[30/01, 17:53] +91 92346 58709: **राधास्वामी 30-1- 2020 - आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे -(43) संसार के मंतजिम और सभी सामान हमारी सुरत के भूखे हैं। सुरज चेतन है और संसार के समान जड है। सुरतें संसार में शरीर धारण करती है और यहां के सामान व पदार्थ खाकर शरीर पालती है। अगर सुरतें अपनी चेतनता सर्फ करके शरीर न बनावे तो संसार के सभी मसाला मुंतशिर हालत में पडा रहे और जो रोनक इस वक्त संसार के मसाले को हासिल है फौरन गायब हो जाए। इसलिए काल व माया, जो संसार के मन्तजिम, है संसार कायम करने के लिए सुरतों को अपने काबू में रक्खा चाहते हैं। सुरते शरीर धारण करती हैं और पालती है। ये शरीर काल के हाथ से कत्ल होते हैं और एक शरीर कत्ल होकर दूसरों की ज्याफ्त में सर्फ होता है। रात दिन यही तमाशा जारी है । राधास्वामी नाम के अंदर यह शक्ति है कि उसका बकायदा उच्चारण करने से काल व माया और उनकी सब शक्तियां बेकार हो जाती हैं और सूरत उनकी गढी हुई जंजीरे तोड कर आकाश मार्ग से चलकर अपने निजघर में प्रवेश कर जाती है जहां काल व माया का गुजर नहीं है।🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻( सत्संग के उपदेश-भाग तीसरा) **
[04/02, 17:08] +91 92346 58709: **राधास्वामी!! 04-02-2020- आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे-(47):- यह दुरुस्त है कि भीड़भाड़ के मौकों पर हजारों सतसंगियों का मिलकर उठना बैठना व खाना-पीना एक खास लुत्फ रखता है लेकिन दूर फासले से चलकर आने दो रास्ते की मुश्किलें झेलने और भारी रकमें किराये वगैरह में खर्च करने का अगर इतना ही फल मिले तो नाकाफी है। मुनासिब यह है कि सत्संग से लौटते वक्त हर एक प्रेमी सतसंगी यह महसूस करें कि वह कोई खास चीज लेकर लौट रहा है। जिसके दिल में प्रेम की चिनगी न हो वह चिनगी हासिल करें, जिसके दिल में चिनगी हो लेकिन मंद हो वह उसे तेज करावे, जिसके अंदर तेज चिनगी वह उसे और भी तेज करवा कर लौटे। अगर इन बातों का लिहाज न रक्खा गया और महज कारखानों व कॉलेजो की रौनक और सत्संग की भीड़ भाड़ या रुपये पैसे भेंट चढ़ाने ही पर संतोष कर लिया गया तो सख्त अफसोस होगा। मालूम होवे कि सत्संग के स्कूल, कॉलेज, कारखाने व अस्पताल वगैरह आध्यात्मिक संस्थाएं नहीं है। इनकी तरक्की व रौनक होने से लोगों को रुहानी तरक्की हासिल नहीं हो सकती। इनसे संगत की सिर्फ संसारी जरूरतें पूरी हो सकती हैं और संगत को आराम मिल सकता है । ये चीजें दरअसल सत्संग के पौधे के गिर्द बाढ़ के तौर पर लगाई गई है। मूर्ख बाड ही पर तवज्जुह रखते है लेकिन बुद्दिमान बाढ़ से गिरे हुए पौधे की तरफ तवज्जुह देते हैं।🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻( सत्संग के उपदेश- भाग 3)**
[05/02, 18:03] +91 92346 58709: **राधास्वामी!! 05-02-2020- आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया भजन कल से आगे-(48)- बाज कौमें विवाह(शादी) की रस्म को एक पवित्र संस्कार की बडाई देती है और बाज उसे सिर्फ एक ठेका समझती है। दरअसल शादी एक ऐसा इन्तिजाम है जिसकी मार्फत इंसान की नसल दुनिया में कायम रहती है और नश्व पाती है और चूँकि हर सभ्य जाति का कर्त्तव्य है कि दुनिया से दुःख दूर करने और सुख का राज चलाने के लिये कोशिश करे- और यह बात सिर्फ संतान के लायक व काबिल होने ही से मुमकिन है- इसलिये हर माता पिता का कर्तव्य हो जाता है कि शादी को पाश्विक वासनाएँ पूरी करने का हीला या जरिया न समझें बल्कि यह ख्याल करें कि उनके इस कर्म से दुनिया के दुख सुख पर भारी असर पडता है; क्योंकि अगर उनकी संतान मूर्ख या निर्दय पैदा हुई तो दुनिया के दुख में और अगर लायक व नेक होगी तो दुनिया के सुख में वृद्धि करेगी। इसलिये मुनासिब है कि वह अपने को ऐसी पवित्र आत्माओं के संसार में जन्म लेने का जरिया बनावें जो संसार में सुख फैलावे, जो आप सुखी रहें और दूसरों को सुखी करें। 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻 **
