[10/01, 07:37] +91 79090 13535: *सतसंग के उपदेश*
भाग-1
*(परम गुरु हुज़ूर साहबजी महाराज)*
*मिश्रित बचन*
*38- दुनिया के लोग बड़े शौक़ के साथ देवताओं की पूजा करते हैं और आशा रखते हैं कि इस पूजा से देवता उन्हें मुक्ति प्रदान करेंगे। मगर तअज्जुब यह है कि कोई भी यह तहक़ीक़ करने की कोशिश नहीं करता आया उन देवताओं को ख़ुद भी मोक्ष प्राप्त है। जब कि ये देवता सृष्टि के काम में लगे हैं और सृष्टि की सँभाल की सेवा उनके सुपुर्द है, तो उनसे मोक्ष हासिल करने की आशा बाँधना लाहासिल है। वे सृष्टि के ही अन्दर नीच ऊँच योनि दिला सकते हैं, इससे ज़्यादा उन्हें अधिकार हासिल नहीं है। उपनिषद् में एक जगह लिखा है कि जब कोई शख़्स देवताओं की उपासना छोड़ कर ब्रह्मविद्या की जानिब मुख़ातिब होता है तो वे उससे ऐसे ही नाराज़ होते हैं जैसे कोई अपने पशु चुराये जाने पर नाराज़ होता है। ऐसी हालत में मोक्ष के तलबगारों को चाहिये कि देवताओं की पूजा को छोड़ कर सच्चे मालिक की भक्ति में लगें और सच्चे मालिक की भक्ति की रीति सच्चे सतगुरु से दरियाफ़्त करें।*
*राधास्वामी*
[12/01, 17:27] +91 79090 13535: **राधास्वामी!!- 12-01- 2020- आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे -(27 )-जब तक किसी सत्संगी के अंदर जब्त यानी मन को काबू में रखने का माद्दा पैदा नहीं होता वह सत्संग से असली फायदा नहीं उठा सकता। सत्संगी के लिए काफी नहीं है कि मन को काबू में रखने से जो लाभ होते हैं उनमें श्रद्धा कायम कर ले या मन को काबू में लाने का इरादा करले। उसको चाहिए कि नीचे लिखे हुए तरीकों से मन को काबू में रखने की आदत डालें:- अब चलने फिरने का अव्वल-जब चलने फिरने व काज करने से खूब भूख लग जाए तो खाने के लिए बैठे और जब खाना सामने आवे तो परहेज करें यानी बिना खाए उठ जाय।। दोयम-तेज प्यास लगने पर ठंडा पानी या शरबत मंगाये लेकिन उनके सामने आने पर प्यासा रहना मंजूर करें । इन दो परीक्षाओं में पास होने पर आदत डालें कि निंदा होने पर मिजाज काबू में रहे और स्तुति होने पर मन फूलने न पावे।। सत्संग में असाधारण दया होने पर तबीयत सावधान रहें ।अंतर में कोई परचा मिलने पर उसका जिक्र जबान पर ना आवे और अंतर में दर्शन की गहरी दया होने पर ऐसे बरतें कि पड़ोसी तक को खबर ना होने पावे की कोई गैरमामूली बक्शीश हुई है। इन सात परीक्षाओं में पूरा उतर आने पर सत्संगी इत्मीनान के साथ जिंदगी बसर कर सकता है ।🙏🏻राधास्वामी🙏🏻( सत्संग के उपदेश -भाग तीसरा- पेज नंबर 27)**
