Sunday, February 23, 2020

साहबजी महाराज की डायरी रोजनामचा वाक्यात




प्रस्तुति -स्वामी शरण, संत शरण,
आत्म स्वरूप

**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज- रोजाना वाक्यात- 15 जुलाई 1932-

 शुक्रवार:- सुबह मालूम हुआ कि मिस्टर स्किप्सी चले गये। खैर उनकी मर्जी। सत्संग के ₹40 के करीब खर्च हो गए और नतीजा कुछ ना निकला। सूबा मद्रास से अनेक पत्र प्राप्त हुए जिनमें सत्संग के अनुभवों का जिक्र है। मालूम होता है कि मद्रासी भाइयों ने इस मर्तबा के दौरे से बहुत आनंद उठाया।।                             सेठ चमरिया ने लिखा है कि लैला मजनू की फिल्म का सब खर्चा वसूल हो चुका है ।भविष्य में आमदनी सत्संग को मिलेगी।।                              रात के सतसंग में ज्ञान हुआ कि सब सतसंगियों को अपनी रहनी गहनी सँवारनी चाहिए। रहनी गहनी सँवारने से न सिर्फ खुद को सुख होगा बल्कि जनसामान्य को राधास्वामी मत में शरीक होकर जीवन सफल करने का मौका मिलेगा।।                     16 जुलाई 1932- शनिवार- सत्संग के कारोबार में बढ़ोतरी हो जाने से जरूरी हुआ कि एक और सहायक नियुक्त किया जावे। फिलहाल 6 माह के लिए प्रेमी बिहारी दास एम.ए. को मुकर्रर किया है ।और उनके जिम्मे दयालबाग प्रैस, पुस्तकों की छपाई वगैरह लीग आफ सर्विस कई विभाग सुपुर्द किये है। और चूँकि डेरी का काम किसी कदर ढीला चलता है इसलिए यह महकमा मैंने अपने अधीन में ले लिया है । हम लोगों का काम हाथ पाँव हिलाना है नतीजा मालिक के हाथ  है ।।                             आज सेहपहर को डेरी का हिसाब किताब समझने में व्यय हुआ। डेरी के अफसरों ने अब तक काबिलेतारीफ हिम्मत दिखाई है लेकिन अभी और हिम्मत दिखलाई है लेकिन अभी और हिम्मत दिखलाने की जरूरत है । क्योंकि बिना काम को तरक्की किये  डेरी अपने पांव पर खड़ी नहीं हो सकती। गोया इस वक्त तीन महकमें ऐसे हैं जिन पर खास तवज्जुह देने की जरूरत है । शू, फैक्टरी , टेक्सटाइल फैक्ट्री,और डेरी। अगर वह सब प्रस्तावों जो इन महकमों की विस्तार के लिए सोची गई है अमल में आ गई तो भारी उम्मीद है कि आइंदा साल सत्संग की माली मुश्किलात का अर्सा के लिये खात्मा हो जाएगा । इन बातों का इन्दराज इसलिए किया जाता है कि सतसंगी भाइयों को सतसंग की मुश्किलात की इत्तिला रहे।🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**

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