Friday, May 21, 2021

सतसंग DB -RS सुबह 22/05

 **राधास्वामी!!22-05-2021-आज सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:-      

                            

   (1) बिरहनी गुरु की सरन सम्हार।।टेक।। या जग में कोई मीत न तेरा। करो नाम आधार।।-(जो समझे सो सार समावे। पावे भेद अपार।।) (सारबचन-शब्द-8-प्र.सं.352,353-तिमरनी ब्राँच-अधिकतम उपस्थिति-36)                                                      

   (2) गुरु प्यारे के सँग प्यारी खेलो फाग।।टेक।। प्रेम रंग ले खेलो होली। आसा मनसा जग की त्याग।।-(राधास्वामी चरनन जाय समाई। जाग उठा मेरा अचरज भाग।।) (प्रेमबानी-3-शब्द-58-पृ.सं.50,51)                                                     सतसंग के बाद:-

                                            

   (1) राधास्वामी मूल नाम।।                                 

 (2) अतोला तेरी कर न सके कोई तोल।।                                                                    

 (3) बढत सतसंग अब दिन दिन। अहा हा हा ओहो हो हो।।

(प्रे. भा. मेलारामजी-फ्राँस)                                       🙏🏻राधास्वामी🙏🏻

**परम गुरु हुज़ूर मेहताजी महाराज-बचन भाग-1-

 कल से आगे:-(92)

- 2 सितंबर' 1942 को हुजूर साहबजी महाराज के भंडारे पर आरती के समय हुजूर ने फरमाया- यदि संगत उन्नति करना चाहती है और संसार के लिए ऊँचा आदर्श पेश करना चाहती है तो उसे समय के अनुसार अपने धर्म में परिवर्तन करना होगा, और पिछली गलत बातों व गलत रस्मों को छोड़ना होगा।

 आपको मालूम है कि यहाँ पर कुछ समय से लड़कों और लड़कियों के विवाह की समस्या मौजूद है। आवश्यकता इस बात की है कि हम सब इस संबंध में लड़कों व लड़कियों की बातों को ध्यान से सुनें और उनके विचारों का ख्याल रक्खें। उनके माँ-बाप को यथासंभव उनकी माँगों के मानने के लिए तैयार रहना चाहिए वरना ये लड़के सारा मुआमला अपने हाथ में ले लेंगे।

इसके बाद हुजूर ने मौज से शब्द निकलवाया। शब्द निकला-                                                                       

  आज दिवस सखी मंगल खानी।                                

 मैं राधास्वामी संग आरत ठानी।।                    

  ( सारबचन- शब्द 3)                                      

  इसके बाद स्वराज ड्रामा की प्रार्थना को हुजूर ने लगातार पाँच बार पढ़वाया-                               "सरन तेरी हम आये प्रभुजी, लाज हमारी तुमको।"                                                               

 फिर हुजूर ने फरमाया- इस शब्द में प्रार्थना की गई है कि हे दयाल ! आप अपने बालकों को निहाल कर दीजिए और उनके द्वारा कोई ऐसी मिसाल कायम कीजिए जो पहले से बेमिसाल (अनुपम) हो। मालूम हो कि हुजूर राधास्वामी दयाल के सामने सभी लोग उनके बच्चे हैं, इसलिए बाल का शब्द आमतौर पर सारे सतसंगियों के लिए आया है परंतु बाल कहने से एक और मतलब हो सकता है कि यह प्रार्थना छोटे बच्चों के बारे में की गई हो। इसलिए यदि इस भाव में इस प्रार्थना को देखा जाय तो इससे पता चलता है कि कुछ दिनों से सत्संग में यह जोर दिया जा रहा है कि स्त्रियाँ बच्चा पैदा करने के लिए मेटरनिटी वार्ड में पैदाइश से कुछ समय पहले जायँ और पैदाइश के बाद काफी समय तक वहाँ ठहरे।

