[22/01, 07:59] +91 79090 13535: *बसन्त के पवित्र दिन हुज़ूर का*
*उत्साहवर्द्धक भाषण*
*(परम गुरु हुज़ूर साहबजी महाराज)*
*आज का दिन हम लोगों के लिये बड़ी ख़ुशी का है। इसलिए नहीं कि आज किसी महीने की कोई ख़ास तारीख़ है बल्कि इसलिये कि आज के दिन ही हम लोगों के परम पूज्य और राधास्वामी के प्रवर्तक हुज़ूर स्वामीजी महाराज ने सतसंग आम जारी फ़रमाया।* सन् 1861 ई. और सन् 1934 ई. में बड़ा फ़र्क़ नज़र आता है। 73 वर्ष का फ़र्क़ है परन्तु उन दयाल ने जो दया आज के दिन सतसंग आम जारी फ़रमाकर तमाम संसारी जीवों के हाल पर फ़रमाई उसकी तेज़ी इस 73 वर्ष के अर्सा में इतनी ज़्यादा बढ़ गई और इतनी ज़्यादा फैल गई कि हम सब भाई और बहिनें इस पवित्र घटना को अधिक से अधिक उमंग व उत्साह से मनाया करते हैं। किसी दिखावे के लिए नहीं, किसी रस्म के पूरा करने के लिये नहीं, किसी के डर से नहीं, किसी लीक के पीटने की ग़रज़ से नहीं बल्कि आज के दिन जो दया उन दयाल ने हम पर फ़रमाई उसकी याद आने पर अपने आप हमारे हृदय इस अवसर पर अपनी उमंग व प्रसन्नता प्रकट करने के लिये तैयार हो जाते हैं। इन दिनों प्रकृति भी हर्ष प्रकट करती है और चारों ओर पीले पीले फूल खिलाती है, कलियाँ चटखाती है, हरियाली लहलहाती है, हम भी उसके साथ सहयोग करते हुए पीले पीले कपड़े पहनते हैं और आनन्द मनाते हैं, ख़ुशी ज़ाहिर करते हैं, गाते बजाते हैं, प्रसाद कराते हैं, सजावट करते हैं परन्तु ये सब कार्रवाइयाँ बहिर्मुख हैं और जो दया आज के पवित्र दिन हुई वह बाहरी न थी अत: हमारा कर्त्तव्य हो जाता है कि यह भेद दूर करने का यत्न करें।
[22/01, 07:59] +91 79090 13535: *अच्छा होगा कि हम सब इस समय कम से कम पाँच मिनट के लिये चुप होकर मालिक के चरणों का ध्यान करें और अन्तर ही अन्तर उसका शुकराना बजा लायें। यह कार्रवाई अत्यन्त उचित व समयानुसार होगी।*
(इन शब्दों के साथ ही उपस्थित जनों ने आज्ञानुसार चुप होकर मालिक के हुज़ूर में प्रार्थना की) हुज़ूर ने फिर फ़रमाया-
इतिहास पढ़ने से ज्ञात होता है कि
*जब हज़रत मसीह पैदा हुए, आसमान पर फ़ रिश्तों ने ख़ुशी मनाई और बाजे बजाये।*
*हज़रत मोहम्मद साहब पैदा हुए,आसमान से सितारे टूटे और ख़ास क़िस्म की रोशनी हुई और बाजे बजे।*
*कृष्ण महाराज पैदा हुए तो सख़्त अँधेरा छा गया और वर्षा हुई, उसी हालत में वसुदेव उन्हें नन्द के घर ले गये।*
*हज़रत मसीह सूली पर चढ़ाये गये और उनके साथ वह बर्ताव किया गया जिसे पढ़कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं।*
*हज़रत मोहम्मद साहब को 17 बार युद्ध करना पड़ा।*
*कृष्ण महाराज को पाँच वर्ष की अवस्था से ही राक्षसों से लड़ना पड़ा। उसके बाद महाभारत का दृश्य देखना पड़ा।*
प्रस्तुति - उषा रानी /
राजेंद्र प्रसाद सिन्हा
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