Friday, April 24, 2020

प्रेमपत्र भाग-2 / हठयोग



**परम गुरु हुजूर महाराज

- प्रेम पत्र -भाग 1 -

 कल से आगे-( 5)-

【हठयोग】

:- (१) इससे मतलब यह मालूम होता है कि हठ करके अपने अंग को तोड़ना और मोडना और साफ रखना और फायदा उसका यह है कि तन मन और उसके अंगों की सफाई और तंदुरुस्ती हासिल होवे।  पंच अग्नि तपना, और जल सेवन करना, खड़े रहना, मौन साधना, नंगे रहना, नेति धोती और बस्ती (एनिमा) क्रिया करना, और कीलों पर या मैदान में बैठना, और उल्टे लटकना वगैरह वगैरह यह सब काम हठ योग में दाखिल  है। इनके करने से थोड़ी सफाई अंतर की हो सकती है ,पर न तो वह सफाई कायम रह सकती है और न मालिक के चरणो का प्रेम दिल में पैदा हो सकता है, बल्कि  बजाय उसके अहंकार और मान और स्तुति और बडाई की चाह बहुत जबर मन में समा जाती है और अक्सर लोग इनमें से बहुत से काम चौराहों पर और मेलों और तमाशों में सड़क पर आमतौर से करते हुए नजर आते हैं और जाहिरा उनका मतलब धन पैदा करना और अपनी स्तुति कराना मालूम होता है।                    (२) पिछले वक्तों में यह काम स्थूल शरीरधारी और स्थूल बुद्धिवाले जीवो की दुरुस्ती के लिए संजम के तौर पर जारी किए गए थे, यानी उस वक्त के बुजुर्गों ने जैसी जैसी जिसकी हालत देखी उसकी सफाई और स्थूलता के दूर करने के लिए और आहिस्ता आहिस्ता ऊँचे साधन जैसे , अष्टांग योग यानु प्राणायाम या मुद्रा के साधन के लिए तैयार करने के बाद इन कामों की हिदायत की थी। पर समझना चाहिए यह सब काम जो उन्होंने बताये एक एक अंग के साधन के वास्ते थे। और यह निहायत स्थूल  तरीका नये सीखने वालों के लिए जारी किया था कि जिससे वर्षों तक सफाई कराते रहें और फिर फिर भी बहुत कम जीव ऐसे  निकले कि जिनसे यह साधन बढ़े और फिर में ऊँचे साधन में लग गये बल्कि ऐसा हुआ कि एक एक साधन में सब के सब अटक कर रह गए और उसी को प्रमार्थ समझकर उन लोगों की वाह-वाह और बढ़ाई सुनकर मगन हो गये और जगत को अपने साधनों को तमाशे के तौर पर दिखाकर अपने रोजगार की सूरत निकाली और अहंकार बढाकर जो सफाई का उस साधन से मतलब था उसको भी खो बैठे और उनका और लोभ की मलीनता और पैदा कर ली।।                                   (३) इनका कामों के करने वालों के मन में जरा भी प्रेम मालिक का नहीं आता और ना उसके मिलने की ख्वाहिश रखते हैं । ऐसे जीवों का उद्धार कैसे होवे?  इस करनी का फल चाहे मान बड़ाई धन इसी जन्म में इसी लोक में पावें, या थोड़ा सुख अपनी सफाई के मुआफिक परलोक में यानी स्वर्ग में हासिल करें, या दूसरे जन्म में राजा या हुकुमतवान या धनवान होकर दुनिया का भोग बिलास करें। क्रमशः 🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**

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