Sunday, February 21, 2021

सतसंग शाम RS-@DB 21/02

राधास्वामी!! 21-02-2021- आज शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-                                   


 (1) सुरतिया वार रही। तन मन गुरु चरन निहार।।

(भँवरगुफा का देख उजारा।

बीन सुनी सतगुरु दरबखर।।)

 (प्रेमबानी-4-शब्द-11-पृ.सं.113,114)  

                                                        

(2) होली खेलन मन चाव(सखी)।।टेक।।

 धूम धाम हुई धरन गगन में। आय रहे निज साव।। -

(बार बार सब घूम घूम कर। चरन अम्बु में गईं समाव।।)

 (प्रेमबिलास-शब्द-9 होली- पृ.सं.12,13)                                                           

(3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।।                                                       🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

**राधास्वामी!!                            

  21-02-2021- आज शाम सत्संग में पढ़ा गया बचन-

 कल से आगे:-[ सृष्टि उत्पत्ति]-( 161)-


 सृष्टि-उत्पत्ति के संबंध में आपकी पुस्तक सारबचन में विचित्र बातें लिखी हैं। यदि इस विषय पर भी प्रकाश डाला जाय तो अच्छा होगा।

जैसे लिखा है:- नहिं खालिक मखलूक न खिलक्त। कर्ता कारन काज न दिक्कत।३।                                                                   

 दृष्टा दृष्ट नहीं कुछ दरसत। बाच लक्ष्य नहिं पद न पदारथ।४।                                    

ज़ात सिफ़ात न अब्बल आखिर। गुप्त न परघट बातिन जाहिर।५।                         

  

राम रहीम करीम न केशो। कुछ नहिं कुछ नहिं कुछ नहिं था सो।६।★               ★                         

आपहि आप न दूसर कोई । उठी मौज परगट सत सोई।१५।                                         

औ र दूसरी जगह लिखा है:-                          

 तीन देश मौज ने रचे। अलम अलख सतनाम होय हँसे।१६।                                               

धुन धधकार उठी इक भारी। सात सूरत रचना उन धारी।१७।                                 

 इस पर कई प्रश्न उठते हैं।

(१) जब खालिक अर्थात् कर्ता और मखलूक अर्थात् कार्य न थे तो यह संसार किसने रचा?

 और यह किस चीज से बना?

क्योंकि अभाव से कभी भाव नहीं होता।

(२) यह कि मौज गुण है या गुणी?

 प्रकट है कि मौज गुण है। फिर यह कहना कि उसने संसार रचा मूर्खता है क्योंकि रचने वाला गुणी होता है।।

                         

(३) यह की मौज का अर्थ लहर है। जब सिवाय उनमुन के कोई और पदार्थ नहीं था तो लहर कैसे उठी?

 बिना दूसरी वस्तु के लहर नहीं उठ सकती। संसार में कोई भी ऐसा दृष्टांत नहीं है जिससे सिद्ध हो कि जो वस्तु एकरस हो उसमें लहर पैदा होती है।।      

(४) यह कि पहले तो कहा कि कर्ता कोई न था और फिर यह लिखा कि मौज कर्ता है। ये स्पष्टतः विरूद्ध बातें है।                              

(५) है यह कि शब्द गुण है या द्रव्य?  अगर गुण है तो उससे संसार की उत्पत्ति नहीं हो सकती क्योंकि गुण गुणी के आश्रय रहता है अलग नहीं।।                                              

  (६) यह की एक तीसरे स्थान पर लिखा है :-                                                     

सबकि आदि कहूँ अब स्वामी। अकह अगाध अपार अनामी।।                                               

इससे मालूम होता है कि यहाँ सबके आदि में स्वामी की विद्यमानता मानी गई है।।

 क्रमशः                           

  🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻

यथार्थ प्रकाश- भाग दूसरा-

परम गुरु हुजर साहबजी महाराज!


शाम सतसंग के बाद:

 होस्टल विद्यार्थियों द्वारा गाया पाठ:-                                                    

 (1) भाग जगे गुरु चरनन आई।

 राधास्वामी संगत सेवा पाई।।-

(नित गुन गाऊँ चरन धियाऊँ।

राधास्वामी राधास्वामी सदा मनाऊँ।।)

 (प्रेमबानी-2-शब्द-11-पृ.सं.14,15)      

                                             

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻


🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

No comments:

Post a Comment

सूर्य को जल चढ़ाने का अर्थ

  प्रस्तुति - रामरूप यादव  सूर्य को सभी ग्रहों में श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि सभी ग्रह सूर्य के ही चक्कर लगाते है इसलिए सभी ग्रहो में सूर्...