[12/01, 17:27] +91 79090 13535: **राधास्वामी!! 12-01-2020-नोट:- आज शाम के सतसंग की शुरुआत राधास्वामी नाम जो गावे सो ही तरे से हुई- पढे गये पाठ निम्न:-(1) सतगुरु प्यारे ने चुकाया काल का करजा हो ।।टेक।।(प्रेमबानी-3,शब्द-37,पे.न.135) (2)-सतगुरु दयाल दया करी घट परगटायि सूर। रोम रोम भया चाँदना तिमिर भया सब दूर।। बिनती सुन स्वामी अजब नैन चलाउ सैन। सैन पेख घायल हुई चली ऐन में पैन। (प्रेमबिलास-शब्द 543, पे.न. 7) (3) सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा-कल से आगे सरन तेरी,करू बेनती दोऊ कर जोरी, अरज सुनो राधास्वामी मोरी।।🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
[14/01, 14:21] +91 78707 84148: *राधास्वामी मत संदेश*
*(परम गुरु हुज़ूर महाराज)*
*राधास्वामी मत के अभ्यासी को इन संजमों की सँभाल रखना चाहिए*
*129- जो कोई राधास्वामी मत में शामिल होवे और उसके मुआफ़िक़ अभ्यास शुरू करे, उसको यह संजम, वास्ते दुरुस्ती से करने अभ्यास सुरत शब्द मार्ग के, दरकार हैं:-*
*(1) माँस अहार न करे और न कोई नशे की चीज़ पीवे या खावे। हुक़्क़ा पीना नशे में दाख़िल नहीं है।*
*(2) मामूली खाने से आहिस्ता आहिस्ता क़रीब चौथाई हिस्से के कम कर देवे, और बहुत चिकने चुपड़े और स्वाद के भोजन ज़्यादा न खावे।*
*(3) सोने में भी कुछ कमी करे, यानी आम तौर पर छः घंटे से ज़्यादा न सोवे।*
*(4) संसारी लोगों से ज़रूरत के मुआफ़िक़ मेल और बर्ताव करे। उनसे ज़्यादा मेल न रक्खे और बग़ैर ज़रूरत के किसी के संसारी मामले में दख़ल न देवे।*
*(5) संसारी पदार्थ और इंद्रियों के भोगों की चाह फ़ज़ूल न उठावे और न उनके वास्ते फ़ज़ूल जतन करे, बल्कि जो भोग और पदार्थ मुयस्सर आवें, उनमें भी जिस क़दर मुनासिब होवे, अहतियात के साथ बर्ताव करे।*
*(6) वक़्त अभ्यास के बेफ़ायदा ख़याल दुनियाँ और उसके पदार्थों और भोगों के न उठावे और जो पुरानी आदत के मुआफ़िक़ ऐसी गुनावन मन में पैदा होवे, तो उसको, जिस क़दर जल्दी बने, दूर हटावे,नहीं तो अभ्यास में रस नहीं मिलेगा।*
*(7) सत्तपुरुष राधास्वामी दयाल और गुरू का किसी क़दर ख़ौफ़ दिल में रक्खे और उनकी प्रसन्नता में अपनी बेहतरी समझे और नाराज़ी में नुक़सान परमार्थ और स्वार्थ का। और उनके चरनों में दिन दिन प्रीति और प्रतीति बढ़ाता रहे।*
*(8) जहाँ तक मुमकिन होवे, किसी जीव से विरोध और ईर्षा दिल में न रक्खे।*
*(9) पुण्य कर्म मुआफ़िक़ दफ़ा 84 से 88 तक के, जिस क़दर बन सके, करे और पाप कर्म से, जहाँ तक बने, बचता रहे।*
*(10) राधास्वामी दयाल की दया का हर दम भरोसा मन में रखकर अपना अभ्यास नियम से हर रोज़ दो बार या ज़्यादा करता रहे। और पोथियों का भी थोड़ा पाठ किया करे कि उससे अभ्यास और मन और इंद्रियों की दुरुस्ती में मदद मिलेगी।*
*(11) सतसंग में शामिल होने का हमेशा शौक़ रक्खे और जब मौज से मौक़ा मिले, तब चेत कर होशियारी से बचन सुने और उनका मनन करके, अपने लायक़ के बचन छाँट कर, उनके मुआफ़िक़ काररवाई और बर्ताव शुरू करे।*
