Tuesday, January 12, 2021

सतसंग शाम DB 12/01

 **राधास्वामी!! 12-01-2021- आज शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-                                    


(1) प्रेम दात गुरु दीजिये। मेरे समरथ दाता हो।। (प्रेमबानी-4-शब्द-1 भाग,9,पृ.स.80,81)                                                         

(2) मन सोच समझ रे भाई तेरे हित की कहू बुझाई।।  (प्रेमबिलास-शब्द-125-पृ.सं.181)                                                          

(3) यथार्थ प्रकाश-भाग-दूसरा -कल से आगे।।                                                     

 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


**राधास्वामी!!             

                           

   12- 01- 2021 -आज शाम सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे-( 119)- पहले लेख के ये शब्द " राधास्वामी-मत में सैकड़ों समझदार ग्रेजुएट है और बहुत प्रसन्न है",  और दूसरे लेख के ये शब्द " जिसको आर्यों के लिए नित्यधर्म और परमधर्म बताया था अर्थात् वेदों का पढ़ना पढ़ाना इत्यादि । पर आर्य समाज में अधिकता उन पुरुषों की है जिन्होंने चारों वेदों को देखा भी नहीं , उनका पढ़ना पढ़ाना और सुनना सुनाना तो दूर की बात है ।

अर्थात आर्यसमाज समष्टि रूप से इस विषय में नितांत कोरा है", विचारणीय है । जबकि पूर्वोक्त लेख के अनुसार आर्यसमाजी साधारणतया वेदों के पढ़ने पढ़ाने और सुनने सुनाने बल्कि उनके दर्शन से भी वंचित हैं, और सत्संग मंडली का और राधास्वामी-मत के गुरुओं का भी यही दोष है और इस विषय में दो-चार आर्यसमाजियों को नहीं बल्कि आर्यसमाज को समष्टि- रूप से 'कोरा' माना जाता है तो आर्यसमाज और सत्संग मंडली में शास्त्रों से अनभिज्ञता की दृष्टि से क्या भेद रहा।.    

 🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻          

             

यथार्थ प्रकाश- भाग दूसरा -

परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

No comments:

Post a Comment

सूर्य को जल चढ़ाने का अर्थ

  प्रस्तुति - रामरूप यादव  सूर्य को सभी ग्रहों में श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि सभी ग्रह सूर्य के ही चक्कर लगाते है इसलिए सभी ग्रहो में सूर्...