Sunday, May 30, 2021

साला हैं भाई साला हैं / संदीप शर्मा

 महत्वपूर्ण जानकारी क्यों कहते हैं पत्नी के भाई को साला*धर्मपत्नी के भाई को साला क्यों कहते हैं? कितना श्रेष्ठ और सम्मानित होता है...*

         "साला" शब्द की रोचक जानकारी

हम प्रचलन की बोलचाल में *साला* शब्द को एक *"गाली"* के रूप में देखते हैं साथ ही *"धर्मपत्नी"* के भाई/भाइयों को भी "साला", *"सालेसाहब"* के नाम से इंगित करते हैं। 

*"पौराणिक कथाओं"* में से एक *"समुद्र मंथन"* में हमें एक जिक्र मिलता है, मंथन से जो *14 दिव्य रत्न* प्राप्त हुए थे वो :

कालकूट (हलाहल), ऐरावत, कामधेनु, उच्चैःश्रवा, कौस्तुभमणि, कल्पवृक्ष, रंभा (अप्सरा), महालक्ष्मी, शंख (जिसका नाम साला था!), वारुणी, चन्द्रमा, शारंग धनुष, गंधर्व, और अंत में अमृत। 


*"लक्ष्मीजी"* मंथन से *"स्वर्ण"* के रूप में निकली थी, इसके बाद जब *"साला शंख"* निकला, तो उसे *लक्ष्मीजी* का भाई कहा गया!

*दैत्य और दानवों* ने कहा कि अब देखो लक्ष्मीजी का *भाई साला (शंख)* आया है ..

तभी से ये प्रचलन में आया कि नव विवाहिता "बहु" या *धर्मपत्नी* जिसे हम *"गृहलक्ष्मी"* भी कहते है, उसके भाई को बहुत ही पवित्र नाम साला कह कर पुकारा जाता हैं।


समुद्र *मंथन* के दौरान "पांचजन्य साला शंख" *प्रकट* हुआ, इसे भगवान *विष्णु* ने अपने पास रख लिया।

इस शंख को *"विजय का प्रतीक"* माना गया है, साथ ही इसकी ध्वनि को भी बहुत ही शुभ माना गया है।

*विष्णु पुराण* के अनुसार *माता लक्ष्मी* समुद्रराज की पुत्री हैं तथा शंख उनका *सहोदर* भाई है।

अतः यह भी मान्यता है कि जहाँ *शंख है*, वहीं *लक्ष्मी* का वास होता है।

इन्हीं कारणों से *हिन्दुओं* द्वारा पूजा के दौरान *शंख* को बजाया जाता है।


जब भी *धन-प्राप्ति* के उपाय करो "*शंख" को कभी नजर अंदाज ना करे, *लक्ष्मीजी* का चित्र या प्रतिमा के नजदीक रखें।

जब भी किसी जातक का साला या जातिका का भाई खुश होता है तो ये उनके यहाँ *"धन आगमन"* का शुभ सूचक होता है और इसके विपरीत साले से *संबंध बिगाड़ने पर जातक घोर दरिद्रता का जीवन जीने लगता है।


अतः *साले* साहब को सदैव *प्रसन्न* रखें

 *लक्ष्मी* स्वयं चलकर आपके घर दस्तक देगी और है तो बनी रहेगी.......!


आलेख:---

संदीप शर्मा

(वास्तु, कर्मकाण्ड व कुंडली परामर्श)

पुजारी--माँ भद्रकाली मंदिर इटखोरी, चतरा

सम्पर्क सूत्र-9931585660

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