*(12) अपने मन और इंद्रियों की चाल को निरखता चले, यानी मन की चौकीदारी करे कि नाक़िस और पाप कर्मों और ख़यालों में न जावे और जहाँ तक बने, मन और माया के हाथ से धोखा न खावे।*
*(13) सच्चे परमार्थी यानी प्रेमी जन से मुहब्बत करे और जब वे मिल जावें, तो शौक के साथ उनका संग और ख़ातिरदारी और जो मौक़ा होवे, तो मेहमानदारी करे।*
*(14) अपने वक़्त का ख़याल रक्खे कि जहाँ तक मुमकिन होवे फ़ज़ूल और बेफ़ायदा कामों और बातों में मुफ़्त ख़र्च न होने पावे।*
*(15) जबकि कुल मालिक राधास्वामी दयाल को सर्व समर्थ और सर्वज्ञ समझा, तो जो कुछ कि स्वार्थ और परमार्थ के मामले में पेश आवे, उसको उनकी मौज समझना चाहिए, और चाहे वह मन के मुआफ़िक़ होवे या नहीं, उस मौज के साथ मुआफ़िक़त करना चाहिए, यानी तकलीफ़ को धीरज के साथ बरदाश्त करना चाहिए और तरक़्क़ी यानी सुख में परमार्थ से ग़ाफ़िल होना नहीं चाहिए।*
*राधास्वामी*
[15/01, 10:09] +91 79090 13535: **परम गुरु हुजूर महाराज- प्रेम पत्र- भाग 1- कल से आगे:- यह सरन जिसका जिक्र ऊपर हुआ, दर्जा अव्वल की सरन है। हर एक शख्स को चाहिए कि इसके मुआफिक सरन लेवे और अभ्यास करें। जिस दर्जे की सरन होगी उसी कदर फायदा जीते जी और अंत समय पर मालूम होगा। सरन में दर्जे बहुत है, मगर अपनी तरक्की किस दर्जे की सरन हासिल है आप कर सकता है, यानी जिस कदर मौज पर राजी हो और जिस कदर दया का भरोसा कर के अभ्यास में लगे, उसको मालूम करके परख हो सकती है। पूरी सरन वाले का एक ही दिन में काम बनेगा और बाकी जिस कदर सरन कम होगी उसी कदर देर होगी।। जैसे कि सुरत हर एक देह में बैठ कर कुल देह की कार्यवाही अपनी धारों की ताकत से करती है और कुल देह में प्रेरक वही है, इसी तरह से राधास्वामी दयाल कुल सुरतों के ताकत देने वाले और प्रेरक हैं और हर एक के घट में अंग संग मौजूद हैं। इससे उनका सर्व समरथ होना साबित है । फिर इस तरह प्रतीति करने में कोई दिक्कत मालूम नहीं होती है , लेकिन मन का कायदा है कि यह अपनी चतुराई और तकदीर से बाज नहीं आता और पूरा पूरा भरोसा राधास्वामी दयाल की दया का नहीं करता। वजह इसकी यह है कि जिस काम में है या जिस चीज में इसका बंधन विशेष है उस काम के पूरा काम करने में पूरा पूरा भरोसा दया का न लाकर अपना जतन और तदबीर जरूर करता है और जो इसकी मर्जी के मुआफिक काम ना होवें तो रुखा फीका या दुखी होकर ऐसा ख्याल करता है कि अगर फला तदबीर करता तो काम दुरुस्त होता या फलाँ के मेरे करने में कसर रह गई। और मौज को भूल जाता है और उसके साथ मुआफिकत नहीं करता। जो ऐसे जीव हैं वह पूरी तौर पर उनका भरोसा नहीं रखते । वे चाहते हैं कि राधा राधास्वामी दयाल उनकी ख्वाहिश के मुआफिक हर एक काम को पूरा करें और जो ऐसा नहीं होता तो मौज का आसरा छोड़कर अपनी तदबीर में जहां तक बनता है कोशिश करते हैं । ऐसी सरध कसूर वाली है मगर जो इरादा पूरी सरन लेने का सच्चा और पक्का है और मेहनत और अभ्यास करता रहेगा तो 1 दिन पूरे सन हासिल हो जावेगी। ऐसु हरध दृढ करने के किसी कदर वैराग्य संसार के पदार्थ और भागों के जरूर है। जरूरत के मुआफिक चाह उठानी चाहिए और फिजूल और बेजरूरत चाह जिस कदर हो सके रोकनी और हटानी चाहिए। और मालूम होवे कि उपाय करना मना नहीं है पर मौज के आसरे करना चाहिए ।क्रमशः🙏🏻 राधास्वामी**🙏🏻
