Tuesday, February 16, 2021

सतसंग सुबह RS 17/02


 **राधास्वामी!! 17-02-2021-आज सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:-सतसंग से पहले मौज से पढे गये पाठ:-                                       

(1)आज सखी काज करो कुछ अपना।

गुरु दरस तको छोडो जग सुपना।।-

(राधास्वामी कही बनाई। जो नहिं मानो भुक्तो भाई।।)

 (सारबचन-शब्द-9-पृ.सं.334,335)     

                                                

(2) गुरु आरत बिधि दीन बताई।

मोह नींद से लिया जगाई।।-

(डोर लगी और चढी गगन को।

उमँगा मन राधास्वामी कहन को।।)

(सारबचन-शब्द-7-पृ.सं.186,187) 

                            

(1) करो री कोई सतसँग आज बनाय।।टेक।।

नर देही तुम दुर्लभ पाई। अस औसर फिर मिलज न आय।।

-(नभ चढ चलो शब्द में पेलो

। राधास्वामी कहत बुझाय।।)

(सारबचन-शब्द-4-पृ.सं.265,266)                                                                 

(2) रसीले छोडो अमृत धारा।।टेक।।

यह धारा दस द्वार से उठती। भींजे तन मन सारा।।-

( राधास्वामी प्यारे हुए दयाला।

मोहि लीना सरन सम्हारा।।) 

प्रेमबानी-2-शब्द-3-पृ.सं.407)        

                                 

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


**परम गुरु हुजूर मेहता जी महाराज

- भाग 1- कल से आगे:-( 29)-

इलाहाबाद में हुजूर के दर्शन करने के वास्ते एक पंजाबी साहब आये और कहा- मेरे पास रुपए पैसे की कमी नहीं है और खानगी मामलों और दुनियाँ के कामों वगैरह सब में मुझे पूरा इत्मीनान और बेफिक्री है लेकिन इन तमाम बातों के होते हुए भी दिल को इत्मीनान और शांति नसीब नहीं है ।

दिल शांति चाहता है लेकिन वह नहीं मिलती। मैंने कई साध-संतो के दर्शन भी किये और तीर्थों की भी यात्रा की लेकिन मुझे आज तक कहीं शांति नहीं मिली। आपकी आमद की खबर पाकर मैं आज सत्संग में आपसे आशीर्वाद पाने के लिए हाजिर हुआ हूँ। मुझे आपके दर्शन की बहुत अरसे से आरजू थी शुक्र है कि वह आज पूरी हुई।                                                             

हुजूर ने जवाब में फरमाया-यह अशांति बुरी नहीं है बल्कि मुबारक है क्योंकि इसकी बरकत से आपके अंदर खोज और तलाश का अंग कायमू रहेगा और जब तक मतलब हल न हो जावेगा यह चाल बराबर जारी रहेगी। आप इत्मीनान रक्खें कि अगर आप की आरजू व तडप सच्ची है तो मालिक आप पर जरूर दया करेगा और ऐसा संयोग पैदा करने का इंतजाम करेगा जिसमें पड कर आप अपने मतलब को हासिल कर सकें। इसके बाद मौज से शब्द निकाले गये:-                                                            

  (१) सुरतिया भाग भरी।

आज गुरु दर्शन रस लेत।

।(प्रेमबानी- भाग-2-शब्द-80)                  

 (२) धन्य धन्य सखी भाग हमारे धन्य गुरु का संग री।।( प्रेमबिलास- शब्द -126)                   


(३) अरे मन रँग जा सतगुरु प्रीत। होय मत और किसी का मीत।।

( सारबचन- बचन- 18, शब्द 7)

                                                    

  (४) मैं गुरु प्यारे के चरनों की दासी।( प्रेमबानी-भाग- 3-शब्द-1)                           

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**


**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-

[भगवद् गीता के उपदेश]-

कल से आगे:-

 जो लोग यज्ञ का उच्छिष्ट यानी बचा हुआ प्रसाद खाते हैं वे सनातन धर्म को प्राप्त होते हैं। यह संसार यज्ञ न करने वालों के लिये नहीं है, परलोक का तो जिक्र ही क्या।                                  

  हे अर्जुन! इस तरह वेदों में बहुत सी किस्म के यज्ञों का बयान है। मगर गौर करो कि इन सभी यज्ञों की उत्पत्ति कर्म ही से होती है ।यह बात समझ लेने से तुम्हें मुक्ति हासिल हो जायगी। हे अर्जुन! यह दुरुस्त है कि ऐसे यज्ञों से, जिनमें संसार के पदार्थों की आहुति डाली जाती है, ज्ञानयज्ञ श्रेष्ठ है क्योंकि तमाम कर्म ज्ञान में समाप्त होते हैं यानी सब कर्मों का परिणाम ज्ञान ही है लेकिन यह ज्ञान तुम्हें तत्वदर्शी ज्ञानी पुरुषों से हासिल हो सकता है और इसे हासिल करने के लिए तुम्हारे लिए उनके कदमों में गिरना, जिज्ञासा (तहकीकात) करना और उनकी सेवा में लाजमी होगा।

  इस ज्ञान के प्राप्त होने पर तुम दोबारा परेशानी में न पड़ोगे। इसके जरिये तुमको सब के सब पदार्थ आत्मा में अर्थात मेरे अंदर मौजूद नजर आवेंगे। 【35】

 क्रमशः       

                                    

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


**परम गुरु हुजूर महाराज

- प्रेम पत्र- भाग-1-

कल से आगे:

- वेद और शास्त्र के हुकुम के मुआफिक पिछले वक्तों में सब जीव पहले ब्रह्मचर्य अवस्था धारण करते थे और उस अवस्था में बराबर गुरु के पास रह कर उनकी सेवा करते थे और प्रसादी खाते थे और ब्रह्मविद्या पढ़ते थे और गुरु से उपदेश लेकर अभ्यास करते थे।

पर इस वक्त में वह रिवाज बहुत कम जारी है बल्कि बंद हो गई है और इस सबब से लोग गुरु और गुरुभक्ति की महिमा से बेखबर है, और अपनी ओछी समझ और अनजानता से सच्चे परमार्थी अभ्यार्थियों की कार्यवाही पर तान और दोष लगाकर पापी और निंदक बनते हैं।  

                                                  

अब जो कोई सच्चा परमार्थ कमाना चाहता है , वह खुद विचार ले कि ऐसे नादान, अहंकारी और निगुरे संसारियों की बात काबिल सुनने और मानने के है या नहीं। यह लोग रात दिन चूहो, बिल्लियों, कुत्तों मक्खियों , चीटियों और चि

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏ड़ियों का झूठा खाते हैं और गुरु और भक्तजन की परसादी लेने वालों पर तान मारते हैं।क्रमश:-                                        

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


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