल पाएगा, और नही ही छाप पाएगा।
अब यह चेंपना कैसे रोका जाएगा - यह तो पता नहीं, पर गूगल दावा तो कर रहा है कि यह सम्भव है। शायद इसी के जुगाड़ में गूगल वाले लगे हुए हैं, इसलिए यह सुविधा जल्द आने वाले शगूफ़ों की फ़ेरहिस्त में है। हिन्दी की किताबों को भी पढ़ने व पढ़ने का अधिकार बेचने की सुविधा दी जाएगी।


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Friday, March 10th, 2006

गूगल ने राइट्ली को खरीदा

गूगल ने राइट्ली - जाल आधारित शब्द संसाधक - को खरीद लिया है। खरीद के बारे में और जानकारी।

राइट्ली है क्या?
यह है जाल आधारित शब्द संसाधक - यानी कि आपको अपनी मशीन पर वर्ड, ओपन ऑफ़िस राइटर, नोटपैड, गेडिट, किसी की ज़रूरत नहीं है - सीधे राइट्ली पर जाइए और काम निपटाइए।

इतना ही नहीं, राइट्ली के जरिए आप सीधे चिट्ठे में प्रकाशन कर सकते हैं।

तो गूगल ने राइट्ली को क्यों खरीदा? सम्भवतः इसलिए, कि - अब आपको कुछ भी लिखना हो तो राइट्ली पर जाइए और लिखिए। सारे दस्तावेज़ भी आपको वहीं मिलेंगे। शायद ब्लॉग्स्पॉट से भी इसकी शादी करा दी जाए।

वैसे राइट्ली को सहजता का जीता जागता नमूना माना जाता है - हज़ारों घण्टे लोगों के साथ माथापच्ची करने के बाद उन्होंने अपनी संरचना की है।

हाँ, फ़िलहाल राइट्ली के लिए पञ्जीकरण बन्द है, पर आप अपना डाक पता दे सकते हैं - यह तो सही चाल थी, क्योंकि जब भी गूगल ऐसा कुछ काम करता है तो लोग धड़ाधड़ बिग बाज़ार की सेल की तरह पहुँच जाते हैं - जैसे कि अर्चिन के मामले में हुआ था।


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Thursday, March 9th, 2006

गूगल की पोटली

गूगल वालों ने एक पोटली बनाई है - गूगल पैक पर। इसमें विण्डोज़ ऍक्स पी पर जलने वाले कुछ तन्त्रांश है - फ़ोकट वाले - जो अब तक अलग अलग गूगल से या अन्यत्र मिलते आ रहे थे।
इस पोटली को एक बार में उतारने से सभी पिटारे संस्थापित हो जाएँगे, साथ ही, नए बदलावों के बारे में भी जानकारी मिलेगी।
क्या क्या है इसमें
गूगल अर्थ, पिकासा, गूगल डेस्कटॉप, ब्राउज़रों की उपकरणपट्टियाँ, स्क्रीन सेवर, ऍण्टी स्पायवेयर और साथ ही एक ऍण्टी वायरस तथा अडोब पाठक भी।
इसके अलावा, गूगल टॉक, गूगल वीडियो प्लेयर, रियल प्लेयर, गैलरी प्लेयर, और ट्रिलियन मैसेंजर भी।

आप चाहें तो उतारने के पहले निर्णीत कर सकते हैं कि आपको क्या चाहिए और क्या नहीं।

उल्लेखनीय है कि इसमें विण्डोज़ ऍक्स पी बनाने वाली कम्पनी का एक भी उत्पाद नहीं है।

सम्भवतः इन उपकरणों को प्रोत्साहन देने के लिए गूगल ने कमीशनबाज़ी आदि का सहारा भी लिया होगा। इनमें से काफ़ी चीज़ों के बारे में तो पहले कभी सुना नहीं था - जैसे कि ट्रिलियन और गूगल वीडियो प्लेयर - आपने आजमाया हो तो बताएँ।

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Wednesday, March 8th, 2006

जीड्राइव की अफ़वाहें

ख़बर गर्म है कि गूगल वाले लोगों की सारी की सारी जानकारी अपनी मशीनों पर और अपनी डिस्कों पर रखने का मास्टर प्लान बना रही है। गूगल का अन्ततः लक्ष्य यह है कि आपके कम्प्यूटर में हार्ड डिस्क नाम की कोई चीज़ ही न रहे - और यदि रहे भी तो आपको एहसास ही न हो कि ऐसा भी कुछ होता है। आपकी डाक, पते, फ़ाइलें, सब कुछ - गूगल के पास रहेगा - उसीमें गूगल से खोज कर कर के आप अपनी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

गूगल का इरादा यह है कि इस प्रकार आपकी जानकारी को और तेज़ी से खोजा जा सकेगा।
और साथ ही, कहीं भी जाएँ, बिना अपनी मशीन लिए, फिर भी आपकी जानकारी आपके पास ही है।

पर कुछ अड़चनें हैं, जैसे कि इतनी सामग्री जाल पर आवाजाही करेगी तो इसकी गति क्या होगी। शायद इसीलिए गूगल फ़ाइबर ऑप्टिक खरीदने को उतारू है।

है न विश्वविजयी अश्वमेध यज्ञ की शुरुआत?