[16/01, 07:59] +91 79090 13535: *परम गुरु महाराज साहब के भंडारे के आरती सतसंग के पश्चात्*
*ग्रेशस हुज़ूर डा. प्रेम सरन सतसंगी साहब का भाव गर्भित अभिभाषण*
(रविवार 10.10.2004)
*अभी आपने परम गुरु महाराज साहब के बचन में सुना कि सतसंगी नीचे से नीचे भी बासा पाएगा तो सहसदल कमल में बासा पाएगा। इसके बरख़िलाफ जब एक ग़ैर सतसंगी की मौत होती है तो उसकी सुरत भी पहुँचती तो है ज्योति निरंजन के सन्मुख पर वहाँ पहुँचते ही उसके मन के विकार आसा मनसा प्रकट हो जाते हैं। और उसकी प्रबल इच्छा के प्रकट होते ही उसे वहाँ से नीचे फेंक दिया जाता है और धर्मराय निर्णय लेते हैं कि उसको उसकी प्रबल इच्छा के अनुसार किस योनि में चैरासी में भेजा जाए। और वह कुछ समय के लिए निद्राण अवस्था में चिदाकाश में पड़ी रहती है और फिर जैसा भी उसे स्वर्ग-नरक भोगना होता है वह भोगती है और चैरासी में जा करके किसी योनि में जन्म लेती है। तो यह तो हमारा परम सौभाग्य है कि हम राधास्वामी दयाल की चरन-शरण में हैं और चार जन्मों में हमारा उद्धार निश्चित है। और अगर आप सतसंग,सेवा, अभ्यास और अनुशासन और जो सारे आदेश हैं उनका पालन करें तो यह उद्धार एक जन्म में भी हो सकता है।* राधास्वामी।
(प्रेम प्रचारक, 8 नवम्बर, 2004)
[22/01, 07:59] +91 79090 13535: *बसन्त के पवित्र दिन हुज़ूर का*
*उत्साहवर्द्धक भाषण*
*(परम गुरु हुज़ूर साहबजी महाराज)*
*आज का दिन हम लोगों के लिये बड़ी ख़ुशी का है। इसलिए नहीं कि आज किसी महीने की कोई ख़ास तारीख़ है बल्कि इसलिये कि आज के दिन ही हम लोगों के परम पूज्य और राधास्वामी के प्रवर्तक हुज़ूर स्वामीजी महाराज ने सतसंग आम जारी फ़रमाया।* सन् 1861 ई. और सन् 1934 ई. में बड़ा फ़र्क़ नज़र आता है। 73 वर्ष का फ़र्क़ है परन्तु उन दयाल ने जो दया आज के दिन सतसंग आम जारी फ़रमाकर तमाम संसारी जीवों के हाल पर फ़रमाई उसकी तेज़ी इस 73 वर्ष के अर्सा में इतनी ज़्यादा बढ़ गई और इतनी ज़्यादा फैल गई कि हम सब भाई और बहिनें इस पवित्र घटना को अधिक से अधिक उमंग व उत्साह से मनाया करते हैं। किसी दिखावे के लिए नहीं, किसी रस्म के पूरा करने के लिये नहीं, किसी के डर से नहीं, किसी लीक के पीटने की ग़रज़ से नहीं बल्कि आज के दिन जो दया उन दयाल ने हम पर फ़रमाई उसकी याद आने पर अपने आप हमारे हृदय इस अवसर पर अपनी उमंग व प्रसन्नता प्रकट करने के लिये तैयार हो जाते हैं। इन