उसी तरह से, विवाह के बारे में जो नये नियम बनाये जा रहे हैं, इन दोनों बातों का संकेत इस प्रार्थना के अंतिम भाग में आ जाता है यानी इसमें हुजूर राधास्वामी दयाल के चरणों में प्रार्थना की गई कि वह दयाल अपने बच्चों को निहाल करें और उनके द्वारा संसार में उनके हस्बेहाल( समयानुसार) कोई ऐसी नई व अनुपम चाल जारी फरमावें जो सारी संगत व सारे जगत के लिए कल्याणकारी सिद्ध हो।                            

  क्रमशः🙏🏻राधास्वामी🙏🏻


**राधास्वामी!![ अमृत-बचन]-

 कल से आगे:/ -(भूमिका)

- महाराज साहब के ' डिसकोर्सेज' के मजमून को चार भागों में तकसीम किया है यानी अव्वल तो यह तहकीकात की है कि परमार्थ का उद्देश्य क्या है और किस अवस्था में प्रवेश करने पर उस उद्देश्य की प्राप्ति मुमकिन है।

 दूसरे यह निश्चित किया है कि वह कौन से साधन है जिनकी कमाई करने से सुरत जागकर चेतन मंडलों में रस हासिल कर सकती है। तीसरे रचना की उत्पत्ति पर विस्तार का वर्णन करके यह बतलाया है कि रचना के अंदर यह चेतन मंडल कहाँ पर वाकै है कि जिसमें प्रवेश करने पर परमार्थ का उद्देश्य प्राप्त हो जाता है। और चौथे जीव के कर्मों और संसारी संघ साथ का जो असर उस पर पड़ता है उसको बयान करके यह देखना चाहते हैं कि परमार्थ के उद्देश्य सहूलियस से हासिल करने के लिए शौकीन अभ्यासी को किस किस्म की रहनी गहनी इख्तियार करनी चाहिए। क्रमशः

                                             

  🙏🏻राधास्वामी🙏🏻


**परम गुरु हजूर महाराज- प्रेम पत्र -भाग 2

- कल से आगे:-(18)-

 बल्कि इसी तरह नई नई बात विद्या और बुद्धि की भी आदि में और वक्त वक्त पर किसी ने किसी मनुष्य ने बिना किसी से सीखे हुए जाहिर करें और सब लोग इस बात के कायल हैं कि मनुष्य उन नई बातों और रिवाजो के पैदा करने वाले हुए और उनको आज तक सबसे बड़ा मान कर उनकी आदर और सत्कार करते हैं और उनकी बानी और बचन को सनद मानते हैं और उसके मुआफिक औरों के बचन और बानी की तौल और जाँच करते हैं।।                                                            

  (19) जिस कदर कि आसमानी किताबे हैं, जैसे कि चारों वेद और जौनियो का आदि पुराण और मुसलमानों का कुरान और ईसाईयों की अंजील, सब मनुष्य स्वरूप ऋषिवर या मुनीश्वर या आचार्य या पैगंबरों से प्रगट हुई है और जो कि वह परमेश्वर के कलाम यानी वाक्य माने जाते हैं, तो जाहिर है कि परमेश्वर ने अपने वचन मनुष्य द्वारे कहे और प्रगट किये।

 और उन ऋषिश्वरों और पैगंबरों को, जो कि मनुष्य स्वरूप थे, परमेश्वर के खास मेल रखने वाले या दरबारी या उसके भेद की खबर देने वाले मानते हैं और उनकी बानी और बचन को खास मालिक का कलाम समझते हैं और उन्हीं के वसीले से अपना उद्धार और मालिक के दरबार में पहुँचने का यकीन करते हैं और उनका दर्जा मालिक के दर्जे से दूसरा मान कर उनकी ताजीम और अदब उनके चरणों में मुआफिक करते है।

क्रमशः                       

  🙏🏻राधास्वामी🙏🏻


🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

No comments:

Post a Comment

सूर्य को जल चढ़ाने का अर्थ

  प्रस्तुति - रामरूप यादव  सूर्य को सभी ग्रहों में श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि सभी ग्रह सूर्य के ही चक्कर लगाते है इसलिए सभी ग्रहो में सूर्...