Thursday, February 25, 2021

सतसंग RS सुबह DB 26/02


 **राधास्वामी!! 26-02-2021- आज सुबह सतसंग मे पढे गये पाठ:-                                

    (1) जग में घोर अंधेरा भारी। तन में तम का भंडारा।।

 बचन न माने कहन न पकडे। फिर फिर भरमें नौ वारा।।-

(राधास्वामी कहा बुझाई। सुरत चढा़ओ नभ द्वारा।।)

(सारबचन-शब्द-12-पृ.सं.274)

                             

(2) बचन सतगुरु सुने भारी। अहा हा हा ओहो हो हो।।

-(चरन राधास्वामी पर वारी। अहा हा हा ओहो हो हो।।)

 ( प्रेमबानी-2-शब्द-12-पृ.सं.410,411)   

                   

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


**परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज-

भाग 1- कल से आगे:-( 36 )-

7 अगस्त 1940 की शाम को गुंटकल में सत्संग के समय हुजूर ने फरमाया - कुछ अरसा पहले सन 1934 के करीब आप सब लोगों ने हुजूर राधास्वामी दयाल के चरणों में यह प्रार्थना की थी कि मद्रास प्रेसीडेंसी के म़ुफसिल और गरीब भाइयों की हालत बेहतर बनाने के लिए वह दयाल कोई अमली काम यहाँ पर भी शुरू करने की मौज फरमावें।

आप लोगों की प्रार्थना के जवाब में आँ हुजूर ने उस वक्त यह फरमाया था कि आप सब लोग मुनासिब वक्त व मौज  का इंतजार करें। इसके बाद ही उन दयाल ने सभा से यह तजवीज की कि वह दयालबाग की चीजों की पैदावार (जो उस वक्त ६ लाख रुपया सालाना थी)  बढ़ाकर 5 साल के अंदर एक करोड रुपए तक पहुँचावे। आज इस प्रोग्राम को हाथ में लिए हम को 2 साल हो गये और तीसरा साल चल रहा है। अभी 2 साल इस प्रोग्राम के लिए और बाकी है ।                                  

 जब हुजूर साहबजी महाराज आखरी बार सन 1937 में मद्रास तशरीफ ले गये उस वक्त उन्होंने फरमाया कि आप साहबान मद्रास के पास कोई अच्छी जमीन हासिल करने की कोशिश करें।

मद्रास गवर्नमेंट की इनायत से आपको अवडी में जमीन मिल गई है । अंग्रेजी में कहावत है Work is Worship, Work is Power  जिसका मतलब यह है कि "काम ही भजन- पूजन है और काम ही शक्ति है।"

 अगर आप साहबान उस तरीके अमल पर जो हुजूर साहबजी महाराज मुकर्रर कर गये हैं चलें और मेहनत से काम करें तो आपकी मुफलिसी और गरीबी जिसने आप को सख्त परेशान कर रक्खा है उससे और दूसरे संसारी क्लेशों से आपको छुटकारा मिल सकेगा और फिर कोई वजह न होगी कि आप पैसे की कमी और गरीबी की वजह से किसी किस्म की तकलीफ उठावें।

अब आप साहबान हुजूर राधास्वामी दयाल के चरणों में उनकी अत्यंत उपयोगी व लाभदायक तजवीजो पर जिनको उन दयाल ने काल और माया की कैदों से छुटकारा दिलाने के लिए जारी फरमाया है शुकराना पेश करें और माथा नवायें।                                                     

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻


**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज

-[ भगवद् गीता के उपदेश]-

कल से आगे :-

 योगाभ्यास साफ़ जगह में अपना आसन जमा कर, जो न बहुत ऊँचा हो न बहुत नीचा, करना चाहिये। आसन के लिए पहले कुशा घास बिछाई जाय उस पर मृगछाला और फिर उस पर कपडा डाला जाय। योगी उस आसन पर जम कर बैठे और अपने मन को एकाग्र करके और इंद्रियों को बस मिलाकर जीव आत्मा की शुद्धि के लिए योग साधन करें ।

जिस्म, सिर और गर्दन को सीधा और अडोर रक्खे। कि इधर उधर से दृष्टि रोक कर नासिकाय अर्थात् अपनी नाक के सिरे पर दृष्टि जमावें और शान्तचित्त, निर्भय, ब्रह्मचर्य में मजबूत, मन थामें मेरा ध्यान संभाले , अंतर में जुड़ा हुआ, मेरे दर्शन पाने की इच्छा लेकर बैठे। जो योगी मन को बस में रख कर सदा इस तरह से आत्मा में होता है अर्थात जुडता है वह शांति और परम निर्वाण- गति को प्राप्त होता है जो मेरी जात में कायम है।

【15】

क्मशः         

                               

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻




परम गुरु हुजूर महाराज-

प्रेम पत्र- भाग 1- कल से आगे:- 4-

[चौथा औरतों के सत्संग में शामिल होने से लिहाज पर्दे का न रहना।]-  


                                                         

 मालूम होवे कि औरत और मर्द में सुरत बराबर मौजूद है और ताकत भी उसकी सिवाय जिस्मानी यानी शरीर की ताकत की (जिस में थोड़ी कमी व बेशी है) बराबर है।

 देखो आजकल लड़कियाँ मदरसे में पढ़कर मिस्ल लड़कों के बी० ए० और एम० ए० और डाक्टरी का दर्जा हासिल करती है और इसी तरह भक्तमाल की पोथी के पढ़ने से मालूम होगा कि पिछले वक्तो में बहुत सी स्त्रियाँ भक्त हुई और उनको भारी दर्जा मालिक के दरबार से मिला कि अब तक उनका नाम बड़े भाव और प्रेम के साथ लोग लेते हैं।  

                                                          

अब बिचरना चाहिए कि यह दर्जे विद्या या भक्ति और प्रमार्थ के पर्दे में रहने से कभी हासिल नहीं हो सकते और जो कि शुरू से बराबर परदे में रहती हैं उनकी समझ और अक्ल निहायत मोटी और औछी होती है और अपने जीव के कल्याण की उनको कुछ भी खबर नहीं होती।

क्रमशः                         

 🙏🏻राधास्वामी🙏


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