Friday, January 15, 2021

सतसंग सुबह दयालबाग़ 16/01

 **राधास्वामी!! 16-01-2021- आज सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:-                                       

  (1) कहाँ लग कहूँ कुटिलता मन की। कान न माने गुरु के बचन की।। माया ने फिर रचना ठानी। तीन पुत्र लीन्हे उतपानी।।-(संतमता इनसे बहु दूरी। यह क्यों जानें वह पद मूरी।।) (सारबचन-शब्द पहला-पृ.सं.244,245)                                                               

  (2) भाव सँग पकड गुरू चरना।।टेक।। काल करम तोहि नित भरमावें। छुटे न चौरासी फिरना।।-(सत्तपुरुष का दर्शन करके। राधास्वामी चरन सुरत धरना।।) (प्रेमबानी-2-शब्द-30-पृ.सं.388,389)                                      

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


**परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज- भाग 1-

कल से आगे:-

आपको याद होगा कि जब हुजूर साहब सरकार साहब ने चोला छोड़ा तो आपने हुजूर साहबजी महाराज की मार्फत संगत को यह संदेश भेजा कि सत्संगियों ने उनकी आज्ञा नहीं मानी इसलिये उनको वापस जाना पड़ा । इस पर हुजूर साहबजी महाराज ने दरखास्त की कि अब सत्संगी अपनी गलती महसूस करते और सच्चे दिल से झुरते व पछताते हैं और हुजूर से माफी माँगते हैं।

 हुजूर सरकार साहब ने फरमाया कि अगर यह बात दरअसल दुरुस्त है, तो हम वापस आने पर संगत की सँभाल करने के लिए तैयार हैं।  यह बात इस जमाने पर भी लागू हो सकती है।  हजूर साहबजी महाराज अपनी रवानगी से पहले हमारे वास्ते एक प्रोग्राम बना गये। आपको चाहिए कि उसकी पूर्ति और पूर्ण सफलता यथासंभव थोड़े समय के अंदर कर दिखलायें। अगर आप वायदा करें तो आपका यह वायदा वाइस प्रेसिडेंट और प्रेसिडेंट साहब की मार्फत हुजूर साहबजी महाराज के चरणों में पहुँच सकता है। और फिर हमारी इस कार्यवाही का भी नतीजा हो सकता है जो सरकार साहब ने  फरमाया था ।

 हुजूर सरकार साहब ने यह फरमाया था कि अगर हम तमाम सत्संगी आइंदा ठीक तरह से रहने का वायदा करें तो वह दयाल फिर हमारे दरमियान आ सकते हैं। इसी तरह अगर इस वक्त हमने साहबजी महाराज की मंशा के मुताबिक प्रोग्राम पूरा कर दिया तो अब भी वही बात हो सकती है। इसी वजह से मैं आपसे इन बातों को पूरा करने के लिए इस कदर बार-बार जोर देता हूँ। मैंने जो यह बात पेश की है वह बिजनेस के एक सर्व- स्वीकृत सिद्धांत के अनुसार पेश की है। 

मैं अगर आपको थान पेश करता हूँ या हिस्से वगैरह खरीदने पर जोर देता हूँ, वह सब उन्हीं दयाल की आज्ञा और मंशा की पूर्ति की गरज और सिलसिले में किया जाता है-- हुजूर ने आखिर में फरमाया-                     

 मुश्किलें नीस्त कि आसाँ न शबद                         

 मर्द बायद कि हराँसा न शबद                           

यानी ऐसी कोई मुश्किल नहीं है जो कोशिश करने से आसान न हो जावे और मर्द वही है जो कभी निराश न होवे।

क्रमशः                   

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज

-[भगवद् गीता के उपदेश]-

कल से आगे :

- इसके अलावा मुझे उल्टे लक्षण नजर आते हैं और अपने प्यारों को जंग में कत्ल करना नामुनासिब मालूम होता है । महाराज!  मुझे फतह नहीं चाहिये, मुझे बादशाहत नही  चाहिये। क्या करूँगा मैं राज पाट हासिल करके और क्या करूँगा मैं जिंदा रह कर जबकि वे सब के सब प्यारे व रिश्तेदार जिनके लिये राज्य की इच्छा होती थी मरने मारने को खडे है? मैं तीन लोक के राज्य के लिये भी अपने उस्तादों, बुजुर्गों , प्यारों और रिश्तेदारों का खून करना पसंद  न करूँगा, फिर इस पृथ्वी के राज्य की तो क्या हकीकत है?  मेरी जान जाय तो जाय।

(35) क्रमशः                             

 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


**परम गुरु हुजूर महाराज-

प्रेम पत्र- भाग 1- कल से आगे-( 8 )

-इस वास्ते कुल जीवो को, जो अपना सच्चा भला चाहते हैं, जरूरी है कि पहले संत सतगुरु  या साध गुरु का खोज करके कुछ दिन उनका सत्संग करें और सच्चे मालिक का पता और भेद अपने घट में दरियाफ्त करके उसकी पहचान और प्रतीति हासिल करने में कोशिश करें, यानी चलने की जुगत सुरत शब्द अभ्यास की लेकर हर रोज, जिस कदर बन सके, शौक और मेहनत के साथ उसकी कमाई करें ।

तो कुछ दिन में थोड़ा बहुत नूर अंतर में नजर आवेगा । और उस सच्चे मालिक की दया और रक्षा के पर्चे अंदर और बाहर देखकर उसकी प्रतीति और मेहर की परख और पहचान आवेगी और फिर दिन दिन प्रीति चरणों में बढ़ती जावेगी। और इस तौर से एक दिन सब कारज दुरुस्त हो जावेगा।

क्रमशः                                       

  🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

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