Wednesday, July 1, 2020

रोजाना वाक्यात, प्रेमपत्र और संसार चक्र







 **परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज

- रोजाना वाकयात- 14 नवंबर 1932- सोमवार-

 सुबह के सत्संग के बाद टहलने के लिए गये।8:30 से 10:30 बजे तक परमार्थी विषयों पर खूब बहस हुई। अव्वल एक शख्स के सवाल पर मांस खाने के मुतालिक सत्संग की पोजीशन बयान हुई। सत्संग में गोश्त खाना इसलिए मना है कि गोश्त के इस्तेमाल से मन चंचल व अभ्यास के नाकाबिल हो जाता है।

उसके बाद दूसरे जिज्ञासु के सवाल करने पर " मालिक ने रचना क्यों की"  पर विस्तार से रोशनी डाली गई।  उसके बाद विभिन्न सवालों के जवाब दिए गए और आखिर में बयान हुआ कि कुदरती मजहब क्या हो सकता है।
अंदाज इन 3000 मर्दों का मजमा था जिसमें काफी तादाद मुसलमान भाइयों की शामिल थी। सुबह का सत्संग समाप्त होने पर मिस्टर सिन्हा तशरीफ लाये। मालूम हुआ कि आपने नुमाइश से बहुत सा माल खरीदा है।

लीजिए पहले तो नुमाइश कमेटी की अध्यक्षता का कष्ट उठाया और फिर सैकडों  रुपये का माल खरीद कर मॉडल इंडस्ट्रीज की संरक्षण की। चीफ जस्टिस साहब ने भी खत भेजा है कि आज कल में वह फिर नुमाइश में आवेंगे। कुछ चीजें खरीदेंगे और भी मुझसे दोबारा मिलने की लालसा जाहिर किया है।।                                    तीसरे पहर वेटरनरी कॉलेज की लेबोरेटरी और डेरी का मुआयना किया। यहाँ की डेरी खूब साफ सुथरी है और डेरी की गायें भी निहायत खूबसूरत व तंदरुस्त हैऔ। सिन्धी नस्ल की है। डेरी के साँड भी देखे। देखने के लायक है। प्रिंसिपल साहब ने साथ चलकर सब चीजें दिखलाई।

प्रिसिंपल साहब का नाम मिस्टर डेविस है । निहायत सुशील है।लेबोरेटरी में मवेशियों की अनेक बीमारियों के कीटाणु देखें। एक हजरत ऐसे मिले जो हमेशा अपने जिस्म के पिछले हिस्से में अपनी मादा को साथ लिये फिरते हैं और वही कयाम करती हुई अंडे देती रहती है।

क्रमशः             

 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**





*परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-

【संसार चक्र】-

कल से आगे:- (छठा दृश्य)

-(सुबह आठ बजे का वक्त है। राजा दुलारेलाल, रानी, इंदुमती और गोविंद कुण्ड पर स्नान के लिये जाने की तैयारी कर रहे है। पंडित गरुडमुख का नौकर दाखिल होता है।)

नौकर-महाराज जी!पंडित जी ने पुछवाया है स्नान के लिये कै बजे चलोगे और साथ के लिये कोई आदमी तो दरकार नहीं होगा?

 दुलारेलाल-ग्रहण कितने बजे लगेगा?

नौकर-साढे दस बजे।

दुलारेलाल-तो हम अभी चल रहे है, हमें कोई साथी दरकार नही है।

नौकर-रात की बात याद रखना और खूब होशियार रहना। मैंने अपने बाप को सब बाते दी है। सडक छोडकर दूसरे किसी रास्ते से न जाना।

इंदुमती-बेटा जीते रहो, यह तुम्हे एक अँगूठी देती हूँ, इसे पहनना।

नौकर-(ममनून होकर) आप लोग कौन है? सच सच कहना।

इंदुमती-ये भूमिगाँव के राजा है, मैं इनकी रानी हूँ।

(अँगूठी देती है, नौकर लेता है और हाथ जौड कर प्रणाम  करता है।)

 नौकर-आपने बडी कृपा की है, कभी मौका लगा तो आपकी यादगार लेकर आपकी राजधानी में हाजिर हूँगा।

 दुलारेलाल-जब जी चाहे चले आना, तुमने हम पर बडा एहसान किया  है।

 नौकर -रास्ते में खूब सावधान रहना। हो सका तो मैं अपने बाप को लेकर तुम्हे रास्ते मिलूँगा।

 (जाता है)

 इंदुमति- दुनिया भी बडी अजीब है। इसमें भला बुरा और मीठा कडवा पास ही पास रहते है। भला इस लडके को क्या पडी थी कि हमसे इतना हित करता और उन दुष्टो का हमने क्या बिगाड़ा था जो हमारी जान के पीछे पडते?

 दुलारेलाल-और तमाशा यह है कि इस पर लोग कहते है कि संसार मिथ्या है। अच्छा अब चलो, वक्त तंग है मगर मुझे अब स्नान वस्नान में श्रद्धा नही रही है।

इंदुमती-अब यहाँ आ गये है स्नान कर ही लै, बार बार यहाँ किसे आना है। क्या इन चार दुष्टों की वजह से तीर्थ तीर्थ न रहेगा? हमारे परखाओं ने यहाँ धर्मयुद्ध किया है। कृष्ण जी ने यहाँ गीता का उपदेश सुनाया है। क्या यह सब महात्म जाता रहा?

(रवाना होते है।)

क्रमशः

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**





*परम गुरु हुजूर महाराज-

 प्रेम पत्र -भाग 1- कल से आगे -

चौथी- यह की दुनिया और दुनियापरस्तों और धनवालों की मोहब्बत और संग से सच्चे मालिक राधास्वामी दयाल के चरणों के प्रेम में, और अभ्यास में भी, किसी का खलल और विघ्न पड़ता है ।

यह बात हर एक अभ्याही ऐसे लोगों का थोड़ा संग करके अपने अंतर में परख सकता है । इस वास्ते मुनासिब और  जरूरी है कि ऐसे जीवों का संग और मोहब्बत उसी कदर रक्खी जावे कि इस कदर जरूरी और वाजिब को ज्यादा उनमें अपने दिल को बांधना अपना वक्त बेफायदा उनके संग में या दुनियाँ की गपशप में खर्च करना अभ्यासी को मुनासिब नहीं है।                             

विद्यावान लोग भी जिनको सच्चा शौक किताबों को पढ़ने का है, अपने वक्त को बहुत संभाल कर खर्च करते हैं, यानी सिवाय रोजगार और देह और गृहस्थी के जरूरी कामों के बाकी वक्त अपना नई नई किताबों और अखबारों की सैर में खर्च करते हैं । फिर परमार्थी अभ्यासी को किस कदर ख्याल अपने वक्त का कि फजूल  और फायदा खर्च न  होवे, रखना चाहिए।।           पांचवी -राधास्वामी दयाल के चरणों की सच्ची सरन और उनकी मेहर और दया का आसरा और भरोसा ।

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**




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