बीबीसी का कहना है कि गूगल ने इसके बारे में और कुछ कहने से मना कर दिया, और सीनेट के अनुसार ये ख़बर ग़लती से लीक हो गई। अब हमें तो पता है कि गूगल ऐसी ग़लतियाँ अक्सर जानबूझ कर करता रहता है।
देखते हैं इस बार 1 अप्रैल को गूगल क्या गुल खिलाता है।

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Tuesday, March 7th, 2006

चीनी और हिन्दी

चीनी और हिन्दी के गूगल - यानी अन्तरापृष्ठ - खोज परिमाण नहीं - में फ़र्क, जिसके बारे में मुझे और आशीष को हुआ, चीनी ख़ुराफ़ात की खबरें पढ़ कर।

तो देखते हैं, tiananmen square (तियानान्मेन स्कॅयर) की खोज -
चीनी में -
http://www.google.cn/search?hl=zh-CN&q=tiananmen+square&meta=

हिन्दी में -
http://www.google.co.in/search?hl=hi&q=tiananmen+square&btnG=Google+%E0%A4%96%E0%A5%8B%E0%A4%9C&meta=

और देखिए इससे सम्बन्धित छवियों को -
चीनी में -
http://images.google.cn/images?hl=zh-CN&q=tiananmen%20square&sa=N&tab=wi

हिन्दी में -
http://images.google.co.in/images?hl=hi&q=tiananmen%20square&btnG=Google+%E0%A4%96%E0%A5%8B%E0%A4%9C&sa=N&tab=wi

है न ज़ोरदार फ़र्क?

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Monday, March 6th, 2006

गूगल खाता

गूगल में खाता खोला जा सकता है।
https://www.google.com/accounts/NewAccount?hl=hi
गूगल खाता, हिन्दी में

इसके जरिए कई गूगल सेवाओं का लाभ उठाया जा सकता है। साथ ही वैयक्तिकीकृत खोज का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

वैयक्तिकीकृत खोज में आपका खोज इतिहास भी उपलब्ध रहता है, और इस खोज इतिहास से आप कुछ चीज़ें हटा भी सकते हैं।

इस खाते की मदद से गूगल समूह तथा अन्य सुविधाओं तक भी पहुँचा जा सकता है।


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Tuesday, November 29th, 2005

फ़ारसी और फ़ारसी

फ़ारसी की खोज,
और

फ़ारसी की खोज -

दोनो में फ़र्क है।

दरअसल, इस शब्द को दो तरह से लिखा जा सकता है - यदि आप इस कुञ्जीपटल को देखें, तो एक तरीका है -
फ़, आ की मात्रा, र, स, ई की मात्रा।
दूसरा तरीका है -
फ, नुक्ता, आ की मात्रा, र, स, ई की मात्रा।

लेकिन अन्ततः शब्द वही है।

इसको आप वर्तनी का फ़र्क भी नहीं कह सकते हैं। वर्तनी एक दम वही है। color बनाम colour, गई बनाम गयी, इसलिए बनाम इसलिये वाला हिसाब किताब नहीं है।

ये तो उसी शब्द को हूबहू लिखने के दो अलग अलग तरीके हो गए - किसी भी तन्त्रांश को वैयाकरणीय तुलना में दोनो को एकदम एक समान मानना चाहिए। लेकिन गूगल इनकी बाइट दर बाइट तुलना करता है और मार खा जाता है।

ज़ाहिर है जो इंसान फ़ारसी खोज रहा है, उसे इस बात से मतलब नहीं है कि यह शब्द किन कुञ्जियों को मिला कर लिखा गया है। ये एक बहुत गम्भीर समस्या है जो कि आगे चल कर पङ्गे खड़े करेगी।

और भाषाओं में इसका निदान कैसे होता है? पता नहीं और लिपियों में ऐसी स्थिति आती है या नहीं।
बहरहाल गूगल को इस बारे में लिखा है, देखते हैं क्या होता है। आप भी लिखिए - http://groups.google.com/group/google.public.support.general पर लिखा है।

Monday, November 28th, 2005

हिन्दी वाले गूगल की कड़ी कैसे दें

आमतौर पर जब आप गूगल के बारे में लिखते हुए उसकी कड़ी प्रदान करते हैं तो

<a href="http://google.com/">गूगल</a>

लिखते हैं। ये कड़ी आपको ले जाएगी गूगल के पन्ने पर, लेकिन सम्भवतः अङ्ग्रेज़ी के पन्ने पर ले जाए।
इससे बचने के लिए आप लिख सकते हैं,

<a href="http://google.com/hi">गूगल</a>

जो कि आपको गूगल के हिन्दी पृष्ठ पर ले जाएगी। इसी प्रकार, पाठकों के लगातार हिन्दी जालस्थल देखने का तारतम्य बना रहेगा। साथ ही, अधिक लोगों को पता चलेगा कि गूगल हिन्दी में भी है।

इसी प्रकार बाङ्ग्ला, तेलुगु, मराठी, तमिल में भी गूगल की सीधी कड़ी बनाई जा सकती है।

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