[07/02, 14:38] +91 92346 58709: **राधास्वामी!! 06-02-2020-आज शाय के सतसंग में पढा गया बचन-कल से आगे-(49)-सतसंगियों की मन व अभ्यास के सम्बंध में कुल शिकायतों की वजह से प्रेमी की कमी है। मालिक के चरणों का प्रेम ऐसी दवा है जिसके हृदय के अंदर दाखिल होते जीव के सब रोग सोग मिट जाते है।इसलिये हर सतसंगी को चाहिये कि रोजाना दिन में कई बार और कम से कम प्रातः काल जरूर ही प्रेम की दात के लिये प्रार्थना करे। प्रेम बाजार से नही मिल सकता, न दौलत से खरीदा जा सकता है। यह कुल मालिक का दरवाजा खटखटाने ही से मिलता है। इसके हासिल करने के लिये सतसंगियों को किसी तरह असावधानी या लज्जा नही करनी चाहिये।🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
[14/02, 16:06] +91 92346 58709: **राधास्वामी!! 14- 02- 2020 -आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे -(57) अगर किसी सत्संगी को सत्संग में कोई सेवा मिल जाए तो उसे कभी यह ख्याल न करना चाहिए कि यह सेवा उसे उसकी किसी खास योग्यता के कारण मिली है या यह कि उसके बिना सत्संग का फुलाँ काम चल ही नहीं सकता। राधास्वामी दयाल न किसी की सेवा के मुहताज है और न ही किसी की सहायता व योग्यता के। जब वह किसी जीव पर दया फरमाया चाहते हैं तो उसके लिए सेवा करने का अवसर पैदा कर देते हैं। जब किसी बड़भागी को कोई सेवा मिले तो उसे चाहिए कि उसका पूरा लाभ उठावे। हाथ आया मौका खो देने पर सैकड़ों बरस का फेर पड़ सकता है ।🙏🏻राधास्वामी🙏🏻 (सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा)**
[14/02, 21:55] गया सपन: घर से जब भी बाहर जाये
तो घर में विराजमान अपने सतगुरु से जरूर
मिलकर जाएं
और
जब लौट कर आए तो उनसे जरूर मिले
क्योंकि
उनको भी आपके घर लौटने का इंतजार
रहता है
*"घर" में यह नियम बनाइए की जब भी आप घर से बाहर निकले तो घर में सतगुरु के स्वरूप के पास दो घड़ी खड़े रह कर कहें *
"सतगुरु चलिए..
आपको साथ में रहना हैं"..!
*ऐसा बोल कर ही घर से निकले *
* क्यूँकिआप भले ही*
"लाखों की घड़ी" हाथ में क्यूँ ना पहने हो
पर
* "समय" तो "सतगुरु के ही हाथ" में हैं न*
🥀
सभी को भेजना
[15/02, 14:41] +91 92346 58709: **राधास्वामी!! 15-02-2020-आज शाम के सतसंग में पढा गया बचन- सवाल सत्संगी-- का क्या यह जरूरी है कि हर एक बड़े काम करने वाला गरीब घराने में जन्म ले? जवाब- ऐतिहासिक ग्रंथों से मालूम होता है कि बहुदा बड़े काम करने वालों ने गरीब घरानों ही में परवरिश पाई- हजरत मसीह ने बढई के घर,हजरत मुहम्मद ने गडरिये के घर, कृष्ण महाराज ने अहीर के घर और कबीर साहब ने जुलाहे के घर , लेकिन यह कोई जरूरी नियम नहीं है। नियम तो यह है कि सब महापुरुष ऐसे घर में जन्म धारण फरमाते है जहाँ से वह अपना काम अच्छी तरह व सहज में अंजाम दे सके। 🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻 (सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा)**
प्रस्तुति - उषा रानी
/राजेंद्र प्रसाद सिन्हा
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