दिनों प्रकृति भी हर्ष प्रकट करती है और चारों ओर पीले पीले फूल खिलाती है, कलियाँ चटखाती है, हरियाली लहलहाती है, हम भी उसके साथ सहयोग करते हुए पीले पीले कपड़े पहनते हैं और आनन्द मनाते हैं, ख़ुशी ज़ाहिर करते हैं, गाते बजाते हैं, प्रसाद कराते हैं, सजावट करते हैं परन्तु ये सब कार्रवाइयाँ बहिर्मुख हैं और जो दया आज के पवित्र दिन हुई वह बाहरी न थी अत: हमारा कर्त्तव्य हो जाता है कि यह भेद दूर करने का यत्न करें।
[22/01, 07:59] +91 79090 13535: *अच्छा होगा कि हम सब इस समय कम से कम पाँच मिनट के लिये चुप होकर मालिक के चरणों का ध्यान करें और अन्तर ही अन्तर उसका शुकराना बजा लायें। यह कार्रवाई अत्यन्त उचित व समयानुसार होगी।*
(इन शब्दों के साथ ही उपस्थित जनों ने आज्ञानुसार चुप होकर मालिक के हुज़ूर में प्रार्थना की) हुज़ूर ने फिर फ़रमाया-
इतिहास पढ़ने से ज्ञात होता है कि
*जब हज़रत मसीह पैदा हुए, आसमान पर फ़ रिश्तों ने ख़ुशी मनाई और बाजे बजाये।*
*हज़रत मोहम्मद साहब पैदा हुए,आसमान से सितारे टूटे और ख़ास क़िस्म की रोशनी हुई और बाजे बजे।*
*कृष्ण महाराज पैदा हुए तो सख़्त अँधेरा छा गया और वर्षा हुई, उसी हालत में वसुदेव उन्हें नन्द के घर ले गये।*
*हज़रत मसीह सूली पर चढ़ाये गये और उनके साथ वह बर्ताव किया गया जिसे पढ़कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं।*
*हज़रत मोहम्मद साहब को 17 बार युद्ध करना पड़ा।*
*कृष्ण महाराज को पाँच वर्ष की अवस्था से ही राक्षसों से लड़ना पड़ा। उसके बाद महाभारत का दृश्य देखना पड़ा।*
[11/02, 17:01] +91 79090 13535: **राधास्वामी!! 11-02-2020-आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ- (1) अरी हे सहेली प्यारी, दूत बिरोधी भारी, गुरु बल इनको मारो ।।टेक।। (प्रेमबानी-3,शब्द-19,पे.न.169) (2) सतगुरु परम दयाल कही यह अमृत बानी। सुन लो बचन हमार कहूँ मैं तोहि बुझानी।।। प्रीतम स्वामी पिता यही मन नाम धराने। तन या मन की प्रीति रहें जिव सदा भुलाने।। (प्रेमबिलास-शब्द- (उत्तर)68,पे.न.92) (3) सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा-कल से आगे- 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
[11/02, 19:42] +91 87892 86656: आप सभी को सूचित किया जाता है कल से खेतों में हेलमेट पहनना ज़रूरी है और March Past में बिना हेलमेट के allow नहीं किया जायेगा नये हेलमेट (दाम ₹45) खेतों में भी उपलब्ध होंगे।
The above message is as per directions received
[14/02, 03:31] +91 87892 86656: https://esatsang.itas.in/auth/login?next=%2F
*LOGIN AVAILABLE*
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*RADHASOAMI*
प्रस्तुति - रीना शरण, अम्मी शरण
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