Wednesday, April 29, 2020

अहो मेरे मालिक





सतगुरु जी*
*हर पल का शुकराना* 🙏
*हर स्वांस का शुकराना* 🙏
*हाथ थामने का शुकराना* 🙏
*अपना बनाने का शुकराना* 🙏
*अंग संग  रहने  का शुकराना* 🙏
*हर दुख से बचाने का शुकराना* 🙏
*सिर पर हाथ रखने का शुकराना* 🙏
*आपके हर रहमों कर्म का शुकराना*🙏🏻



अहो मेरे मालिक अहो मेरे दाता ।।
इस कोरोना  जगत में अब कुछ न सुहाता।।

नज़र मेहर  की मुझ पर अब कीजिये।
कोरोंना विपदा का निवारण कीजिये ।।

तडपते हैं दर्शन को सभी  प्रेमी जन ।   
 सहैं   नित दुख अतिकर  अंतर्मन ।।

आपको पर था हमारा पहले से ख्याल ।
तभी आपने  जारी किया ई सत्संग बेमिसाल ।।

आपकी मेहर से भंडारे में घर से भाग ले सकेंगे।
भेद भी अब सहजता से कर सकेंगे ।।

इस अनिश्तता की स्तिथि का कब होगा अंत ।।
उबारो हम सब को ,  हे प्रिय कंत ।।

विपदा में पड़ी अनेकों की जीविका ।
तुम बिन को कर सके निवारण  उनका। ।।

ख्वाइश ये पूरी करो अब हे, दाता । खेतो में जाकर चरणों  में बैठे ।।
पिए अमी रस और पना रस।बारिश या  तेज धूप में भी रहे  डटे  ।।

ऐसी मेहर की वृष्टि कीजे,भूले हम अपनी  सभी व्यथा ।।
शुक्राना करें हम पल छिन छिन, मिला है जो ,कुल मालिक का संरक्षण  व अपरम्पार दया ।।

Radhasoami 🙏🙏




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