Thursday, February 13, 2020

बसंतोत्सव 1961 दयालबाग




[07/02, 14:41] +91 92346 58709: **राधास्वामी सत्संग सभा ने 21 जनवरी 1961 बसंत पंचमी के दिन राधास्वामी सत्संग की शताब्दी समारोह मनाने की योजना बनाई। सभी सत्संग ब्राँचेज, डिस्ट्रिक्ट एसोसिएशन्स,और रीजनल एसोसिएशन्स से अनुरोध किया गया कि वह अपने स्थानों पर इस अवसर का आयोजन दीप सज्जा के साथ करें। समारोह का आयोजन 19 से 22 जनवरी तक चला। जो शब्द बसंत पंचमी के दिन पढ़े गए उनमें राधास्वामी दयाल के स्वामीजी महाराज के मनुष्य के रूप में अवतरित होने का संदेश था। बसंत के दिन प्रातः काल के सतसंग के पश्चात हुजूर मेहताजी महाराज ने एक संदेश दिया जिसका अंत इस प्रार्थना से था " ऐ परमपिता सबको सुमति प्रदान करें ऐसी दया हो कि सत्संग संचालन पहले से कहीं बढ़ चढ़कर प्रगति और समृद्धि के पथ पर अग्रसर हो। राधास्वामी।"  उसी दिन हुजूर राधास्वामी दयाल के चरणकमलों में धन्यवाद देने के लिए सभा का एक विशेष अधिवेशन हुआ जिसमें पारित प्रस्ताव में यह शब्द थे- " हम अपनी कृतज्ञता की समुचित अभिव्यक्ति करने में असमर्थ है। अतः हम आपके चरण- कमलों में बड़ी दिनता व कृतज्ञता से नतमस्तक हैं और बारंबार हुजूर  साहबजी महाराज के शब्दों में प्रार्थना करते हैं। " तन मन सेवा में लगे और सिंह तुम्हारी होय। दया दृष्टि मुझ पर रहे और न चाहत कोय।"  मेहताजी महाराज की सेहत लगातार धीरे-धीरे गिरती गई और 1969 में कमजोरी अत्यधिक बढ गई। फिर भी जो काम वह कर रहे थे , उसमें कभी नहीं हुई। 16 फरवरी सन 1975 बसंत पंचमी के दिन उनकी दशा अत्यधिक नाजुक हो गई और उनके लिए सत्संग में आना भी संभव नहीं था। बसंत पंचमी के 1 दिन पश्चात 17 फरवरी सन 1975 को सांयकाल 5:00 बजे परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज हम सब को छोड़कर  निजधाम सिधार गए। मेहताजी महाराज के तीन बेटे व 5 बेटियां थी ।🙏🏻राधास्वामी🙏🏻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻**
[07/02, 14:52] +91 92346 58709: **दिसंबर 1938 में मेहताजी महाराज ने सभा के प्रेसिडेंट का पद त्याग दिया और राय बहादुर गुरु सरन दास मेहता को प्रेसिडेंट चुना  गया। 28 दिसंबर 1938 को सतसंगियों के जलसे में मेहताजी महाराज को साहबजी महाराज का उत्तराधिकारी जयघोषित किया गया। जैसा कि मेहताजी महाराज ने स्वंय बताया था कि उन्होंने साहबजी महाराज से नवम्बर 1933 में यह निवेदन किया था कि कुछ ऐसी व्यवस्था की जाए कि बेरोजगारी, दुःख व दरिद्रता दूर की जा सके। वह समय व्यापार में मंदी और व्यापक बेरोजगारी का था। सन 1934 में पूरे वर्ष वह प्रतिदिन हुजूर राधास्वामी दयाल के चरणों में सुबह शाम अपना भोजन करते समय यह प्रार्थना करते रहे कि सतसंगियों को अपना जीवन व्यतीत करने के लिये प्रर्याप्त भोजन, कपडे व प्रर्याप्त धन प्रदान करें। साहबजी महाराज ने सभा में यह प्रस्ताव पास कराया था कि दयालबाग की इंडस्ट्रीज को विकसित किया जाए ताकि 5 वर्ष के अंदर उनका वार्षिक उत्पादन एक करोड हो जाए ।सभा के प्रेसिडेंट बनने के पश्चात हुजूर मेहताजी महाराज ने इस प्रस्ताव की पुष्टि करा दी। सभा की प्रार्थना पर उन्होंने "डायरेक्टर ऑफ इंडस्ट्रीज " का कार्यभार संभाला और औद्योगिक इकाइयों तथा संगठन को निर्देशित करते रहे। उनके उत्पादन में माल की बिक्री बढ़ाने के लिए प्रभावकारी बड़े कदम उठाए गए। पहले से स्थापित यूनिटों का विस्तार किया गया और दयालबाग और बाहर नई इंडस्ट्रीज स्थापित की गई। औद्योगिक उत्पादनों की बिक्री हेतु देशभर में स्टोर्स स्थापित किए गए और नियमित रूप से प्रदर्शनिया लगाई गई। सतसंगी समाज के हर वर्ग के लोगों ने घर-घर जाकर बहुत उत्साह के साथ माल की बिक्री करने में भाग लिया। मेहता जी महाराज ने सतसंगियों को यथा आवश्यक सलाह व निर्देश दिए। बचध फरमाने के स्थान पर वे हर व्यक्ति तथा समुदाय को निर्धनता और संभावित विपत्तियों से बचने का रास्ता बता रहे थे। सतसंगियों की दशा सुधारने के लिए उन्होंने कई उपाय किए जैसे  अपने निजी खर्चे से कॉलोनी के विद्यार्थीयों लड़के व लड़कियों को मुफ्त दूध दिए जाने का प्रबंध किया। जब सन् 1942 में 5 वर्ष की अवधि से पहले ही इंडस्ट्रियल प्रोग्राम पूरा हो गया, साहबजी महाराज के बड़े भाई श्री द्वारकादास जी को इंडस्ट्रीज का डायरेक्टर नियुक्त किया गया। सभा के आग्रह पर मेहताजी महाराज ने सभा के "आर्थिक सलाहकार के रूप में आर्थिक विषयों पर प्रदर्शन करने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।  और तब सभा ने औद्योगिक व वाणिज्यिक क्षेत्र में कार्य करना छोड़ दिया । बहुत सी सरकारी और प्राइवेट लिमिटेड कंपनीज इस कार्य के लिए गठित की गई । कई धर्मार्थ समितियों स्थापित की गई ताकि धर्मार्थ कार्यकलापो जैसे  चिकित्सीय सहायता उपलब्ध कराने को गति प्रदान कर सकें। महिलाओं के सामाजिक उत्थान के लिए कदम उठाए गए। सन 1938 में महिला एसोसिएशन का गठन हुआ और विवाह में होने वाले व्यय को नियंत्रित करने, सरल तथा सुधार करने के लिए एक मैरिज पंचायत का गठन किया गया।**

प्रस्तुति - दीपा शरण
सृष्टि शरण, दृष्टि शरण

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