Sunday, January 17, 2021

जो तुम नहीं क़र सकते

 *नारायण! नारायण!! नारायण!!!* / कृष्ण मेहता 

🙏


 *द्रौपदी के स्वयंवर में जाते वक्त श्री कृष्ण अर्जुन को समझाते हुए कहते हैं कि,*


 *हे पार्थ !*


*तराजू पर पैर संभलकर रखना, संतुलन बराबर रखना,*


*लक्ष्य मछली की आंख पर ही केंद्रित हो उसका खास खयाल रखना,*


*तो*

*अर्जुन ने कहा,*


*"हे प्रभु " सब कुछ अगर मुझे ही करना है, तो फिर आप क्या करोगे ???*


*वासुदेव हंसते हुए बोले, हे पार्थ !*


*जो आप से नहीं होगा वह में करुंगा !*


*पार्थ ने कहा प्रभु ऐसा क्या है जो मैं नहीं कर सकता???*


*वासुदेव फिर हंसे और बोले, जिस अस्थिर, विचलित, हिलते हुए पानी में तुम मछली का निशाना साधोगे,*


*उस विचलित "पानी" को स्थिर तो *"मैं" ही रखूंगा !!*


*कहने का तात्पर्य यह है कि*


*आप चाहे*

*कितने ही निपुण क्यूँ ना हों,*


*कितने ही बुद्धिवान क्यूँ ना हों,*

*कितने ही महान एवं विवेकपूर्ण क्यूँ ना हों,*


*लेकिन आप*

*स्वंय हरेक परिस्थिति के ऊपर पूर्ण नियंत्रण नहीँ रख सकते ..*


*आप*

*सिर्फ अपना प्रयास कर सकते हो ,*

*लेकिन उसकी भी एक सीमा है,*


*और*

*जो उस सीमा से आगे की बागडोर संभलता है उसी का नाम *"ईश्वर" है ...🏹*

🙏

🌻💐🌿🎋🌸🌲🌺🌿🌳🌷💐🌹

*जय श्रीकृष्ण*

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